मध्यप्रदेश

BJP ने भोपाल में पहली बार दो ब्राह्मणों को टिकट से बिगड़ा जातीय समीकरण, दक्षिण-पश्चिम में फंसा पेंच

भोपाल डेस्क :

भाजपा भोपाल जिले की सात में से छह विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। इनमें पहली बार दो ब्राह्मणों रामेश्वर शर्मा और आलोक शर्मा को टिकट देने से जिले का जातिगत समीकरण गड़बड़ा गया है। 2008 के परिसीमन में सात विधानसभा सीटें होने के बाद से भाजपा यहां एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक राजपूत, एक कायस्थ, एक ओबीसी, एक अल्पसंख्यक और एक एससी वर्ग के उम्मीदवार को टिकट देती रही है।

अब तक घोषित उम्मीदवारों में रामेश्वर शर्मा (हुजूर) और आलोक शर्मा (भोपाल उत्तर) दोनों ब्राह्मण, ध्रुवनारायण सिंह (भोपाल मध्य) राजपूत, विश्वास सारंग (नरेला) कायस्थ, कृष्णा गौर (गोविंदपुरा) ओबीसी और विष्णु खत्री (बैरसिया) अजा को टिकट दिया जा चुका है। अब केवल भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट बची है जबकि जातिगत समीकरण के हिसाब से वैश्य और अल्पसंख्यक दो वर्गों के टिकट शेष हैं।

पिछले चुनाव में भाजपा भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट से चुनाव हार गई थी

उमाशंकर गुप्ता लगातार तीन बार 2003, 2008 और 2013 में यहां से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2003 में यह सीट भोपाल दक्षिण थी। 2018 में हार के बाद अब 2023 में सवाल यह है कि भाजपा यहां से किसी नए चेहरे को उम्मीदवार बनाएगी या गुप्ता पर ही भरोसा जताएगी।

पिछला चुनाव हारे गुप्ता (वैश्य) के साथ रोजगार विकास निगम अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा, बीडीए उपाध्यक्ष सुनील पांडे (दोनों ब्राह्मण) और प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी (जैन-अल्पसंख्यक) व प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा (सिख -अल्पसंख्यक) के नाम भी चर्चा में हैं। समीकरण यह भी है कि परिषद अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी (एससी) को टिकट दे दिया जाए।

7 विधानसभा सीट

  • 149 – बैरसिया
  • 150 – भोपाल-उत्तर
  • 151 – नरेला
  • 152 – भोपाल दक्षिण-प.
  • 153 – भोपाल मध्य
  • 154 – गोविंदपुरा
  • 155 – हुजूर149 – बैरसिया

बराबरी की टक्कर…

दक्षिण-पश्चिम सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच बराबरी की टक्कर नजर आती है। यहां से कांग्रेस के 5 और भाजपा के 7 पार्षद हैं। लेकिन महापौर के चुनाव में महापौर मालती राय को 19,472 की लीड मिली थी। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पीसी शर्मा यहां 6,587 वोट से जीते थे। प्रदेश भाजपाध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि हम ऐतिहासिक जीत की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हर सीट पर केवल कमल का फूल ही उम्मीदवार है। टिकट का फैसला तो केंद्रीय नेतृत्व करेगा।

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