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मां के संघर्ष ने बेटे को बनाया IPS ऑफिसर: आज भी कच्चे घर में रहती हैं, बेटा बोला- उनका हर सपना पूरा करूंगा

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बेटे की सफलता ने सजनो देवी की वो तकलीफ बहुत कम कर दी है जो पति की मौत के बाद उन्होंने अकेले 18 साल खेतों में जी-तोड़ मेहनत कर पाया था। दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी कस्बे से 15 किलोमीटर दूर नाहर खोहरा गांव के अरविंद मीना IPS अधिकारी बन गए हैं।

महिला दिवस विशेष- सजनो देवी की कहानी…

बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले अरविंद का घर आज भी छप्परपोश है। पिता की 2005 में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। दो बेटों को मां सजनो ने खेतों में कड़ी मेहनत कर पढ़ाया-लिखाया। वे खुद अनपढ़ हैं, लेकिन पढ़ाई का महत्व समझती हैं।

पति की मौत के बाद ससुराल ने भी साथ छोड़ दिया। किसी से मदद नहीं मिली। अपने दो बच्चों को पढ़ाना तक मुश्किल हो रहा था, लेकिन सजनो देवी ने हिम्मत नहीं हारी।

सजनो देवी बताती हैं कि एक छप्परपोश घर के बाहर कुछ मवेशी बंधे हुए थे। अंदर जाकर उनसे मिलना हुआ। उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से मना कर दिया। काफी बातचीत के बाद वे इसके लिए तैयार हुईं।

पति की मौत ने बदला जीवन

सजनो देवी कहती हैं कि पति की मौत ने सब कुछ उथल-पुथल कर दिया। वे उसे दिन को याद करते हुए बताती हैं कि 6 जून 2005 को गांव में शादी थी। रिश्तेदार आए हुए थे। पूरे गांव में खुशियों का माहौल था। पति फतेह सिंह बोले- मैं काम से जा रहा हूं, घर में सामान रखा है। शाम को दाल बाटी या चावल मूंग की खिचड़ी बना लेना।

सजनो देवी की आंखें भीग गईं, कहा- क्या पता था उनसे ये आखिरी बातचीत होगी। वे जुगाड़ (इंजन वाला वाहन) में चारा ले जा रहे थे। महवा के बालाहेड़ा के पास सामने से आ रहे ट्रक ने टक्कर मार दी। उनकी मौत हो गई। शादी के 12 साल बाद सुहाग नहीं रहा। दोनों बच्चे अरविंद और अल्पेश छोटे थे।

बेटे को सैनिक स्कूल में पढ़ाया

सजनो ने बताया कि उनका पीहर अलियापाड़ा (दौसा) में है। परिवार में सभी भाई बहन पढ़े लिखे थे। मैं बिल्कुल नहीं पढ़ी। मुझे साल तो याद नहीं, लेकिन नाबालिग उम्र में ही माता-पिता ने नाहर खोहरा निवासी फतेह सिंह मीना से शादी कर दी थी।

शादी के समय पति खेती-किसानी करते और जुगाड़ चलाते थे। जिंदगी अच्छी कट रही थी। कुछ साल बाद दो बेटे अरविंद और अल्पेश हुए। पति कहते थे कि जब ये दोनों बड़े होंगे तो उन्हें कलेक्टर बनाऊंगा। लाल बत्ती में गांव आया करेंगे।

उन्होंने इस सपने को साकार करने के लिए 10 साल के बड़े बेटे अरविंद को चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भर्ती करा दिया। बेटे को पढ़ाई के दौरान किसी भी चीज की कमी महसूस न हो, इसके लिए दिन रात पति-पत्नी खेतों में कड़ी मेहनत मजदूरी करते। पति की मौत के बाद बच्चों की जिम्मेदारी सजनो देवी पर आ गई।

पति के मौत के 12 दिन तक तो परिवार के सदस्यों सहित रिश्तेदारों का घर में तांता लगा रहा, लेकिन 12 दिन बीतने के बाद ससुराल पक्ष की ओर से किसी ने मदद नहीं की। दो बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाना मुश्किल हो रहा था।

सजनो देवी ने बताया- पता चल गया था कि अकेले ही बच्चों का भविष्य संवारना होगा, हिम्मत नहीं हारी। बड़े बेटे अरविंद की पढ़ाई जारी रखी। सर्दियों में पूरी रात फसल में पानी देना। उसके बाद सुबह घर के काम करना। मजदूरी करके एक-एक पाई जोड़कर अरविंद की पढ़ाई का खर्चा उठाया।

बेटा जैसे-जैसे बड़ा होता गया। उसकी पढ़ाई का खर्चा भी बढ़ता गया। अरविंद (28) की पढ़ाई में खर्चा बढ़ा तो छोटे बेटे ने भी मेरे साथ खेती में हाथ बंटाना शुरू कर दिया। आखिर वर्षों की मेहनत सफल हुई और अरविंद (IPS) भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी बन गया।

अरविंद मीना को पंजाब कैडर मिला है। फिलहाल अरविंद 2 साल से हैदराबाद में ट्रेनिंग ले रहे हैं। वे 2020 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं। सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में 12वीं तक पढ़ाई करने वाले अरविंद ने आईआईटी रायपुर (छत्तीसगढ़) में इलेक्ट्रॉनिक से बीटेक की थी।

पोस्टिंग के बाद मां को कराऊंगा हवाई यात्रा

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अरविंद मीना ने बताया- मैं अपनी सफलता का श्रेय मां को देता हूं। उन्होंने जीवन में कड़ा संघर्ष कर मुझे यहां तक पहुंचाया है। मैं जो कुछ हूं, उन्हीं की बदौलत हूं। मां ने कड़ाके सर्दी में भी खेतों मे काम किया।

शीतलहर चलती तो बाकी किसान खेतों में पानी देने नहीं जाते थे, मां जाती थी। वे कहते हैं कि- मैं हर वो काम करूंगा जिससे उन्हें खुशी और गर्व हो। अरविंद ने कहा- अब छोटे भाई अप्लेश को भी सिविल सर्विस की तैयारी करवाऊंगा।

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