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संसद का बजट सत्र: निर्मला सीता रमण दे सकती हैं सरप्राइज,? जानिए बजट में क्या-क्या हो सकते हैं ऐलान

नई दिल्ली डेस्क :

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज यानी 1 फरवरी को देश का अंतरिम बजट (Interim Budget 2024) पेश करेंगी. क्योंकि देश में चंद महीने के बाद लोकसभा चुनाव होने वाला है. इसलिए इस मिनी बजट से लोगों को खासी उम्मीदें हैं।

इस बार बजट में सरकार महिला कारोबारियों के लिए भी कुछ ऑफर्स लाने का ऐलान कर सकती है. वैसे भी जिस तरह से देश में कंपनियों के बोर्ड से लेकर मैनेजमेंट तक में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाने की कोशिश सरकार कर रही है तो मुमकिन है कि आधी आबादी की हिस्सेदारी हर जगह बढ़ाने के लक्ष्य के तहत किसी को भी सरकार मायूस नहीं करेगी. बजट में खासकर छोटे शहरों की महिला उद्यमियों के लिए बड़े ऐलान किए जा सकते हैं.

इन योजनाओं का बढ़ सकता है दायरा
ऐसा अनुमान है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और Women Entrepreneurship Platforms जैसी योजनाओं का दायरा बढ़ाने का सरकार ऐलान कर सकती है. इन योजनाओं में मेंटरशिप और नेटवर्किंग के मौके बढ़ाने की भी लगातार मांग की जा रही है. महिला मजदूरों से लेकर महिला उद्यमियों तक अलग-अलग तरह के ऐलान करके सरकार इनकी हिस्सेदारी भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत कर सकती है. इससे ना केवल महिलाओं का सामाजिक उत्थान होगा, बल्कि भारत की ग्रोथ स्टोरी में भी उन्हें बराबर का हिस्सेदार बनाया जा सकेगा.

क्या चुनाव से पहले सरकार भरेगी झोली?
वहीं नौकरीपेशा को उम्मीद है कि बजट अंतरिम हुआ तो क्या हुआ, 2019 की तरह थोड़ी बहुत टैक्स छूट तो सरकार दे ही सकती है. दरअसल, 2019 के अंतरिम बजट में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख तक की इनकम वालों को टैक्स से पूरी छूट देने का ऐलान किया था. इसके साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये और बैंक-पोस्ट ऑफिस के डिपॉजिट पर TDS को 10 हजार से बढ़ाकर 40 हजार कर दिया था.

2019 के अंतरिम बजट में हुए थे बड़े ऐलान
ऐसे में भले ही ये अंतरिम बजट कहा जाए, लेकिन इसे चुनावी बजट बनाने का मौका छोड़ने का काम सरकार शायद ही करेगी. इस भरोसे की वजह 2019 के अंतरिम बजट में हुए ऐलान ही हैं, जिसमें किसानों के लिए सरकार ने पीएम किसान स्कीम का ऐलान करके किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की मदद देने का ऐलान किया था.

इसके साथ ही पशुपालन और मछली पालन से जुड़े किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर इंटरेस्ट सब्वेंशन का भी फायदा मिला था. यानी जिस अंतरिम बजट को नई सरकार के आने तक केवल खर्च चलाने के लिए संसद की मंजूरी के लिए पेश किया जाता है वो लोगों को कई तरह की राहत देने का भी काम करता है. इस साल पूर्ण बजट को चुनावों के बाद बनने वाली सरकार पेश करेगी. लेकिन इसके पहले वोटरों को फायदा पहुंचाने वाले कई एलान करने का मौका भी मौजूदा सरकार नहीं गंवाना चाहेगी.

सरकार का एक बड़ा वोट बैंक होता है असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग. इनको भी पिछले बजट में किसी तरह की निराशा नहीं हाथ लगी थी, क्योंकि यहां काम करने वालों को प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत 3000 रुपये की मंथली पेंशन देने का ऐलान किया गया था. वहीं MSME सेक्टर की मदद के लिए 1 करोड़ तक के कर्ज पर 2 फीसदी इंटरेस्ट सब्वेंशन स्कीम का ऐलान किया गया था. मनरेगा का बजट 5 हजार करोड़ रुपये बढ़ाकर 60 हजार करोड़ रुपये किया गया था.

बजट में लोक-लुभावन घोषणाएं संभव
ऐसे में 2024 के अंतरिम बजट में भी सरकार लुभावने ऐलान कर सकती है. ऐसा मानने की कई वजहे हैं जिनमें सबसे बड़ी है तेज आर्थिक रफ्तार जिसने सरकार की खर्च करने की गुंजाइश बढ़ा दी है. दूसरा है- सरकार का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन जो 2023-24 में बजट अनुमान से 1 लाख करोड़ ज्यादा रह सकता है. इस रकम से सरकार को सामाजिक योजनाओं के लिए ज्यादा खर्च करने में मदद मिलेगी.

GDP ग्रोथ के साथ ही महंगाई के कंट्रोल में आने से भी सरकार के लिए बजट की राह काफी आसान हो गई है. वैसे भी जिस तरह से कोविड-19 के बाद से महंगी कारों, महंगे घरों, खान-पान और घूमने फिरने पर खर्च बढ़ा है तो सरकार के लिए अब सुस्त पड़े सेक्टर्स पर ही फोकस करने का काम रह गया है. ऐसे में इस बजट में ग्रामीण डिमांड की सुस्ती को दूर करके वहां डिमांड बढ़ाने में मददगार ऐलान किए जा सकते हैं. इसी तरह एंट्री लेवल की कारों और टू-व्हीलर्स की बिक्री बढ़ाने से जुड़े एलान करने पर सरकार विचार कर सकती है।

इन सेक्टर्स पर सरकार का फोकस
ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती को ध्यान में रखते हुए सरकार मौजूदा सेक्टर्स की ग्रोथ के साथ ही नए सेक्टर्स को बढ़ावा देने की नीतियों पर भी आगे कदम बढ़ा सकती है. ऐसे में रिन्यूएबल ए्नर्जी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस समेत कई नए क्षेत्रों के प्रोत्साहन के लिए ऐलान किए जा सकते हैं. हालांकि चुनावी साल में लोकप्रिय ऐलानों और 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने की कशमकश के बीच सरकार के लिए बीच का रास्ता निकालने की चुनौती भी होगी।

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