भोपाल मेट्रो के ट्रायल रन की तैयारियां भी शुरू: मेट्रो कोच आपस में कनेक्ट, टेस्टिंग शुरू, इंजीनियर्स-टेक्निकल एक्सपर्ट्स की टीम लगी
भोपाल डेस्क :
भोपाल में मेट्रो कोच आने के बाद अब इनके कनेक्ट और टेस्टिंग की प्रोसेस शुरू हो गई है। सुभाषनगर डिपो में बने इंस्पेक्शन बे लाइन (IBL) पर सीनयर इंजीनियर्स, टेक्निकल एक्सपर्ट्स, सुपरवाइजर समेत 50 से ज्यादा लोगों की टीम इस काम में लगी हैं। ट्रायल रन से पहले मेट्रो पूरी तरह से ‘ओके’ होगी।
गुजरात के सांवली (बड़ोदरा) से तीन कोच आने के बाद भोपाल मेट्रो के ट्रायल रन की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। तीनों कोच को आपस में कनेक्ट करने के बाद इनकी मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल के अलावा सॉफ्टवेयर टेस्टिंग भी शुरू कर दी गई है। सुभाषनगर डिपो में तीन शिफ्ट में 24 घंटे काम हो रहा है। मेट्रो रेल के अलावा मेट्रो बनाने वाली एल्सटॉम ट्रांसपोर्ट इंडिया लिमिटेड के कर्मचारी भी यहां हैं। हर कोच एंटी बैक्टीरिया और एंटी वायरल सिस्टम वाला रहेगा। 25 सितंबर या इसके आसपास कभी भी मेट्रो का ट्रायल रन पूरा कर लिया जाएगा।
कोच जोड़े, अब फंक्शन की जांच
मेट्रो ट्रेन का ट्रायल रन समय पर करने के लिए ट्रायल रूट पर 3 हजार से ज्यादा लोगों की टीम दिन-रात काम कर रही है। तकनीकी काम के लिए बाहर से भी इंजीनियर्स की टीम जुटी है। सुभाषनगर डिपो में एक साथ कई काम चल रहे हैं।
यह काम कर रहे इंजीनियर्स
सुभाषनगर डिपो के स्टेबलिंग-बे पर खड़ी ट्रेन के तारों को जोड़ने का काम चल रहा है। इसके लिए कोच बनाने वाली कंपनी एल्सटॉम के इंजीनियरों की टीम भी भोपाल आई है। एक तरफ जहां ट्रेन के तीनों कोच को जोड़ने का काम चल रहा है। वहीं, अंदर से इंटीरियर का काम भी जोर-शोर से किया जा रहा है।
ट्रैक पर भी होगा सेफ्टी ट्रायल रन
मेट्रो के डायरेक्टर (सिस्टम) शोभित टंडन ने बताया कि ट्रैक पर मेट्रो कोच उतारने के बाद अब टेस्टिंग समेत अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं। टेस्टिंग और अन्य कार्य में 15 से 20 दिन का समय लगता है, लेकिन इसे जल्दी करेंगे। पहले डिपो के अंदर ट्रायल करेंगे। फिर ट्रैक पर सेफ्टी ट्रायल रन करेंगे। इसके बाद फाइनल ट्रायल रन किया जाएगा।
कोच की खासियतें
- मेट्रो ट्रेन के प्रत्येक कोच की 22 मीटर लंबाई और 2.9 मीटर चौड़ाई है।
- मेट्रो के एक कोच में करीब 50 पैसेंजर बैठ सकते हैं। वहीं, इसमें 300 पैसेंजर के खड़े रहने की क्षमता है।
- अनअटेंडेड ट्रेन ऑपरेशन (यूटीओ) मोड।
- स्वचालित ट्रैक निगरानी प्रणाली।
- ऊर्जा बचत सुविधाएं।
- ट्रेन नियंत्रण और प्रबंधन प्रणाली (टीसीएमएस) में साइबर सुरक्षा सुविधाएं।
- इंटेलिजेंट सीसीटीवी सिस्टम (आईसीसीटीवी)।
- पकड़ने के लिए ग्रैब हैंडल।
- एलईडी पैनल/डिजिटल रूट मैप व साइनेज।
- एयर कंडिशनर कोच होंगे।
पांच स्टेशनों पर होगा ट्रायल
प्रायोरिटी कॉरिडोर में कुल आठ स्टेशन हैं। इनमें एम्स हॉस्पिटल, अलकापुरी, DRM ऑफिस, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, सरगम टॉकीज, DB मॉल, केंद्रीय स्कूल और सुभाषनगर स्टेशन शामिल हैं। ट्रायल रन करीब साढ़े तीन किलोमीटर में सुभाषनगर स्टेशन से आरकेएमपी स्टेशन तक किया जाएगा।