मध्यप्रदेश

हाईकोर्ट की नाराजगी: कहा- गैस राहत अस्पतालों में 76% तक पद खाली, क्यों न अवमानना की कार्रवाई हो

भोपाल डेस्क :

1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के बाद सिस्टम की लापरवाही पर हाई कोर्ट ने तीखी नाराजगी जताई है। 11 साल पहले 9 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस पीड़ितों के अस्पताल और अन्य निर्धारित अस्पतालों को सुविधा, विशेषज्ञों और डॉक्टरों की नियुक्ति के अलावा मरीजों के रिकॉर्ड के डिजिटलाइजेशन के निर्देश दिए थे।

लेकिन अभी भी गैस राहत अस्पतालों में 76 प्रतिशत विशेषज्ञ और 50 प्रतिशत डॉक्टरों के पद खाली हैं।मरीजों के रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन भी नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी एक समिति के माध्यम से हाई कोर्ट को दी थी। कोर्ट में पेश मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि तकनीकी और गैर तकनीकी 1,247 पदों के एवज में 498 पद ही भरे जा सके हैं।

3.41 लाख गैस ​पीड़ितों के स्मार्ट कार्ड जारी हो चुके हैं। ज​स्टिस शील नागू और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह निराशाजनक है। साढ़े 10 साल से अधिक समय के बाद भी डिजिटलाइजेशन पूरा नहीं हुआ। ऐसे में सभी प्रतिवादियों के खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्रवाई की जाए। हाई कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई 16 जनवरी 2024 तय की है।

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