शिक्षा विभाग की मेहरबानी: तीन माह में करना थी कार्रवाई, 16 दागी 5 वर्ष से निलंबित, बिना काम दे दिए 2.73 करोड़

इन्दौर डेस्क :
भ्रष्टाचार में जीरो टालरेंस के दावों के बीच स्कूल शिक्षा विभाग रिश्वत लेते पकड़े गए और अन्य आरोपों में निलंबित 16 कर्मचारियों पर वर्षों से मेहरबानी दिखा रहा है। अधिकारियों की कृपा के चलते बिना काम किए इन कर्मचारियों को 90 फीसदी मासिक वेतन के रूप में 5 साल में 2.73 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त हिदायत दी है कि जब तक मामला गंभीर न हो या पहली नजर में हालात कर्मचारी को बर्खास्त करने जैसे हो तब ही उसे निलंबित किया जाए। तीन माह में जांच पूरी कर आरोप पत्र दे दिया जाए और जवाब मिलने पर चौथे महीने में उसे बहाल या दंडित किया जाए। बहाल हाेने के बाद निर्वाह भत्ता के बाद वेतन की शेष राशि भी दे दी जाती है।
न पढ़ा रहे, न ही नई नियुक्ति हो रही
शिक्षकों के स्कूल से दूर रहने से विद्यार्थियों की पढ़ाई से खिलवाड़ हो रहा है। पद भरे होने से नियुक्तियां भी नहीं हो रही हैं। विभिन्न स्थानों से निलंबित इन कर्मचारयों का मुख्यालय बीईओ कार्यालय रखा गया है, लेकिन यहां इनकी ज्वाइनिंग का रिकाॅर्ड ही नहीं है। अधिकारियों ने इनकी बहाली या अंतिम कार्रवाई की अवधि भी तय नहीं की है।
चार साल बाद निलंबन, सालों बाद भी चालान नहीं
जिला परियोजना समन्वयक अक्षयसिंह राठौर को मई 2023 में निलंबित किया गया। जबकि उनके खिलाफ वर्ष 2019 में निजी स्कूलों को फर्जी तरीके से मान्यता देने के आरोप में आपाराधिक प्रकरण दर्ज हुआ था। रिश्वत लेकर प्रकरण निपटाने के मामले में गांधीनगर स्कूल के शिक्षक गजेंद्र देशमुख 2017 से निलंबित हैं।
इन पर वर्षों से मेहरबानी जारी
- गजेन्द्र देशमुख, उच्च श्रेणी शिक्षक
- सृष्टि राजोरिया, सहायक अध्यापक
- चन्द्रिका मोहन, सहायक अध्यापक
- ललिता करारी, सहायक शिक्षक
- चैनसिंह परिहार, सहायक शिक्षक
- दिनेश मालवीय, बीईओ के लिपिक
- श्रेणिक जैन, लिपिक, बाणगंगा संकुल
इन्होंने नहीं निभाई जिम्मेदारी
1. शांता स्वामी, बीईओ
2. मंगलेश व्यास, डीईओ
3. अनिल वर्मा, जेडी
4. वंदना शर्मा, सीईओ
बच्चा चोरी और चाकूबाजी जैसे गंभीर आरोप
सामुदायिक भवन चंपाबाग की सहायक अध्यापक शाहिन शेख वर्ष 2016 में बच्चा चोरी के आरोप में पकड़ी गई थीं। तब तात्कालीन निगम आयुक्त मनीष सिंह ने उसे निलंबित कर दिया था। मल्हार आश्रम के भृत्य निितन मेवाते को चाकू से हमला करने के आरोप में जेल भेजा गया था। 2022 में उसे निलंबित किया गया। वर्ष 2020 में रंगवासा मिडिल स्कूल के भृत्य संदीप कुशवाह को दुष्कर्म के आरोप में जेल भेजा गया था।
7 दिन से 4 माह में पूरी हो जांच
निलंबन इसलिए होता है ताकि संबंधित कर्मचारी जांच प्रभावित नहीं कर सके। जांच की समयावधि 7 दिन से लेकर अधिकतम 4 महीने तक हो सकती है। तकनीकी अड़चन या विभागीय मंजूरी के कारण कुछ महीने और बढ़ सकती है। दागी कर्मचारी 5-10 साल निलंबित रहे ऐसा नहीं होना चाहिए।
– आनंद शर्मा, रिटायर आईएएस व ओएसडी सीएम
पद और सरकारी धन का दुरुपयोग
किसी भी अपचारी कर्मचारी को बिना कारण बेमियादी समय तक निलंबित नहीं रखा जा सकता। सालों से गैरहाजिरशिक्षकों को शुरुआत में ही निलंबित कर देना चाहिए था। संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह सबसे पहले लंबित मामलों का निराकरण करे। यह पद और सरकारी धन का दुरुपयोग है।
– एनएल तिवारी, सर्विस मेटर के सीनियर एडवोकेट