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आचार्यश्री विद्यासागर महाराज जी ने ली समाधि: मध्यप्रदेश में आधे दिन का राजकीय शोक

आचार्यश्री की प्रेरणा से भोपाल में बन रहा जैन मंदिर

न्यूज़ डेस्क :

राष्ट्रीय संत दिगंबर मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में शनिवार-रविवार की मध्यरात्रि 2:35 बजे समाधि ली। आज दोपहर पंचतत्व में विलीन हो गए।

प्रदेश सरकार ने आचार्यश्री के सम्मान में आधे दिन का राजकीय शोक घोषित करते हुए सभी सांस्कृतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। सरकार की ओर से कैबिनेट मंत्री चैतन्य काश्यप, संत विद्यासागर के समाधि कार्यक्रम में शामिल हुए।

वर्ष 2016 में आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज का भोपाल में चातुर्मास हुआ था। उन्हीं की प्रेरणा से एमपी नगर में जैन मंदिर का निर्माण हो रहा है।

आचार्यश्री ने 2016 में भोपाल में किया था चातुर्मास

आचार्यश्री का भोपाल में प्रथम आगमन महावीर जयंती के अवसर पर अप्रैल 2002 में हुआ था। तब यहां 17 से 25 अप्रैल तक उनके लाल परेड मैदान समेत कई स्थानों पर प्रवचन हुए थे। इसके बाद उनका आगमन 9 दिसंबर 2003 में हुआ। टीटी नगर दशहरा मैदान में पंचकल्याणक और चौक दिगंबर जैन मंदिर में शिखर कलशारोहण उन्हीं के सान्निध्य में हुआ था।

तीसरा आगमन उनका 18 जुलाई 2016 को हुआ था। उन्होंने यहां चातुर्मास किया था। विद्यासागर महाराज भोपाल आए थे। उन्होंने भानपुर से सुबह छह बजे विहार प्रारंभ किया था। ‘नमोस्तु-नमोस्तु’ के जयघोष के बीच जगह-जगह उनपर पीले चावल की वर्षा की गई थी। आचार्यश्री करीब 15 किलोमीटर पदविहार करते हुए पौने दो घंटे में हबीबगंज जैन मंदिर पहुंचे थे।

भोपाल में बन रहा देश का सबसे ऊंचा जैन मंदिर

रानी कमलापति स्टेशन के नजदीक लाल पत्थर से दिगंबर जैन मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसका निर्माण कार्य विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से 2015 में शुरू किया गया। ये देश में सबसे ऊंचा जैन मंदिर होगा। इसकी ऊंचाई करीब 153 फीट होगी। इसी मंदिर में संत श्री विद्यासागर महाराज ने चातुर्मास किया था।

इस मंदिर को पूरी तरह से तैयार करने के लिए 2024 तक की समय सीमा निर्धारित की गई है। निर्माण प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह जैन समुदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल होगा। मंदिर परिसर में ही जैन आचार्य-मुनियों के निवास के लिए संत निवास, प्रवचन सभागार, छात्रावास, पुस्तकालय और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए डिस्पेंसरी भी बनेगी। मंदिर का डिजाइन दिल्ली में अक्षरधाम बनाने वाले अहमदाबाद के आर्किटेक्ट वीरेंद्र त्रिवेदी ने तैयार किया है।

मध्यप्रदेश में शोक की लहर

विद्यासागर जी महाराज के समाधि की खबर से भोपाल सहित पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। लोग विद्यासागर महाराज के सानिध्य और प्रदेश में जहां-जहां उन्होंने प्रवास किया उन दिनों को याद कर रहे हैं। प्रदेश के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। एमपी के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ समेत कई नेताओं ने दुख जताया है।

पढ़िए किसने क्या कहा…

अब आचार्यश्री के बारे में जानिए

आचार्यश्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगांव के ग्राम सदलगा में हुआ था। उनके बाल्यकाल का नाम विद्याधर था। आचार्यश्री ने कन्नड़ के माध्यम से हाई स्कूल तक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद वे वैराग्य की दिशा में आगे बढ़े। 30 जून 1968 को मुनि दीक्षा ली। आचार्य का पद उन्हें 22 नवंबर 1972 को मिला।

आचार्यश्री ने लिखी हैं कई पुस्तकें

आचार्यश्री जैन दर्शन पर कई पुस्तकें लिखने के साथ ही कविता लेखन भी करते रहे। उन्होंने माटी को अपने महाकाव्य का विषय बनाया और मूक माटी नाम से एक खंडकाव्य की रचना की। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित उनकी यह पुस्तक बहुत लोकप्रिय हुई। विचारकों ने इसे एक दार्शनिक संत की आत्मा का संगीत कहा। इससे कई छात्र अपने शोध के लिए बतौर संदर्भ इसे उपयोग में ला रहे हैं। उनकी अन्य रचनाएं नर्मदा का नरम कंकर, डूबो मत लगाओ डुबकी आदि हैं।

 

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