जबलपुर

कलेक्टर ने नाराज होकर सरपंचों ने किया शासन की योजनाओं का बहिष्कार: CM से की कलेक्टर को हटाने की मांग

जबलपुर डेस्क :

जबलपुर कलेक्ट्रेट में आज जिले के सैकड़ो सरपंचों ने धरना दिया और जमकर नारेबाजी की। सरपंच कलेक्टर से मुलाकात करना चाह रहें थे, पर कलेक्टर उनसे बात करने नही आए। जिसके बाद सरपंच और भड़क गए। सैकड़ों सरपंचों ने कलेक्टर गेट पर धरना दे दिया। सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस पहुंची और कलेक्ट्रेट का गेट बंद कर सरपंचों को समझाइश देनें में जुट गई। सरपंचों के हंगामे को देखतें हुए अपर कलेक्टर उनसे मिलने आई, पर सरपंच कलेक्टर से मिलने के लिए आड़े रहें। घंटों बीत जानें के बाद भी जब कलेक्टर नही आए तो एक मत होकर जिले के सभी सरपंचों ने ऐलान किया कि अब कलेक्टर के हर कार्यक्रम और दौरे का बहिष्कार किया जाएगा। और कलेक्टर के किसी भी कार्यक्रम में उपस्थित नही होंगे।

प्रदर्शन कर रहें सरपंचों का कहना है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आश्वासन दिया था कि पंचायतें संबंध संपर्क और समन्वय से चलाई जाएंगी। लेकिन बीते 5 सालों में धीरे-धीरे पंचायत के पूरे अधिकार हम लोगों से छीन लिए गए। अब ना ही पंचायत के पास और ना ही सरपंच पास कोई अधिकार बचा है, जबकि 1993- 94 में पंचायती राज अधिनियम के दौरान पंचायत के पास कई अधिकार हुआ करते थे। लेकिन अब सरकार ने सभी अधिकार छीन लिए हैं। मध्यप्रदेश सरपंच संगठन के बैनर तले आज जबलपुर कलेक्टर गेट पर 7 घंटों से ज्यादा जिले भर से आए सैकड़ों सरपंचों ने प्रदर्शन किया।

सरपंच संघ के सदस्य शिव प्रसाद पटेल का कहना है कि ग्राम पंचायत के सरपंचो से सभी अधिकार छीनकर पंचायती राज को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। आज सरपंच के पास इतने अधिकार भी नही है कि वह अपने गांव के गरीब ग्रामीणों के लिए गरीबी रेखा कार्ड की अनुशंसा कर सकें, या फिर उन्हें मूल निवासी प्रमाण पत्र बनाव सकें। पंचायत में खनन होता है, लेकिन राजस्व माइनिंग विभाग को मिलता है। पंचायत चलाने के लिए सरकार मात्र 5 लाख रुपए देती है, पर इस महंगाई के समय में जब एक घर इतने रुपए में में नहीं चल पाता तो पूरी पंचायत को चलाना बहुत कठिन है।

सरपंच संगठन बीते कई दिनों से कोशिश कर रहा था कि सरकार से उनकी बात हो और उनके पुराने अधिकार उन्हें दिए जाएं लेकिन शासन ने उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया इसकी वजह से अब धरना दिया जा रहा हैं। सरपंचों का कहना है कि सरकार कहती है कि ग्रामीणों से टैक्स लेकर पंचायत के काम करें लेकिन गांव के ग्रामीण के पास जब खाने को कुछ नही है, तो वो टेक्स कहा से देगा।

घंटों तक कलेक्ट्रेट गेट पर बैठे रहने के बाद भी जब कलेक्टर सौरभ के सुमन जिले भर से आए सरपंचों से मिलने नहीं आए तो सभी ने एकमत होकर यह फैसला लिया है कि अब शासन की किसी भी योजनाओं को लेकर काम नहीं करेंगे। साथ ही कलेक्टर के कार्यक्रम में भी शामिल नहीं होंगे। सरपंच संघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जल्द से जल्द जबलपुर कलेक्टर को हटाया जाए। क्योंकि आज गांव की सरकार परेशान है, और कलेक्टर कैबिन में आराम से बैठे हुए है।

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