उज्जैन डेस्क :
हमारी 58 साल पुरानी सरकारी मेडिकल कॉलेज की मांग अभी जमीन पर नहीं उतरी है लेकिन शहर में एक और मेडिकल कॉलेज की तैयारी हो चुकी है। सबकुछ ठीक रहा तो सत्र 24-25 से यह मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाएगा। विक्रम विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) आधार पर इस मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निरीक्षण कर लिया है। जिला अस्पताल या चरक अस्पताल में से कोई एक इससे जुड़ा होगा। इसके लिए सरकार से एनओसी और फिजिबिलिटी सर्टिफिकेट आते ही प्रस्ताव सरकार को सबमिट कर दिया जाएगा।
पीपीपी मॉडल में यह मध्यप्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज होगा। दरअसल यह मेडिकल कॉलेज नहीं, बल्कि इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस होगा। बहुत पहले इंदौर के देवी अहिल्या विवि ने मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव बनाया था लेकिन यह जमीन पर नहीं उतर पाया। अब विक्रम विवि ने पूरा प्रस्ताव बना लिया है। कुलपति जुटे हैं कि इसी साल इसे जमीन पर ले आएं। उनका कहना है कि राज्य सरकार से अब तक हुई बातचीत के अनुसार सहमति बन चुकी है।
अस्पताल सरकारी, संचालन प्राइवेट
इसका प्रस्तावित नाम है- सम्राट विक्रमादित्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस। विक्रम विवि ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसके मुताबिक इसके लिए जमीन विवि उपलब्ध करवाएगा। शुरू में 150 सीट के लिए 605 बेड के अस्पताल की जरूरत होगी। सरकार के चिकित्सा विभाग से बात हो गई है। उनकी टीम ने जनवरी में निरीक्षण कर लिया है। चरक या जिला अस्पताल को इससे जोड़ने के लिए जल्द ही एनओसी मिलने की उम्मीद है। इसके बाद जरूरी होगा बिल्डिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ।
पहले ही चरण में 114 मेडिकल शिक्षकों की जरूरत होगी। अन्य स्टाफ भी चाहिए। इस सबके लिए करीब 500 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। जाहिर है इसके लिए निजी संस्थानों से बातचीत की जा रही है। प्राथमिकता यह है कि महाकाल मंदिर समिति की इसमें हिस्सेदार हो जाए। इससे महाकाल मंदिर में आ रहे दान को चैरिटी में लगाने का विचार भी साकार हो सकेगा। यदि समिति तैयार नहीं होती है तो अन्य निजी संस्थानों से बात की जाएगी।
जल्द ही प्रारूप बनवाकर काम शुरू कराएंगे : डीएमई
डीएमई डॉ. एके श्रीवास्तव के मुताबिक, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का मेडिकल कॉलेज पीपीपी मॉडल पर खोला जाएगा। जो कि वर्तमान में प्रोसेस में है। जल्द ही इसका पूरा प्रारूप बनवाया जाकर काम शुरू करवाया जाएगा।