सचिन की यात्रा खत्म,आर-पार की जंग शुरू: उठाई 3 नामुमकिन मांगें, इरादे साफ- लड़ेंगे, लेकिन कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे
जयपुर डेस्क :
सचिन पायलट खेमे की जनसंघर्ष यात्रा का भले ही जयपुर में समापन हो गया हो, लेकिन इसके साथ ही गहलोत के खिलाफ आर-पार की जंग की शुरुआत भी हो गई है।
जयपुर की सभा में जुटी भीड़, मंच से आक्रामक भाषणों से पायलट गुट ने इरादे साफ कर दिए हैं। लगभग नामुमकिन 3 मांगों को 15 दिन में पूरा करने का अल्टीमेटम देकर पायलट ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अब निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे।
अपने राजनीतिक कॅरियर में पहली बार सचिन पायलट इस तरह आक्रामक नजर आए। जिस अंदाज में जमकर सरकार और मुख्यमंत्री को घेरा, उससे अब कांग्रेस में भारी खींचतान सामने आना तय है।
पायलट गुट अब मांगों से पीछे नहीं हटेगा। अब कांग्रेस हाईकमान के सामने दुविधा की स्थिति हो गई है। क्योंकि सभा के बाद गहलोत गुट पायलट गुट को नोटिस देने और कार्रवाई के लिए दबाव बनाएगा। कार्रवाई नहीं करते तो गहलोत गुट नाराज और अगर कार्रवाई करते हैं तो उसका सियासी फायदा पायलट गुट को ही मिलेगा।
भास्कर ने पायलट की पांच दिन की यात्रा और सभा का एनालिसिस किया और जानने की कोशिश की कि इसके जरिए सचिन पायलट क्या मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं…
पहला मैसेज : अपने दम पर राजधानी में भीड़ जुटाई
सचिन पायलट ने जनसंघर्ष यात्रा के आखिरी दिन शक्ति प्रदर्शन किया। पहली बार राजधानी में पायलट ने खुद के दम पर सभा करके समर्थकों को जुटाया।
आज पायलट की यात्रा की तुलना राहुल गांधी की यात्रा से की जा रही थी। पायलट की यात्रा और सभा में आने वाली भीड़ उनके दम पर जुटाई हुई भीड़ थी, इसमें कांग्रेस के नाम पर आने वाली भीड़ नहीं थी।
पायलट ने कांग्रेस को मैसेज देने की कोशिश की कि वे अपने दम पर सियासत कर सकते हैं और उतनी ही भीड़ भी जुटा सकते हैं।
पायलट की सभा में दो मंत्री सहित 14 विधायक, एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष, खुद के साथ दो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, एक पूर्व स्पीकर जुटे, जो सियासी रूप से अहम माना जा रहा है।
दूसरा मैसेज : आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे
सचिन पायलट ने सभा से आर-पार की लड़ाई का संदेश दिया। 15 दिन में तीनों मांगें पूरी नहीं होने पर प्रदेश भर में आंदोलन की चेतावनी देकर पायलट ने इरादे साफ कर दिए हैं कि वे अब पीछे हटने वाले नहीं हैं। पायलट जिस अंदाज में पिछले एक महीने से सरकार को घेर रहे हैं, उससे साफ है कि अब आगे उनके हमले और तेज होंगे।
तीसरा मैसेज : पार्टी नहीं, अब जनता के बीच जाएंगे
सचिन पायलट पहली बार इतने आक्रामक नजर आए। सभा के जरिए उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने मुद्दों को लेकर अब पार्टी हाईकमान के सामने जाने की बजाय जनता के बीच जाएंगे।
आंदोलन की चेतावनी का मतलब यही माना जा रहा है। जबकि अब तक पायलट हाईकमान के सामने बात रखते थे।
पायलट पहले भी गहलोत पर वसुंधरा राजे से मिलीभगत का इशारा करके बीजेपी राज के करप्शन पर कार्रवाई को लेकर नाउम्मीदी जता चुके हैं।
चौथा मैसेज : मांगें पूरी होना मुश्किल, आंदोलन तय
पायलट ने आरपीएससी को भंग करने, पेपरलीक से पीड़ित कैंडिडेट्स को मुआवजा देने और बीजेपी राज के करप्शन पर 15 दिन में कार्रवाई की मांग की है।
तीनों मांगें 15 दिन में पूरी होना लगभग नामुमकिन है। जानकारों के मुताबिक तीनों ही मांगें ऐसी हैं, जिन्हें मौजूदा माहौल में सरकार पूरा नहीं करेगी।
उनमें कई स्तर की व्यावहारिक और राजनीतिक दिक्कतें भी हैं। इन मांगों को सरकार मान लेती है तो मैसेज जाएगा कि सीएम गहलोत को पायलट ने झुका दिया और गहलोत ऐसा बिल्कुल नहीं चाहेंगे।
पांचवां मैसेज : भाषणों से साफ कर दिए इरादे
पायलट समर्थक विधायकों ने अपने भाषणों में सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ खुली जंग का ऐलान करने का मैसेज दे दिया है।
मंत्री हेमाराम चौधरी, राजेंद्र गुढ़ा, विधायक मुकेश भाकर, वेद सोलंकी ने सीएम अशोक गहलोत पर झूठे आरोप लगाने और भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने अपनी ही सरकार को भ्रष्टाचार में डूबी हुई बताकर सियासी लाइन साफ कर दी। गुढ़ा ने खुद पर कार्रवाई को लेकर भी साफ इशारा कर दिया। गुढ़ा के इस बयान ने बीजेपी को भी मौका दे दिया है।
हेमाराम चौधरी ने सियासी संकट में पैसा लेने के गहलोत के आराेपों पर पलटवार करते हुए सवाल किया कि ऐसे आरोप लगाकर हमें मंत्री बना रखा है। अगर उनके पास सबूत हैं तो मंत्री पद से हटा दें। हेमाराम ने गहलोत को चैलेंज करके सियासी मैसेज दे दिया है कि जरूरत पड़ने पर वे पद छोड़ देंगे।
छठा मैसेज : खुद पार्टी छोड़ने की जगह कार्रवाई का इंतजार
सचिन पायलट और उनके खेमे ने पार्टी में रहकर ही गहलोत के खिलाफ संघर्ष करने का संकेत दिया है। पायलट गुट के विधायकों ने सभा में जिस तरह के तेवर दिखाए और गहलोत को निशाने पर लिया, उससे साफ है कि अब हमले और तेज होंगे।
पायलट समर्थक विधायक मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया ने कहा- सीएम गहलोत और उनका ग्रुप चाहता है कि पायलट और हम कांग्रेस छोड़कर चले जाएं, लेकिन हम यहीं रहकर, इनकी छाती पर मूंग दलेंगे।
यह बयान यह समझने के लिए काफी है कि पायलट गुट की रणनीति कांग्रेस में रहकर लगातार गहलोत पर हमले करने की है। चुनावी साल में इतने विधायकों पर एक साथ कार्रवाई करने से पहले भी पार्टी को सोचना पड़ेगा।
सातवां मैसेज : सियासी बैकअप प्लान तैयार, अभी पूरे पत्ते नहीं खोले
कांग्रेस जिस चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, पायलट गुट उसी चेहरे पर हमला कर रहा है। इसका सीधा सा मतलब है कि चुनावी साल में वे गहलोत को सीएम पद से हटाने का दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
सचिन पायलट को यह अच्छी तरह पता है कि खुद की सरकार के खिलाफ आंदोलन का मतलब एक्शन होना है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि सचिन पायलट के पास आगे का सियासी प्लान तैयार है, लेकिन वे अभी सारे पत्ते नहीं खोल रहे हैं। जून में पायलट अगली सियासी रणनीति का खुलासा कर सकते हैं।
पायलट की अगली रणनीति अब हाईकमान के एक्शन पर निर्भर करेगी। अगर हाईकमान पायलट गुट पर एक्शन लेता है, तो कांग्रेस में हालात वैसे हो जाएंगे जैसे पायलट गुट की बगावत के समय हुए थे।
जाट नेताओं को साधने के प्रयास के मायने
सचिन पायलट ने अपने साथ हर जाति के बड़े नेताओं को जोड़कर छत्तीस कौम को साथ लेने का मैसेज देने का प्रयास किया है।
पायलट ने जाट नेताओं को साधकर भी मजबूत सियासी समीकरण पर काम किया है। जाट वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता था, लेकिन उसमें बीजेपी की सेंध लग चुकी है।
गहलोत विरोधी जाट नेताओं का एक वर्ग सचिन पायलट के प्रति सहानुभूति रखता है। जाट नेताओं के इस वर्ग को पायलट ने काफी हद तक साधा है। सियासी रूप से प्रभावशाली माने जाने वाले इस वर्ग को साधने का फायदा पायलट को मिलेगा।
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नारायण सिंह के सभा में पहुंचने के मायने
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नारायण सिंह ने पायलट की सभा में पहुंचकर उन्हें बड़ी सियासी ताकत दी है। नारायण सिंह के पहुंचने का मतलब यह कि पार्टी के पुराने नेताओं का समर्थन उन्हें मिल रहा है।
नारायण सिंह कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के राजनीतिक गुरु माने जाते हैं। ऐसे में उनका सभा में पहुंचना सियासी मैसेज देने के हिसाब से काफी अहम माना जा रहा है। सीकर जिले में तीन विधायक पायलट के साथ हैं।
18 विधायक पायलट के साथ मानेसर गए थे, सभा में 14 आए
2020 में 18 विधायक मंत्री विश्वेंद्र सिंह, मंत्री रमेश मीणा, विधायक हेमाराम चौधरी, मुरारीलाल मीणा,बृजेंद्र ओला, भंवरलाल शर्मा, गजेंद्र सिंह शक्तावत, दीपेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, इंद्रराज गुर्जर,गजराज खटाणा, राकेश पारीक, पीआर मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी,हरीश मीणा, अमर सिंह जाटव पायलट के साथ मानेसर गए थे।
मानेसर जाने वाले 2 विधायकों भंवरलाल शर्मा और गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन हो चुका है। भंवरलाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा और गजेंद्र शक्तावत की पत्नी पायलट खेमे में नहीं हैं।
वहीं मानेसर जाने वाले विधायकों में से विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा पायलट खेमा छोड़कर गहलोत खेमे में जा चुके हैं। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और गिर्राज सिंह मलिंगा मानेसर के बाद पायलट खेमे से जुड़े हैं।
सभा में ये 14 विधायक आए : हेमाराम चौधरी, राजेंद्र सिंह गुढ़ा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, इंद्रराज गुर्जर,गजराज खटाणा, राकेश पारीक, वेद प्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी,हरीश मीणा, गिर्राज सिंह मलिंगा, खिलाड़ीलाल बैरवा, वीरेंद्र सिंह।
पायलट समर्थक चार विधायक सभा में नहीं पहुंचे : पायलट समर्थक दो मंत्री बृजेंद्र ओला और मुरारीलाल मीणा और दो विधायक पीआर मीणा और अमरसिंह जाटव सभा में नहीं पहुंचे। बृजेंद्र ओला बीमार बताए जा रहे हैं जबकि मुरारीलाल मीणा नेपाल दौरे पर हैं। पीआर मीणा रिश्तेदारी में मौत होने के कारण नहीं आए।