MP में चुनावी तैयारियां शुरू – कांग्रेस के 22 विधायकों के टिकट पर खतरा: 60 को फिर मौका, जुलाई तक 70 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर देगी पार्टी
भोपाल डेस्क :
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस कर्नाटक फॉर्मूले के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करेगी। कांग्रेस के 95 में से 70 विधायकों को चुनाव की तैयारी करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की तरफ से हरी झंडी मिल गई है। इनके नाम जुलाई के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह में घोषित हो जाएंगे। शेष सीटों पर फैसला पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के फीडबैक और हाईकमान द्वारा नियुक्त किए गए चार ऑब्जर्वर की सर्वे रिपोर्ट के बाद होगा। संभावना है कि यह रिपोर्ट अगस्त माह तक संगठन को मिल जाएगी। उधर, 22 विधायकों की टिकट पर फिलहाल खतरा दिख रहा है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय दिग्विजय के फीडबैक के बाद होगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने टिकट वितरण का एक शुरुआती फॉर्मूला तैयार कर लिया है। तय हुआ है कि इस बार तीन चरणों में प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी। पहले चरण में उन 70 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित होंगे, जहां प्रत्याशी के नाम को लेकर कोई बड़ा विरोध नहीं है। सर्वे में प्रत्याशी की लोकप्रियता का ग्राफ भी दूसरों के मुकाबले ऊंचा है। इन 70 नामों में से करीब 60 नाम मौजूदा विधायकों के भी हैं। प्रदेश कांग्रेस के उन बड़े नेताओं को इस सूची में रखा जाएगा, जो 2018 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए कुछ बड़े नेताओं को भी इस पहली सूची में जगह मिल सकती है। इस सूची में शामिल अधिकतर नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की तरफ से चुनावी तैयारियों में जुटने के लिए कहा जा चुका है।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस इस बार करीब 22 विधायकों का टिकट काटकर नए लोगों को मौका देगी। इसके लिए प्रत्येक विधानसभा में कई स्तरों पर सर्वे जारी है। इसी सर्वे के आधार पर टिकटों का फैसला होगा। पार्टी के एक शीर्ष नेता ने बताया कि अगर किसी रणनीतिक बदलाव की वजह से प्रत्याशियों की घोषणा में देरी की संभावना बनी तो भी सबसे मजबूत नेताओं को तैयार रखा जाएगा, ताकि चुनाव की घोषणा के बाद उनके अभियान को ग्रास रूट लेवल पर ले जाने के लिए दिक्कतों का सामना न करना पड़े। बड़े अंतर से जीत तय करने के लिए यह भी कह दिया गया है कि प्रदेश कांग्रेस के सभी बड़े नेता चुनाव में उतरेंगे।
कर्नाटक में चुनाव की तारीख आने से पहले उम्मीदवारों की सूची आ गई थी
प्रत्याशियों को अधिक समय देने के लिए कांग्रेस ने पहले से ही टिकट घोषित करने का फॉर्मूला बनाया है। कर्नाटक में भी यही फॉर्मूला लागू किया गया था। निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की घोषणा 29 मार्च को की थी। इससे पहले 25 मार्च को कांग्रेस ने 124 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक जैसे दिग्गजों के नाम भी शामिल थे। हिमाचल प्रदेश में 15 अक्टूबर 2022 को विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई थी। यहां भी 18 अक्टूबर को कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी कर दी थी।
अरुण यादव को बड़वाह से मौका, CM शिवराज के सामने दीपक जोशी की चर्चा
2018 के चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ लड़ चुके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को इस बार विधानसभा पहुंचाने की तैयारी है। इसके लिए खरगोन जिले की बड़वाह सीट पर संभावना तलाशी जा रही है। यह अरुण यादव के गृह जिले का क्षेत्र है। 2018 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के सचिन बिड़ला को 56% से अधिक वोटों के साथ जीत मिली थी। कांग्रेस से विधायक सचिन अब भाजपा के साथ हैं। ऐसे में अरुण यादव के तौर पर एक जिताऊ उम्मीदवार भी वहां दिया जा सकता है। अरुण यादव के छोटे भाई सचिव यादव कसरावद की पारंपरिक सीट से तैयारी कर रहे हैं।
सर्वे के नतीजों के बाद नेताओं का फीडबैक बनेगा आधार
कमलनाथ बार-बार कह रहे हैं कि इस बार उम्मीदवारों के नाम पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे और स्थानीय नेताओं से चर्चा के आधार पर तय होंगे। जनता और कार्यकर्ताओं की ओर से जिसका नाम आएगा, उसे टिकट मिलेगा। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष (समन्वयक) चंद्रप्रकाश शेखर का कहना है कि टिकट कितनी जल्दी घोषित होंगे, यह तो नहीं कहा जा सकता। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जैसा उचित समझेंगे, वैसे-वैसे टिकट घोषित होते जाएंगे। इसके लिए उनके पास सर्वे रिपोर्ट आती जा रही है। वे जिला कांग्रेस, फ्रंटल ऑर्गनाइजेशंस के पदाधिकारियों, वहां के वरिष्ठ नेताओं आदि से चर्चा भी करते जा रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट और चर्चा के आधार पर उचित समय आने पर टिकट का निर्णय किया जाएगा। यह समय जल्दी भी हो सकता है और चुनाव के बेहद नजदीक भी।
लगातार हार वाली 66 सीटों के लिए ऑब्जर्वर नियुक्त
कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश की 66 ऐसी सीटों के लिए अन्य राज्यों के नेताओं को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है, जिन पर लगातार हार मिल रही है। इन 66 में से 40 सीटों पर पिछले तीन महीनों में पीसीसी चीफ कमलनाथ पहुंच चुके हैं। वे जिला पदाधिकारियों, मंडलम और सेक्टर प्रभारियों की बैठक ले चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
5 बार से हार रही सीटों की जिम्मेदारी
सुभाष चोपड़ा (पूर्व अध्यक्ष दिल्ली) – भोपाल और नर्मदापुरम।
प्रदीप टम्टा (पूर्व अध्यक्ष उत्तराखंड)- महाकौशल और विंध्य।
कुलदीप राठौर (पूर्व अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश)- ग्वालियर-चंबल।
अर्जुन मोरवड़िया (पूर्व अध्यक्ष गुजरात)- मालवा और निमाड़।
इन विधायकों के टिकट पर संकट
नीरज दीक्षित – महाराजपुर सीट से पिछली बार चार हजार वोटों के अंतर से जीते। शुरुआती सर्वे में फीडबैक खराब मिला है। यहां से नौगांव नगर पालिका के अध्यक्ष अजय तिवारी और पूर्व सांसद प्रियव्रत चतुर्वेदी की बेटी निधि टिकट के बड़े दावेदार हैं।
विक्रम सिंह नातीराजा – राजनगर सीट से पिछला चुनाव केवल 732 वोटों के अंतर से जीते थे। तीन बार विधायक रह चुके हैं। अब पत्नी कविता सिंह का नाम आगे बढ़ाया है। पूर्व विधायक शंकर सिंह का परिवार भी यहां से टिकट की दावेदारी कर रहा है। शंकर अपने बेटे सिद्धार्थ सिंह बुंदेला के लिए भोपाल में फील्डिंग जमाए हुए हैं।
शिवदयाल बागरी – गुन्नौर सीट से विधायक बागरी पिछला चुनाव 1984 वोटों के अंतर से जीते थे। उनको लेकर संगठन के भीतर कुछ विरोध है। शुरुआती सर्वे के नतीजे भी बहुत उत्साहजनक नहीं हैं।
टामलाल सहारे – बालाघाट के कंटगी से विधायक टामलाल सहारे की उम्र आड़े आ रही है। क्षेत्र में उनकी सक्रियता प्रभावित है। वहां जनादेश का ट्रेंड भी दिलचस्प रहा है। वहां जनता एक व्यक्ति को दोबारा मौका नहीं देती है। ऐसा केवल एक बार हुआ है, वह भी विधायक टामलाल सहारे के साथ ही। यहां से जनता दल का उम्मीदवार भी जीत चुका है। इस ट्रेंड की वजह से पार्टी नया प्रत्याशी उतारने की कोशिश में है।
मुरली पोरवाल – बड़नगर सीट से पिछला चुनाव पांच हजार से कुछ अधिक वोटों के अंतर से जीते थे। छवि अच्छी है, लेकिन क्षेत्र में कुछ नये समीकरणों का उभार हो रहा है। सीट पर एक दौर का सर्वे होना है। ब्लॉक और जिला कांग्रेस कमेटी से मिले फीडबैक बड़ी भूमिका निभाएंगे।
सज्जन ने मंच से घोषित कर दिया उम्मीदवार
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सबसे खास माने जाने वाले पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने हाटपिपल्या से राजवीर बघेल का टिकट फाइनल होने का ऐलान ही कर दिया। हुआ यह कि 4 मई को एक कार्यक्रम के दौरान वर्मा ने कहा कि राजेंद्र सिंह बघेल दिल्ली-भोपाल नहीं गए थे और उनका टिकट फाइनल हो गया था। इसी तरह अब राजवीर बघेल का टिकट भी फाइनल हो गया है। उन्होंने लोगों से अपील की कि उन्हें हाटपिपल्या सीट कांग्रेस के खाते में चाहिए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो के जारी होने के बाद दूसरे प्रत्याशियों ने और भी जतन करना शुरू कर दिए हैं। हालांकि, वर्मा ने यह ऐलान पूर्व मंत्री दीपक जोशी के कांग्रेस में शामिल होने से पहले किया था। वर्मा ने जब यह ऐलान किया था, तब उनका वीडियो वायरल हो गया था और पार्टी में घमासान मच गया था। इस ऐलान के बाद कांग्रेस के दूसरे दावेदारों ने मोर्चा खोल दिया था।