
इंदौर डेस्क :
सरकारी महकमे को अजीब रोग है। कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने के बाद याद आता है कि उसमें संशोधन करना हैं। मामला शासकीय कैंसर अस्पताल का है। एमवायएच की नई ओपीडी के पास इसे बनाया जा रहा है। शुरू में यह 40 करोड़ का प्रोजेक्ट था, लेकिन अब लागत 80 से 90 करोड़ तक हो गई है। इसका नया प्रस्ताव अभी शासन को नहीं भेजा है, लेकिन बेड क्षमता 200 से बढ़ाकर 325 कर दी गई है। वहीं न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग को अब जोड़ा जा रहा है।
जब कोई प्रोजेक्ट शुरू होता है तो बाकायदा कंसल्टेंट से उसकी डिजाइन सहित सारा काम करवाया जाता है। इसमें इस बात का ख्याल रखा जाता है कि भविष्य के हिसाब से विस्तार और नई टेक्नोलॉजी को इसमें शामिल कर लिया जाए, लेकिन मेडिकल कॉलेज के इस अस्पताल में काम शुरू होने के बाद याद आया है कि बेड अधिक होना चाहिए। वहीं न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग भी जोड़ा जाए ताकि पेट स्कैन मशीन लगाई जा सके। अब इसे मंजूरी मिलने सहित अन्य खानापूर्ति में महीनों या सालभर भी लग सकता है।
यकीन कीजिए…अब तक नींव भी खड़ी नहीं कर पाए
ट्रामा सेंटर रोककर कैंसर हॉस्पिटल प्रस्तावित किया
दरअसल, 2 साल पहले पीजी अपग्रेडेशन प्रोजेक्ट के तहत इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज को 192 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था। पहले 50 बेड का आईसीयू और ट्रामा सेंटर बनना था, लेकिन उन कामों को रोक दिया गया। ऐन मौके पर कैंसर हॉस्पिटल प्रस्तावित किया। खुदाई, जुड़ाई भी शुरू हो गई लेकिन इसी बीच निर्माण एजेंसी पीआईसीयू ने नया पेंच बता दिया। अफसरों ने इसमें नई सेवाएं जोड़ने के लिए कह दिया है।
जिला अस्पताल का हश्र भी ऐसा ही हुआ : वर्ष 2018 से जिला अस्पताल बन रहा है। 6 साल में 100 बेड का अस्पताल तक नहीं बन पाया। यहां भी लागत बढ़ने वाला पेंच फंसा था। कभी 100 बेड तो कभी 300 बेड में अस्पताल की नई बिल्डिंग उलझकर रह गई।
ऑडिटोरियम की लागत 3 गुना बढ़ी
एमसीआई की शर्तों के अनुसार एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 7 करोड़ से 1000 सीट वाला ऑडिटोरियम बनाया जाना था। कॉलेज प्रशासन ने 9.5 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, लेकिन काम पूरा करने के लिए निर्माण एजेंसी ने 11 करोड़ और मांगे। पीजी अपग्रेडेशन के तहत जब पैसा मिला तो यह काम पूरा किया गया। यानी प्रोजेक्ट की मूल लागत से तीन गुना ज्यादा खर्च हुआ।
बेड क्षमता सहित कुछ संशोधन हैं
कैंसर अस्पताल में बेड क्षमता सहित कुछ संशोधन हैं, जिस कारण लागत 35 से 40 करोड़ रुपए बढ़ गई है। हम शासन को प्रस्ताव भेज रहे हंै।
– राजेश मकवाने, पीडब्ल्यूडी



