रायपुर

प्रदेश को 2025 तक मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य , लोगों के जीवन में फिर से रोशनी लाने चल रहा है महाअभियान

रायपुर डेस्क :

छत्तीसगढ़ में दृष्टिहीनता को मिटाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान में मोतियाबिंद के लगभग 4 लाख मरीजों की आंखो की रोशनी लौटाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सभी जिलों में व्यापक तैयारी शुरू कर दी गई है। मोतियाबिंद के मरीजों के ऑपरेशन का काम शुरू कर दिया गया है। इस अभियान में छत्तीसगढ़ को 2025 तक मोतियाबिंद मुक्त राज्य बनाने का संकल्प रखा गया है।
मोतियाबिंद मुक्त राज्य बनाने के लिए गांव-गांव में मरीजों के चिन्हांकन के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा दृष्टिदोष रोगियों की सूची तैयार की जा रही है। जिला अस्पताल में ऑपरेशन के लिए पर्याप्त संख्या में चिकित्सक एवं जरूरी स्टॉफ तैनात किए गए हैं। मरीजों की नेत्र परीक्षण के साथ-साथ मोतियाबिंद ऑपरेशन की भी व्यवस्था है। मोतियाबिंद के मरीजों को लाने और ले जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था भी की गई है। ऑपरेशन के बाद मरीजों की भर्ती के लिए पर्याप्त संख्या में बिस्तरों की व्यवस्था भी की गई है। ऑपरेशन के अलावा मरीजों को आंखो की देखभाल के लिए परामर्श के साथ-साथ चश्मा एवं दवाईयों की निःशुल्क व्यवस्था भी की जा रही है। इसके अलावा लोगों को आंखों की देखभाल और आंखों में होने वाले बीमारियों के बारे में इलाज के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। बस्तर अंचल में आंखों की बीमारी और आंखों की देखभाल करने के संबंध में लोगों को स्थानीय बोली में जागरूक भी किया जा रहा है।

20 सालों बाद लोगों को फिर से देखकर भावुक हुए पाण्डू

सुकमा जिले के कोयाबेकुर निवासी ओयामी पाण्डू ने अपने जीवन की 20 बरस अंधकार में गुजार दिए। जब उनका मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद उनके आंखों की रोशनी लौटी तो उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। पांडू ने जब पुनः दुनिया के रंगों को देखा, तो उसने उत्साह में गिनती भी गिनी, डॉक्टर को धन्यवाद भी दिया और अपनी चमकती आंखों के साथ अपने गांव लौटने की आतुरता भी पांडू में साफ नजर आ रही थी।
ओयामी पाण्डू ने बताया कि उम्र बढ़ने के कारण धीरे-धीरे आंखों की रोशनी कम होने लगी थी, जिससे वे अपने दैनिक जीवन का कामकाज नहीं कर पा रहे थे। शुरू में वे बैगा-गुनिया के पास भी गए और देशी दवाइयों का भी सेवन किया। कई प्रयासों के बाद भी आंखों की रोशनी नहीं लौटी। पाण्डू ने बताया कि आंखों की रोशनी जाने से खेती किसानी का काम भी नही हो पा रहा था।
ओयामी पाण्डू आगे बताते हैं कि रोशनी जाने के बाद से हर एक काम के लिए पत्नी और बेटों पर आश्रित हो गया था। उनकी पत्नी कोसी को भी एक आंख से दिखाई नहीं देता था, जिसका ऑपरेशन भी अभी हुआ है। मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद अब हम दोनों अच्छे से देख पा रहे हैं। पहले की तरह आंखों की रोशनी पाकर हम बहुत खुश है। अब मेरी पत्नी घर का काम अच्छे से कर पाएगी और मैं बेटों के साथ खेती किसानी करने जाऊंगा। पाण्डू ने भावुक होते हुए कहा कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन से एक नई रंगबिरंगी जिन्दगी मिली है और इसके लिए मैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी का आभार व्यक्त करता हूँ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!