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प्रदेश में कांग्रेस को एकजुट करने निकले दिग्विजय कर रहे तगड़ा होमवर्क के, ‘राजा’ तैयार कर रहे मंत्रियों की कुंडली: चुनाव के दौरान फूटेंगे सियासी बम

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दिग्विजय सिंह को ‘राजनीति का चाणक्य’ यूं ही नहीं कहा जाता। 2018 में 15 साल बाद जब एमपी में कांग्रेस की सरकार बनी तो उसमें दिग्विजय की अहम भूमिका रही। वे प्रदेशभर में घूमे और कई धड़ों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करने का काम किया। कांग्रेस की सत्ता में वापसी को लेकर दिग्विजय सिंह इस बार भी यही रोल निभा रहे है। लेकिन इस बार उनका कुछ और मकसद भी है। वे एक तीर से कई निशाने लगा रहे हैं।

सुना है कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुटता का पाठ पढ़ाने के साथ ही प्रदेश सरकार के मंत्रियों और बीजेपी के विधायकों के बारे में पूरी जानकारी लेते हैं। मतलब उनके हर उस काम का चिट्ठा तैयार करते हैं, जिससे उन्हें जनता के दरबार में घेरा जा सके। इसकी एक बानगी उस समय देखने को मिली, जब हाल ही में एक मंत्री ने दिग्विजय को लेकर बयान दिया, तो उन्होंने मंत्री को यह बता दिया कि उनके बेटे ने कितनी जमीनें खरीदी हैं और किसके नाम पर रजिस्ट्री कराई है।

साफ है, दिग्गी राजा मंत्रियों की कुंडली तैयार कर रहे हैं। वे उन सीटों पर ज्यादा वक्त दे रहे हैं, जो मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र हैं। सुना तो यह भी है कि दिग्विजय बीजेपी के ऐसे नेताओं के भरोसेमंद और करीबियों से संपर्क कर रहे हैं, जिनका स्थानीय स्तर पर प्रभाव है, लेकिन वे हाशिए पर हैं। इनमें ऐसे नेता भी हैं, जिन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने की उम्मीद है। वे यहां तक जानकारी जुटा रहे हैं कि प्रशासन में कौन-कौन से अधिकारी हैं जो ‘सरकार’ के इशारे पर ‘आउट ऑफ वे’ जाकर काम कर रहे हैं।

और हां… ये भी सुना है कि दिग्विजय सिंह जिस जिले का दौरा करने जाते हैं। 3-4 दिन पहले ही उनकी टीम वहां पहुंच जाती है। खास बात ये है कि टीम के सदस्य एमपी के नहीं, बल्कि दिल्ली के होते हैं। जो पहले ही पूरा फीडबैक ले लेते हैं और दिग्विजय सिंह को उसकी जानकारी दे देते हैं।

मतलब ‘राजा’ विरोधियों को घेरने के लिए तगड़ा होमवर्क कर रहे हैं। दिग्विजय के इस अभियान को लेकर बीजेपी के एक नेता की टिप्पणी- वे जितनी भी कोशिश कर लें, उन्हें और उनकी पार्टी को झटके तो बीजेपी ही देगी। बस सही समय का इंतजार कीजिए। उनकी पार्टी के नेता भी हमारे संपर्क में हैं, यह वे कैसे भूल गए?

दो अफसर दे रहे कांग्रेस को सलाह

मध्यप्रदेश में कांग्रेस सत्ता वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही है। कांग्रेस नेता तो पसीना बहा ही रहे हैं, खास बात यह है कि कुछ अफसर भी पर्दे के पीछे से कांग्रेस की मदद में जुट गए हैं।

सुना है कि प्रमुख सचिव स्तर के एक अफसर ने पर्दे के पीछे से कांग्रेस को अपना योगदान देना शुरू कर दिया है। फिलहाल वे लूप लाइन में है। उन्हें उम्मीद नहीं है कि बीजेपी के सत्ता में रहते उनकी प्राइम पोस्टिंग हो पाएगी। लिहाजा वे जनता के सामने कांग्रेस का पलड़ा भारी करने के लिए आइडिया तैयार कर कुछ चुनिंदा नेताओं को दे रहे हैं।

सुना है कि इस काम में उनका साथ एक पूर्व मुख्य सचिव दे रहे हैं, जो रिटायर होने के बाद अपने गृह प्रदेश चले गए हैं। बता दें कि यह वही अफसर हैं, जिनकी पत्नी 15 महीने की कमलनाथ सरकार के दौरान मंत्रालय की पांचवी मंजिल पर पदस्थ रहीं। फिलहाल वे भी लूप लाइन में हैं।

सीएमओ बनवाएंगे विधायक

विधायक बनने के लिए नेताओं को नगर पालिकाओं में उनकी पसंद के सीएमओ की दरकार है। उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनकी पसंद का सीएमओ उनके शहर में पदस्थ नहीं रहेगा, तो वे चुनाव हार जाएंगे। इनमें अधिकतर विधायक हैं, जिन्हें उम्मीद है कि उन्हें फिर से टिकट मिल जाएगा। ऐसे में वे चाहते हैं कि चुनाव के दौरान उनकी पंसद के अफसर शहर में पदस्थ रहें।

सुना है कि अधिकतर विधायकों ने इसके लिए अफसरों के नाम आगे किए है। एक विधायक ने तो अपने पत्र में यह तक लिख दिया है कि यदि उनकी सिफारिश वाले अफसर को जल्द पदस्थ नहीं किया गया तो चुनाव में नुकसान होगा। बता दें कि मई महीने में तबादलों पर लगा बैन खुल जाएगा। इससे पहले ही नेताओं ने सिफारिशें विभागों में भेज दी हैं।

साहब के प्लाट खरीदने का शोर

निर्माण कार्यों से जुड़े एक विभाग के प्रमुख सचिव ने एक प्लाट क्या खरीदा, प्रशासनिक गलियारे में शोर मच गया। इसकी पहली वजह तो यह है कि उन्होंने अपने आप को ईमानदार अफसरों की कैटेगरी में रखा है। दूसरी यह कि उन्होंने रजिस्ट्री सहित अन्य शुल्क का भुगतान नकद किया है।

सुना है कि इस प्लाट का संबंध एक व्यवसायी से है, जो उस विभाग से जुड़ा है, जिसकी कमान साहब के हाथों में थी। बता दें कि साहब ने प्लाट उस कॉलोनी में लिया है, जहां अधिकतर नौकरशाह मकान बना रहे हैं। एफएआर को बढ़ाने के एक आदेश को लेकर यह कॉलोनी विवादों में घिर चुकी है।

अचानक चर्चा में आया अगला नंबर B-15

एक सरकारी बंगला अचानक राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बन गया। यह बंगला है B-15… सुना है कि इस बंगले में बीजेपी के नेताओं की कुंडली तैयार हो रही है। यहां संघ के पदाधिकारियों का आना-जाना बढ़ता जा रहा है। लेकिन कौन, कब आता और जाता है, इसकी जानकारी बंगले के बाहर नहीं आ पा रही है।

खास बात यह है कि मैन गेट पर तैनात गार्ड उसे ही बंगले में एंट्री देते हैं, जिनकी सूचना अंदर से दी जाती है। पता चला है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर जिन 14 नेताओं को प्रदेश का दौरा करने का जिम्मा दिया गया था, उनकी रिपोर्ट पर प्लान ऑफ एक्शन इसी बंगले में तैयार हो रहा है। इतना जरूर बता देते हैं कि यह बंगला एक संगठन के नाम पर आवंटित है। जिसमें संघ से जुड़े 3 नेताओं का अस्थाई ठिकाना है।

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