भोपाल

MP में अब एआई टूल ‘अनुवादिका’ में ट्रांसलेशन: मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग की हिंदी में पढ़ाई होगी आसान,

भोपाल डेस्क :

प्रदेश के विश्वविद्यालयों में संचालित टेक्निकल, मेडिकल, मैनेजमेंट सहित अन्य कोर्सेस की किताबों का इंग्लिश से हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद और सटीक किया जा सकेगा। इसके लिए एआईसीटीई के आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) आधारित ट्रांसलेशन टूल ‘अनुवादिनी’ की मदद ली जाएगी। इसके उपयोग से इंसीनरेटर को हिंदी में भस्मक और टोपोग्राफी को स्थलाकृति लिखा जा रहा है।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के कुलपति और कॉलेज प्रिंसिपलों के लिए ट्रांसलेशन संबंधित गाइडलाइन भी जारी की है। इसके तहत ट्रांसलेशन के दौरान ध्यान रखना हाेगा कि उस वाक्य का मूल भाव बना रहे और वह सरल हो। इसमें लंबे वाक्य लिखने की मनाही है। ‘अनुवादिनी’ की खासियत यह है कि इसमें विभिन्न तरह की एडिटिंग टूल के साथ ही सोर्स टेक्सट फाइल के फार्मेट के आधार पर ट्रांसलेट होंगे। इस टूल की एक्यूरेसी अलग-अलग विषयों और भाषा के आधार पर भिन्न-भिन्न है।

यूजीसी ने कहा है कि एक भारतीय भाषा से दूसरी भाषा में किसी टर्म
का अनुवाद आसानी से किया जा सकता है। इसकी मुख्य वजह है कि यह कहीं न कहीं आपस में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।

यह फायदा भी… किताबों के वाक्यों में एक्यूरेसी और बढ़ेगी
कमीशन फॉर साइंटिफिक एंड टेक्निकल टर्मिनोलॉजी (सीएसटीटी) ने विभिन्न विषयों के लिए मानक शब्दावाली तैयार की है। मुख्य रूप से इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट कोर्स की किताब में अगर कोई नया टर्म और शब्द है तो इसके लिए सीएसटीटी से सलाह ली जा सकेगी। इससे इन विषयों की किताबों के वाक्यों में एक्यूरेसी और बढ़ेगी।

हिंदी ग्रंथ अकादमी का भी सहयोग
इसके अलावा हिंदी ग्रंथ अकादमी या अन्य अकादमी और यूनिवर्सिटी के भाषा विभाग भी क्षेत्रीय भाषाओं के लिए शब्दावली जारी कर सकते हैं। यूजीसी के स्पष्ट निर्देश हैं कि तकनीकी शब्दों के लिए ब्रेकेट में इंग्लिश वर्ड भी लिखा जाए। अगर संबंधित टर्म के लिए हिंदी का शब्द उपलब्ध नहीं है तो इंग्लिश का ही उपयोग करें।

विशेषज्ञ करते हैं अनुवाद
आरजीपीवी में पदस्थ हिंदी ट्रांसलेशन के नोडल अधिकारी शशिरंजन अकेला के मुताबिक बुक ट्रांसलेशन में पहली शर्त तो यही है कि ट्रांसलेटर विषय विशेषज्ञ भी हो। अनुवाद व्यवहारिक होना चाहिए ताकि छात्रों को समझने में दिक्कत न हो।

व्यवहारिकता पहले ऐसे शब्द जो बोलचाल में उपयोग होते हैं वो इंग्लिश में ही रहेंगे
आरजीपीवी में भी किताबों का अनुवाद किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इंजीनियरिंग में केपेसिटर का हिंदी अनुवाद संधारित्र होता है। आम बोलचाल में केपेसिटर उपयोग होता है इसलिए इसे अनुवाद नहीं करेंगे। इसी तरह ट्रांसफार्मर को परिवर्तक कहते हैं लेकिन इसे याद रखना कठिन है। आरजीपीवी के अधिकारियों ने बताया कि इनकी शब्दावली भी लिखेंगे लेकिन यह छात्र पर निर्भर करेगा कि वह क्या उपयोग करता है।

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