मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश सरकार में काम के बंटवारे से राज्यमंत्री नाखुश: काम की तलाश में मंत्री- राज्यमंत्री तो सिर्फ सदन के सवालों के जवाब और छोटे-मोटे ट्रांसफर तक सिमटे

भोपाल डेस्क :

मोहन सरकार के 4 राज्यमंत्रियों को काम देने में कैबिनेट मंत्रियों की कंजूसी अब सामने आ रही है। सभी कैबिनेट मंत्रियों ने राज्य मंत्रियों को दो काम प्रमुखता से दिए हैं। पहला- विधानसभा से आने वाले विभाग से जुड़े सवालों के जवाब देखें। ये सवाल अतारंकित हों, यानी वो जिन्हें विधानसभा प्रश्नकाल में नहीं लेती।

दूसरा- महकमे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तबादलों की फाइलें देखें। साफ है कि राज्यमंत्रियों को ज्यादा बड़ा काम नहीं मिला। सिर्फ स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल हैं, जिन्हें उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने 20 करोड़ रुपए तक के कामों के साथ उप स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के टेंडर का भी काम दिया है। शेष | पेज 12 पर

दबी जुबान में राज्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्हें जो काम मिला है वह काफी नहीं है। कुछ और काम चाहिए। तभी तो परफॉर्मेंस दिखा पाएंगे। इधर, दस विभागों का लोड मुख्यमंत्री पर : सामान्य प्रशासन, गृह, जेल, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, नर्मदा घाटी विकास, जनसंपर्क, खनिज साधन, विमानन, लोकसेवा प्रबंधन, प्रवासी भारतीय और ऐसे तमाम विभाग जो किसी अन्य मंत्री को नहीं सौंपे गए।

कैबिनेट में भी यही हाल

एक मंत्री के पास पूरे प्रदेश में सिर्फ 50 कर्मचारी ही

कैबिनेट मंत्री राकेश शुक्ला के विभाग नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा का बजट सभी मंत्रियों में सबसे कम 63.86 करोड़ रुपए है। हाल ही में ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष का पदभार मिला है। बोले- पूरे प्रदेश में मेरे सिर्फ 50 कर्मचारी थे, ऊर्जा विकास निगम का अध्यक्ष बना तो 150 हुए। अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री नागर सिंह चौहान कुछ और विभाग चाहते हैं। उनके पास पहले वन विभाग था, जो हटा लिया गया।

स्वतंत्र प्रभार वाले भी दुखी… स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों ने भी अच्छे काम देने की बात सीएम तक पहुंचा दी है। कुटीर एवं ग्रामोद्योग के दिलीप जायसवाल, कौशल विकास व रोजगार के गौतम टेटवाल व मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास के राज्यमंत्री नारायण सिंह पंवार के पास बमुश्किल फाइलें पहुंचती हैं।

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