भोपालमध्यप्रदेश

MP विधान सभा चुनाव- BJP जहां सबसे कम मतों से हारी वहीं फंसा पेंच: व्यावहारिक फॉर्मूले पर दूसरी लिस्ट में घोषित हो सकते हैं 60 से ज्यादा प्रत्याशी

भोपाल डेस्क :

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी जल्द ही दूसरी लिस्ट जारी कर सकती है। पहली लिस्ट में हारी हुई 39 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। अब बाकी 64 सीटों पर अगले हफ्ते में कैंडिडेट घोषित कर सकती है। इन सीटों में से कई पर ज्यादा पेंच फंसे हैं, इसलिए कैंडिडेट्स के नामों पर अंतिम मुहर लगना बाकी है। 23 से 25 अगस्त के बीच होने वाली बैठकों में लिस्ट फाइनल हो सकती है।

बीजेपी ने हारी हुई इन 103 सीटों को ‘आकांक्षी विधानसभा’ का नाम दिया है। इनमें पहला नाम ग्वालियर दक्षिण सीट का है। यहां 2018 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी नारायण सिंह कुशवाह महज 121 वोटों के मामूली अंतर से हारे थे। इस सीट पर सबसे ज्यादा पेंच फंसे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा भी यहां से टिकट की मांग कर रहे हैं। ग्वालियर की पूर्व मेयर समीक्षा गुप्ता भी दावेदारी कर रही हैं। पिछले चुनाव में समीक्षा गुप्ता निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ी थीं। इसी वजह से भाजपा को यहां हार का मुंह देखना पड़ा था।

दूसरी लिस्ट में इन सीटों पर घोषित हो सकते हैं उम्मीदवार

ग्वालियर दक्षिण, जबलपुर उत्तर, राजनगर, दमोह, ब्यावरा, राजपुर, तराना, सांवेर, वारासिवनी, देवरी, नागदा, बुरहानपुर, बड़नगर, आलोट, राऊ, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, उदयपुरा, इंदौर नंबर 1, तेंदूखेड़ा, देपालपुर, लहार, खरगोन, भगवानपुरा, कोतमा, अनूपपुर, कटंगी, भितरवार, लखनादौन, सतना, परासिया, चौरई, कालापीपल, छिंदवाड़ा, करैरा, गाडरवारा, विदिशा, सेंधवा, घोड़ाडोंगरी, अमरवाड़ा, जबलपुर पश्चिम, दिमनी, मुरैना, सुरखी, बैतूल, जुन्नारदेव, पानसेमल, सुसनेर, भीकनगांव, निवास, सैलाना, खिलचीपुर, बड़वाह, थांदला, राजगढ़, सिहावल, डिंडोरी, सेंवढ़ा, सरदारपुर, गंधवानी, मनावर, भांडेर, श्योपुर, शाजापुर, राघोगढ़, झाबुआ और डबरा।

जानिए, क्या है टिकट वितरण का ‘व्यावहारिक फॉर्मूला’

बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व टिकट वितरण के लिए व्यावहारिक फॉर्मूले पर काम कर रहा है। इसके तहत पार्टी सर्वे में जीतने वाले उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता दे रही है। इसमें परिवारवाद और उम्र कोई खास फैक्टर नहीं रहेगा। पार्टी ने उन नेता पुत्रों और परिवारजनों के नामों को भी गोपनीय रिपोर्ट में रखा है, जो अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं। पब्लिक के बीच मजबूत पैठ बनाई है।

राजनीतिक घरानों और दूसरे दलों के दावेदारों की भी कुंडली तैयार

बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मप्र की सभी 230 सीटों का सर्वे कराया है। इसमें मप्र के उन बड़े राजनीतिक घरानों की कुंडली तैयार कराई गई है, जिन परिवारों के लोग पीढ़ियों से चुनाव जीतते आ रहे हैं। जिन राजनीतिक घरानों के लोगों की पब्लिक में अच्छी छवि है, उन्हें बीजेपी में जोड़ने की भी तैयारी चल रही है।

बीजेपी ने हर सीट पर दूसरे दलों से टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं की भी जानकारी जुटाई है। यह डाटा जुटाया गया है कि कांग्रेस, सपा, बसपा, आप से टिकट की दावेदारी और चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेता पर किस बड़े नेता का प्रभाव है, ताकि जरूरत पड़ने पर उस दावेदार को बीजेपी से जोड़ा जा सके।

पहली 39 कैंडिडेट्स की लिस्ट में दिखी व्यावहारिक फॉर्मूले की झलक

बीजेपी की 39 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में केंद्रीय नेतृत्व के व्यावहारिक फॉर्मूले की झलक देखने को मिली। इस लिस्ट में नेता पुत्रों को भी टिकट मिले, तो दूसरी पार्टी से आए नेता को उसी दिन टिकट मिल गया। यही नहीं, सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने वाले डॉक्टर को भी पार्टी ने उम्मीदवार बना दिया। इस लिस्ट में 75 साल के उम्रदराज नेता को भी टिकट दिया गया। इस लिस्ट से यह साफ संदेश है कि पार्टी के टिकट वितरण का एक ही फॉर्मूला है, वो है जीतने वाला उम्मीदवार।

ये सीटें 10 हजार से कम अंतर से हारी भाजपा

पथरिया 2,205, तराना 2,209, पिछोर 2,675, छतरपुर 3,495, वारासिवनी 3,862, चंदेरी 4,175, देवरी 4,304, घटि्टया 4,628, पेटलावद 5,000, नागदा 5,117, बुरहानपुर 5,120, बड़नगर 5,381, आलोट 5,448, कसरावद 5,539, राऊ 5,703, भोपाल दक्षिण-पश्चिम 6,587, बरघाट 7,527, उदयपुरा 8,001, इंदौर क्रमांक 1 – 8163, तेंदूखेड़ा 8,643, सबलगढ़ 8,737, देपालपुर 9,044, लहार 9,073, खरगोन 9,512, भगवानपुरा 9,716, चांचौड़ा 9,797 और सोनकच्छ 9,818 ।

2018 में बीजेपी को 121 सीटों पर मिली थी हार

2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 121 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था। बीजेपी को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, लेकिन साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। उसके बाद से 28 सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 20 सीटों पर बीजेपी और 8 सीटों पर कांग्रेस की विधायक चुने गए थे।

उपचुनाव में इन सीटों पर मिली कामयाबी

नवंबर 2020 में 28 सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इनमें ब्यावरा के कांग्रेस विधायक गोवर्धन दांगी, आगर मालवा के भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल और जौरा से कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन के बाद उपचुनाव हुए थे। इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले 22 विधायकों और तीन अन्य कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे देकर बीजेपी में शामिल होने के बाद कुल 28 सीटों पर उपचुनाव कराए गए थे।

इन सीटों पर जीते थे भाजपा के विधायक

नवंबर 2020 में हुए उपचुनाव में ग्वालियर, बमोरी, सुरखी, सांची, सांवेर, अंबाह, मेहगांव, पोहरी, भांडेर, अशोकनगर, मुंगावली, अनूपपुर, हाटपिपलिया, बदनावर, सुवासरा, बड़ा मलहरा, नेपानगर, मांधाता और जौरा में बीजेपी के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी।

यहां कांग्रेस जीती थी उपचुनाव

नवंबर 2020 के उपचुनाव में ब्यावरा, आगर, करेरा, ग्वालियर पूर्व, गोहद, दिमनी, मुरैना, सुमावली और डबरा में कांग्रेस की प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी।

तीन विधायकों के निधन के चलते नवंबर 2021 में हुए थे उपचुनाव

नवंबर 2021 में 3 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हुए थे। इनमें पृथ्वीपुर से कांग्रेस विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर, रैगांव के भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी, जोबट सीट से कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया के निधन के बाद उपचुनाव हुए थे। इस उपचुनाव में जोबट और पृथ्वीपुर में कांग्रेस के उम्मीदवार जीते थे। वहीं, रैगांव में कांग्रेस की कल्पना वर्मा चुनाव जीती थीं।

जहां उपचुनाव में बीजेपी जीती वहां अब दावेदार दिखा रहे दम

पिछले ढाई सालों में जिन सीटों पर उपचुनाव हुए और वहां बीजेपी के उम्मीदवार जीत गए। वहां भी अब टिकट को लेकर जंग छिड़ी है। नेपानगर में पूर्व विधायक मंजू दादू और वर्तमान विधायक सुमित्रा कास्डेकर के बीच टिकट की जंग छिड़ी है।

पृथ्वीपुर में बीजेपी के पूर्व मंत्री स्वर्गीय सुनील नायक के चचेरे भाई गणेशी लाल नायक और बीजेपी नेता अनिल पांडेय वर्तमान विधायक डॉ. शिशुपाल यादव का खुलकर विरोध कर रहे हैं। अनिल पांडेय तो पार्टी नेताओं से इस बार टिकट न मिलने पर बागी होकर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं।

पोहरी में मौजूदा सरकार में पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा के खिलाफ बीजेपी के नेता लामबंद हैं। हालांकि, टिकट कटने की कम उम्मीद है। इसके बावजूद कई नेता लॉबिंग कर रहे हैं।

अशोकनगर में पूर्व विधायक लड्डूराम कोरी तो मौजूदा विधायक और सिंधिया समर्थक जजपाल सिंह जज्जी के जाति प्रमाण पत्र के मामले को लेकर कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। जज्जी के टिकट की राह में लड्‌डूराम रोडे़ अटका रहे हैं।

मांधाता में बीजेपी के 2018 में प्रत्याशी रहे नरेंद्र सिंह तोमर ने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन नेताओं की समझाइश पर वे मान गए। अब वे दलबदल कर बीजेपी में आकर विधायक बने नारायण पटेल का टिकट कटवाने पर अड़े हैं।

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