कूनो के चीता ‘ज्वाला’ के 3 शावकों का वजन कम…इसलिए गई जान: चौथे शावक की सेहत में सुधार, CM ने बुलाई मीटिंग
न्यूज़ डेस्क :
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता ‘ज्वाला’ के 3 शावकों की मौत की वजह तेज गर्मी के साथ उनके वजन को भी बताया गया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को वन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि मृत तीनों शावकों का वजन 1.6 किलोग्राम था, जबकि इस आयु में वजन 3 किलो तक रहता है। पोषण की कमी के साथ तेज गर्मी ही संभावित कारण है। इधर, चौथे शावक की सेहत में सुधार आ रहा है। शुक्रवार को कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन में एक्सपर्ट की टीम शावक की निगरानी में जुटी रही।
मुख्यमंत्री चौहान को अफसरों ने शावकों की मृत्यु के कारण, चीतों को बसाने, उनके क्वारेंटान रखने की अवधि और देख-रेख के संबंध में जानकारी जानकारी दी। पीसीसीएफ जेएस चौहान ने बताया कि 23 मई को चीता शावकों की हुई मृत्यु के संभावित कारण पोषण में कमी और अत्यंत गर्मी का मौसम प्रतीत हो रहा है। चौथे शावक को रेस्क्यू कर वन्य-प्राणी चिकित्सकों की निगरानी में इलाज किया जा रहा है। शावक के स्वास्थ्य में सुधार दिख रहा है। मृत शावकों का वजन अत्यंत कम 1.6 किलोग्राम था, जबकि मानकों के अनुसार इस आयु के शावकों का वजन लगभग 3 किलोग्राम होना चाहिए।
3 चीतों को खुले में छोड़ेंगे
कूनो में अब तक कुल छह चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया है। जिनकी मानीटरिंग की जा रही है। पीसीसीएफ चौहान ने बताया कि आगामी दिनों में 3 और चीतों को खुले जंगल में छोड़े जाने की योजना है। गांधीसागर अभयारण्य में भी आवश्यक तैयारी प्रारंभ हो चुकी हैं, जो नवंबर तक पूरी होने की संभावना है। इसी तरह नौरादेही अभयारण्य में भी तैयारी प्रारंभ की जानी है। सीएम ने निर्देश दिए कि नौरादेही और गांधीसागर अभयारण्य में इन तैयारियों के लिए टाइम लाइन निर्धारित कर इसे नवगठित प्रोजेक्ट चीता स्टीयरिंग कमेटी से अनुमोदन करवाएं।
कूनो में अब 18 चीते बचे
पहली खेप में नामीबिया से 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन्हें बाड़े में रिलीज किया था। इसके बाद 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए थे। नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला ने मार्च में 4 शावकों को जन्म दिया था। पहले 3 चीतों और फिर एक-एक कर 3 चीता शावकों की मौत हो गई। अब कूनो में 18 चीते ही रह गए हैं।
पहली बार मां बनी ‘ज्वाला’
मादा चीता ज्वाला स्वस्थ है। वह पहली बार मां बनी है। चीता शावकों की उम्र लगभग 8 हफ्ते है। इस उम्र में वे चीजों को समझने की कोशिश करते हैं और मां के साथ लगातार चलते हैं। शावकों ने अभी लगभग 8-10 दिन पहले ही मां ज्वाला के साथ घूमना शुरू किया था।
कब-कब हुई चीतों की मौत
- 26 मार्च को नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत
- 23 अप्रैल को साउथ अफ्रीका से लाए गए चीता उदय की मौत
- 9 मई को दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की मौत
- 23 मई को नामीबिया से लाई गई ज्वाला के एक शावक की मौत
- 25 मई को ज्वाला के दो और शावकों की मौत