एमपी में एएनएम की स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति का मामला: सरकारी खर्चे पर तीन साल की ट्रेनिंग दिलाई फिर भी छह साल बाद नहीं मिली नियुक्ति
भोपाल डेस्क :
सरकारी खर्चें पर तीन साल की ट्रेनिंग के बाद भी प्रदेश में छह साल बाद स्वास्थ्य विभाग में एएनएम और एलएचवी कार्यकर्ताओं को स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति नहीं मिल पाई है। उप मुख्यमंत्री और लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री राजेंद्र शुक्ला के कहने पर स्वास्थ्य संचालनायल ने जिलों से प्रदेश में कार्यरत एएनएम और एलएचवी कार्यकर्ताओं की जानकारी मंगवाई है, जिसके बाद वित्तीय परीक्षण के बाद इन कार्यकर्ताओं को स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति दिलवाई जा सके।
1989 में बनाए गए नियमों के अनुसार स्टाफ नर्स के कुल स्वीकृत पदों में से 10 प्रतिशत पद विभागीय एएनएम और एलएचवी कार्यकर्ताओं को 3 साल का प्रशिक्षण दिलवाकर भरने का प्रावधान है, जबकि 90 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। इन नियम के तहत 1989 से 2015 के बीच पिछले 26 सालों से भर्ती की प्रक्रिया जारी रही। यहां 2015 से 2018 के बीच सरकारी खर्चे पर तीन सौ एएनएम और एलएचवी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण तो सरकारी खर्चे पर दिलाया गया, लेकिन इनकी स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति नहीं दी गई।
नोटशीट तो चली, लेकिन नियुक्ति की कार्यवाही नहीं
- एएनएम और एलएचवी कार्यकर्ताओं को स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति/ प्रभार देने के संबंध में विभागीय स्तर पर नियुक्ति दिए जाने की नोटशीट 6 सालों से चल रही है, लेकिन नियुक्ति आदेश जारी नहीं हुए।
- 25 जुलाई को सीधी भर्ती से 110 स्टाफ नर्स के पद भरे जाने के आदेश किए गए, जिनकी नियुक्ति पर नए सिरे से वेतन भत्तों का निर्धारण करने के लिए नए सिरे से वित्तीय प्रावधान करना पड़ रहा है।