रामकथा: मोरारी बापू बोले मानस न हो तो मानव नही है, इस कथा का केंद्र मानस सदगुरु, बापू ने गरीब के घर खाया खाना
आनंदपुर डेस्क :
11 मार्च से श्री रामदास हनुमान मंदिर पर श्री राम कथा की कलश यात्रा हनुमान मंदिर से कथा पांडाल तक निकाली गई कथा का आयोजन देर शाम तक चलता रहा। इससे पहले संत मुरारी बापू आनंदपुर पहुंचे वहां आनन्दपुर में गुरुदेव रणछोड़ दास जी महाराज के निवास पहुंचे। इस दौरान उपाध्याय परिवार ने महाराज श्री से भेंटकर आशीर्वाद प्राप्त किया। साथ ही मुरारी बापू द्वारा सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट नेत्र चिकित्सालय भी पहुंचे वहां डॉक्टर विष्णु जोवनपुत्रा ने सदगुरूनगर ट्रस्ट के विषय में विस्तृत जानकारी मुरारी बापू के साथ साझा की इस दौरान बापू ने ऑडिटोरियम में वीडियोग्राफी भी देखी।
बापू ने किया गरीब के घर भोजन
पश्चात मुरारी बापू सद्गुरु सेवा संघ वापिस जा रहे थे। तभी खेर खेड़ी पठार पर अपनी गाड़ी रोकी और वहां एक व्यक्ति अपनी मोटरसाईकिल धो रहा था उसके पास आकर बोली के हमें भोजन कर आओगे क्या जब मुरारी बापू को अचानक अपने सामने देखकर व्यक्ति चकित रह गया और बोला क्यों नहीं, खेर खेड़ी पठार निवासी वलेश केवट ने अपनी बगिया में से 4- 5 टमाटर तोड़कर सब्जी बनाई साथ ही गेहूं की रोटी बनाकर बापू को एक थाली में परोस कर खाना खिलाए बापू ने भी बड़े चाव से भोजन ग्रहण किया। भोजन के पश्चात बापू ने वलेश केवट से उसका और उसके परिवार जनों का हाल-चाल भी पूछा।

इस अवसर पर बलेश ने बताया कि मैं सुबह लगभग 11:00 बजे बनियान और तोलिया में अपनी मोटरसाइकिल धो रहा था तभी मोरारी बापू की गाड़ी मेरे घर के सामने आकर रूकी बापू गाड़ी से उतर कर मेरे पास आए और बोले हमें खाना खिलाओगे क्या, मैंने कहा जरूर तब मैंने अपनी बगीय में से टमाटर तोड़कर गेहूं की रोटी बनाकर बापू को भोजन कराया। बापू ने मुझसे पूछा कि काहे की रोटी बनाते हो बाजरा या गेंहू तो मैंने कहा कि बापू या तो सभी गेहूं ही खाते हैं साथ ही मुझसे कहने लगे कि घर में जो भी हो हमें बनाकर खिलाओ तभी मैंने हमें टमाटर की सब्जी और रोटी रोटी बनाकर बापू ने पूछा कि घर में और कोई नहीं है क्या तो मैंने ने बताया कि घर के सब लोग एक शादी में गए हुए घर पर मैं और मेरा बेटा है मुरारी बापू ने हमें सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया है और जाते समय हमें उपहार स्वरूप एक 1 शॉल और ₹500 दिए। आज मैं इतने बड़े महापुरुष को संत को अपने हाथ से भोजन करा कर अपने आप को धन्य मानता आज मुझे ऐसा लगा कि मेरे घर स्वाम भगवान आए हैं।
मोरारी बापू बोले मानस न हो तो मानव नही है, इस कथा का केंद्र मानस सदगुरु
मानव वहीं है जिसके हृदय में करुणा प्रेम और दया से भरा है सद्गुरु का बखान करते हुए बापू ने कहा कि चारों युगों में चारों वेदों में चारों लोको में गुरु की महिमा अपरंपार है गुरु के बिना कोई भी इस भव सागर से पार नहीं लग सकता और गुरु के बिना किसी को भी ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती, गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में भी चार बार सदगुरु की महिमा का बखान किया है।
मुरारी बापू ने एक श्लोक बोलते हुए कहा कि गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः अर्थात गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु है और गुरु ही आदि शंकर है और ऐसे गुरु को मैं बार-बार नमन करता हूं।

सदगुरु को पता नहीं होता कि वही सदगुरू हैं
सदगुरु की महिमा का बखान करते हुए एक वृतांत सुनाया पुरुष सदगुरु की खोज में निकला और नदी पार करते हुए उस बुद्ध पुरुष के पास पहुंचा बुद्ध पुरुष से कहने लगा कि है महात्मा आप सद्गुरु हो और मुझे मंत्र देने का कष्ट करें तो उस संत पुरुष ने कहा कि किसने भिरंती फैलाई है कि मैं सद्गुरु हूं वह तो और आगे एक पेड़ के नीचे तब कर रहे हैं उनके पास जाओ वही तुम्हें मंत्र दे सकते हैं तो वह व्यक्ति 3 किलोमीटर चलते हुए। उन्होंने कहा कि सतगुरु तो यहां से 5 किलोमीटर दूर तपस्या कर रहे हैं वही तुम्हें दे सकते हैं तो वह व्यक्ति वहां भी पहुंचा तो उन्होंने कहा कि किसने कहा है कि मैं सद्गुरु तब वह व्यक्ति बोला कि मुझे पहले वाले व्यक्ति ने दूसरे वाले व्यक्ति के पास भेजा और दूसरे वाले ने आपके पास भेजा है आप सद्गुरु हैं और मुझे मंत्र देने का कष्ट करें तब उस संत महात्मा ने कहा कि एक डब्बा देते हुए कहा कि इसे खोलना नहीं और पहले संत के पास ही जो हो वही सद्गुरु है और वही मंत्र देंगे छोटे से डिब्बे को लेकर पहले वाले संत के पास आया और बोला कि आपने मुझसे झूठ बोला वह दोनों सद्गुरु नहीं है सदगुरु तो आप ही है और यह डब्बा दिया है मुझे और कहा है कि आपके सामने एक हो उसको खोला तो उसमें एक चूहा निकल कर भाग गया तो संत महात्मा ने कहा कि सद्गुरु के मंत्र को पकड़ना आसान नहीं है इसका भावार्थ यही है कि सद्गुरु को खुद पता नहीं रहता कि वह सद्गुरु है सद्गुरु को प्राप्त करना बड़ा ही आसान होता है पूजा देवताओं की होती है सद्गुरु की पूजा नहीं सद्गुरु की सिर्फ सेवा होती है।
रामकथा की इस अवसर पर देश के अनेक राज्यों के गुरु भाई बहनों सहित हजारों की तादात में भक्त जनों ने राम कथा का श्रवण किया और रविवार के दिन से कथा रामकथा सुबह 9:30 से 1:30 तक चलेगी