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मोदी ने पीस मेमोरियल जाकर दी श्रद्धांजलि: मोदी से मिलने आए अमेरिकी प्रेसिडेंट बाइडेन : कहा- मुझे आपका ऑटोग्राफ लेना चाहिए, मोदी ने ब्रिटिश PM सुनक से भी बातचीत की

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के हिरोशिमा में जी7 बैठक में भाग लेने के बाद पापुआ न्यू गिनी के लिए रवाना हो गए हैं। पीएम मोदी के पोर्ट मोरेस्बी पहुंचने पर पापुआ न्यू गिनी के पीएम उनका स्वागत करेंगे। जापान में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी एल्बनीज से PM मोदी ने बातचीत की। इस दौरान बाइडेन ने कहा कि उन्हें PM मोदी का ऑटोग्राफ लेना चाहिए।

दरअसल, मीटिंग के दौरान बाइडेन मोदी के पास आए और उन्होंने कहा- अमेरिका में बहुत बड़े लोग कह रहे हैं कि आप मोदी के कार्यक्रम में जाएं। इस दौरान एल्बनीज ने कहा कि उनके पास भी ऐसी रिक्वेस्ट आ रही है पर सिडनी के कम्युनिटी रिसेप्शन में 20 हजार लोगों की ही क्षमता है। बाइडेन और एल्बनीज ने मोदी को बताया कि उनके सामने भीड़ को मैनेज करने की चुनौती है। इस दौरान एल्बनीज ने बताया कि जब वे भारत दौरे पर थे, तब किस तरह 90 हजार लोगों ने अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में उनका और मोदी का स्वागत किया। इस पर बाइडेन ने कहा- मुझे आपका ऑटोग्राफ लेना चाहिए।

मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यूक्रेन समस्या का हल केवल बातचीत है। हम शुरू से यह कहते आए हैं। हम सभी का मकसद वैश्विक शांति और स्थिरता है। भारत हमेशा से ही यह मानता आया है कि किसी भी तनाव और विवाद का मसला शांति से और बातचीत से हल किया जा सकता है।”

मोदी ने पीस मेमोरियल जाकर दी श्रद्धांजलि

नरेंद्र मोदी ने रविवार को पीस मेमोरियल पार्क विजिट किया। यहां उन्होंने पीस मेमोरियल म्यूजियम का दौरा किया और हिरोशिमा हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी। दरअसल, हिरोशिमा परमाणु हमले का गवाह रहा है। 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था। इसमें लाखों लोग मारे गए थे।

इसके बाद मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ द्विपक्षीय संबंधों को लेकर बातचीत की। कल यानी 20 मई को दोनों प्रधानमंत्रियों ने गले मिलकर एक-दूसरे का स्वागत किया था। सुनक ब्रिटेन के पहले भारतवंशी और गैर-श्वेत प्रधानमंत्री हैं। वे भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद भी हैं।

भारतीय समय के मुताबिक, सुबह 10:15 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिरोशिमा से पापुआ न्यू गिनी के लिए रवाना होंगे।

पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे
पापुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेस्बी में PM मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। 22 मई को वो पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे और नए गवर्नर सर बॉब डाडे से मुलाकात करेंगे। इसके बाद पैसिफिक आईलैंज कंट्रीज के लीडर्स के साथ होने वाली FIPIC समिट में शामिल होंगे।

23 मई को PM मोदी ऑस्ट्रेलिया रवाना हो जाएंगे। यहां वो भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करेंगे। 24 मई को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंटनी एल्बानीज से मुलाकात करेंगे। 25 मई को सुबह दिल्ली वापस आ जाएंगे।

G7 की मीटिंग में गेस्ट के तौर पर शामिल हुए हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिरोशिमा में जारी G7 की बैठक में गेस्ट के तौर पर शामिल हुए हैं। G7 दुनिया के सात विकसित और अमीर देशों का समूह है। जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहा जाता है। यहां से प्रधानमंत्री पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर जाएंगे।

G7 की चीन को चेतावनी- किसी का दबदबा मंजूर नहीं
दुनिया की सात विकसित इकोनॉमी के संगठन G7 ने साझा स्टेटमेंट में चीन को सख्त चेतावनी दी है। संगठन ने चीन का नाम लिए बिना दुनिया से किसी एक देश का आर्थिक दबदबा खत्म करने की शपथ ली।

इस स्टेटमेंट में कहा गया कि G7 और उसके साथी देशों के आर्थिक हालातों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया तो परिणाम भुगतना होगा। किसी एक देश के आर्थिक दबदबे को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। G7 देशों ने चीन से अपील की है कि वो यूक्रेन से जंग खत्म करने के लिए रूस पर दबाव बनाए।

यूक्रेन की मदद जारी रखने का वादा किया
हिरोशिमा में G7 देशों ने मिलकर यूक्रेन की मदद करते रहने का वादा किया है। इधर, अमेरिका ने दूसरे देशों से अपने F16 फाइटर जेट्स यूक्रेन को देने पर लगाई गई पाबंदी हटा ली है। इससे यूक्रेन को अपना एयर डिफेंस मजबूत करने में मदद मिलेगी।

G7 समिट के पहले ही दिन रूस पर पाबंदियों का ऐलान
G7 की बैठक के पहले ही दिन सदस्य पश्चिमी देशों और जापान ने यूक्रेन जंग हवाला देते हुए रूस पर पाबंदियों की घोषणा की। G7 के नेताओं ने रूस से मांग की है कि वो तुरंत यूक्रेन से अपनी सेना को बाहर निकाले। G7 दुनिया के सात देशों से बना संगठन है जो जंग में यूक्रेन का साथ दे रहे हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, कनाडा, जापान और फ्रांस शामिल हैं।

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