उज्जैन महाकाल की बारात में नाचे भूत-पिशाच: उड़ा रंग-गुलाल, आतिशबाजी हुई; 50 हजार लोगों का नगर भोज

उज्जैन डेस्क :
उज्जैन में मंगलवार को भगवान महाकाल की बारात निकाली गई। इसमें भूत-प्रेत, पिशाच, डाकिनी और शाकिनी नाचते-गाते शामिल हुए। आतिशबाजी के बीच खूब रंग-गुलाल उड़ा।
विवाह समारोह का रिसेप्शन महाकाल मंडपम में हुआ। इसके लिए पूरे शहर को न्योता दिया गया था। करीब 50 हजार लोगों का नगर भोज देर रात तक जारी रहेगा।

इससे पहले सोमवार शाम को बाबा महाकाल को हल्दी लगाई गई। मेहंदी और महिला संगीत का कार्यक्रम भी हुआ। विवाह पत्रिका में 33 करोड़ देवी-देवताओं को स्वागतातुर और भगवान गणेश, रिद्धि, सिद्धि और शिव परिवार को दर्शनाभिलाषी बनाया गया है।
दरअसल, 8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन महाकालेश्वर मंदिर में शिव विवाह किया गया था। इस धार्मिक आयोजन के बाद अब उज्जैन के लोगों द्वारा भगवान शिव का विवाह समारोह आयोजित किया जा रहा है।

नगर भ्रमण के बाद मंदिर पहुंची बारात
मंगलवार शाम 4 बजे नगरकोट से बारात निकली। यह नरेंद्र टॉकीज होते हुए सतीगेट, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, गुदरी चौराहा होते हुए शाम करीब 7:30 बजे महाकाल मंडपम पहुंची। यहां भजन संध्या होगी।

बारात में दिखी होली की झलक
बारात में बाबा महाकाल दूल्हे के रूप में पालकी पर बैठे। उनके जयकारे लगाते हुए हजारों भक्त नाचते-गाते चले। होली की झलक भी देखने को मिली। रंग-गुलाल की बारिश के बीच डीजे की धुन पर महिलाएं थिरकीं।
चार घोड़े, डीजे, बैंड, ढोल समेत भोलेनाथ और माता पार्वती की झांकी भी बारात में शामिल रहे।

91 तरह के पकवानों का भोग
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी दिनेश गुरुजी ने बताया कि भगवान को 91 प्रकार के पकवानों का भोग लगाया गया। 36 हलवाइयों की टीम ने 13 भटि्टयों की मदद से भोज तैयार किया।
नगर भोज के संयोजक पं. रमण त्रिवेदी ने बताया कि यह परंपरा 23 साल पहले 2000 में शुरू की गई थी। यह 24वां साल है। वहीं, महाकाल शयन आरती के संस्थापक अध्यक्ष महेंद्र कटियार ने बताया कि रिसेप्शन के मेन्यू में सब्जी, पूरी, पुलाव, खीर, खोपरापाक के साथ गन्ने का रस, शिकंजी, लस्सी, पानी पुरी और पान शामिल हैं।






