भोपाल डेस्क :
राजधानी से सटे औबेदुल्लागंज वन मंडल के तहत रातापानी सेंचुरी में एक बाघ की मौत हो गई। गुरुवार को उसका शव करमई गौहरगंज बीट में पहाड़ी के पास मिला। बताया जा रहा है कि बाघ घायल था और पांच दिनों से क्षेत्र में घूम रहा था। ग्रामीणों ने इसका वीडियो बनाकर सेंचुरी के अफसरों को भेजा था। टीम पहुंची भी, लेकिन बाघ को रेस्क्यू नहीं कर पाई।
अफसरों का तर्क है कि बाघ पहाड़ी पर चला गया था, जहां खड़ी चढ़ाई होने के कारण वाहन का जाना संभव नहीं था। बाघ को मटन का लालच दिया गया लेकिन वह नीचे नहीं आया। इसलिए उसे बचाया नहीं जा सका। सेंचुरी प्रबंधन का कहना है कि बाघाें में टेरिटोरियल फाइट होने के कारण बाघ घायल हो गया था। पाेस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही इसका सही कारण पता चल सकेगा।
बाघ का पाेस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार कर दिया। रातापानी सेंचुरी के अधीक्षक सुनील भारद्वाज ने बताया गुरुवार सुबह 7:30 बजे नर बाघ का शव होने की सूचना मिली थी। हमने मौके पर रेस्क्यू टीम भेजी। मृतक बाघ की उम्र करीब ढाई साल थी। वह बुरी तरह जख्मी था। गुरुवार को शायद वह करमई की पहाड़ी से उतरकर पानी की तलाश में आया होगा और इसी दौरान उसकी मौत हो गई।
टेरेटरी को लेकर बाघों के बीच संघर्ष की आशंका
अभयारण्य अधीक्षक भारद्वाज ने बताया कि टाइगर अपनी टेरेटरी बना रहा था। संभवतः इसी दौरान वह किसी दूसरे बाघ के एरिया में चला गया होगा। दोनों के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें वह बुरी तरह से घायल हो गया था। उन्होंने बताया कि सेंचुरी में लंबे समय बाद टेरिटोरियल फाइट में बाघ की मौत का मामला देखने को मिला है।
ग्रामीणों ने दी थी सूचना
करमई क्षेत्र के ग्रामीणों ने पांच दिन पहले एक घायल बाघ के बारे में वन विभाग को सूचना दी थी। तब से वन विभाग का अमला बाघ को खोज रहा था।
14 सदस्यीय रेस्क्यू टीम
भारद्वाज ने बताया कि वन विहार की 14 सदस्य रेस्क्यू टीम वहीं पर डेरा डालकर लगातार मॉनिटरिंग कर रही थी। वन विहार के डाक्टरों के अनुसार बाघ को बेहोश करने पर वह 20-25 मिनट तक होश में नहीं आता है, लेकिन वह इतनी ऊंचाई पर था कि नीचे आने में हमें ही 1 घंटे से अधिक का समय लग जाता।