आनंदपुर डेस्क :
आनंदपुर में चल रही रामलीला मंचन के तीसरे दिन परशुराम लक्ष्मण संवाद की लीला का मंजन किया गया। इससे एक दिन पहले ही भगवान राम ने मिथिला में शिव धनुष भंग कर सीता से नाता जोड़ा था। जैसे ही भगवान परशुराम को इस घटना के संकेत मिले तो वह अपनी तपस्या से विचलित हो गए, उन्होंने जानने की कोशिश की पृथ्वी पर कोई अनर्थ हुआ है उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा और जनकपुरी पहुंचे जहां पर भगवान राम लक्ष्मण ने गुरु विश्वामित्र के साथ उनको शीश झुका कर स्वागत बंधन किया।
तब भगवान परशुराम राजा जनक से पूछते हैं कि बताओ ये भगवान शिव का धनुष किसने तोड़ा है। और वहां पर राजसभा में उपस्थित सभी राजाओं पर क्रोधित होते हैं और उनकी वीरता को ललकारते हैं। कहते हैं कि यह शिव धनुष किसने तोड़ा है। इस पर लक्ष्मण जी बोल उठे और उन्होंने कहा कि ऐसी धनवा बचपन में हमने हजारों तोड़ी हैं ऐसा इस धनुष में क्या है जो आप इतना क्रोधित हो रहे हैं। जिस पर भगवान परशुराम ओर क्रोधित हो जाते हैं और लक्ष्मण जी और भगवान परशुराम के बीच जोरदार संवाद होने लगता है देखते ही देखते यह संवाद अपने चरम पर पहुंचने ही वाला होता है तभी भगवान राम आगे आकर मुनिराज से हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि बालक से कोई गलती हुई हो तो क्षमा करें। कोई शिव का भक्ति ही यह गलती कर सकता है। आप हम सभी से सर्वगुण संपन्न श्रेष्ठ हो तब परशुराम जी को एहसास होता है कि इस पृथ्वी पर नारायण का जन्म हो चुका है अपनी शंका दूर करने के लिए वह भगवान राम को अपना धनुष देते हुए कहते हैं कि राम मेरे इस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा कर मेरी शंका दूर करें तब भगवान राम ने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाकर परशुराम जी की शंका का समाधान किया तब जाकर परशुराम जी वहां से त्रिकूट पर्वत के लिए निकल जाते हैं।
परशुराम संवाद के बाद भगवान राम का सीता जी से विवाह संपन्न होता है जिसमें सभी उपस्थित भगवान राम सीता के चरण पखारते हैं। परशुराम का अभिनय महेश पाराशर,और लक्ष्मण का अभिनय मनोज राव ने बड़े ही शानदार तरीके से कर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। रामलीला के चौथे दिन आनंदपुर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के हजारों लोगों ने रामलीला मंचन का आनंद लिया।