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भारतीय नौसेना को मिला पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, भारतीय नौसेना के झंडा में अशोक चक्र और तिरंगा हुआ सामिल, भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और सबसे जटिल युद्धपोत बनाया है।

भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और सबसे जटिल युद्धपोत बनाया है।

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आज भारतीय नौसेना को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आई एन एस विक्रांत मिल गया। यह विमान 75% से अधिक स्वदेशी सामग्री से ही निर्मित किया गया है इस विमान के भारतीय नौसेना में शामिल होने के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जहां बड़े बड़े जहाज बनाए जाते हैं 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि शिपयार्ड में चली डेढ़ घंटे से अधिक चली कमीशनिंग की सेरेमनी में एयरक्राफ्ट को भारतीय नौसेना को सौंपा। 

भारतीय नौसेना के झंडा में बदलाव

साथ ही इसमें एक और बड़ा बदलाव हुआ है भारतीय नौसेना के ध्वज में से अंग्रेजी हुकूमत की निशानी क्रॉस का लाल निशान को हटाकर अब इसमें राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा और अशोक चक्र स्थापित कराया गया है और इसे शिवाजी महाराज को समर्पित कर भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है।  नौसेना के पास एक ऐसा युद्धपोत जो अपने आप में तैरता हुआ एयरफील्ड और शहर है। इस पर बनने वाली बिजली से 5000 घर रोशन हो सकते हैं इसमें लगे तार केबल कोच्चि से लेकर कन्याकुमारी तक जाए। 

प्रधानमंत्री ने कई महत्वपूर्ण बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।’ उन्होंने कहा, ‘यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनंत हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत। आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी निर्माण करने वाले अन्य देशों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आज भारत ने ‘गुलामी’ के एक बोझ को हटा दिया है। पीएम ने कहा, ‘आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है। आज आईएनएस विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है।’ 

शुक्रवार को पीएम मोदी ने समारोह में भारतीय नौसेना में महिलाओं की भागीदारी की बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है।’ उन्होंने कहा, ‘अब इंडियन नेवी ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिए खोलने का फैसला किया है। जो पाबन्दियां थीं वो अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिए कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिए भी अब कोई दायरे या बंधन नहीं होंगे।’

आईएनएस विक्रांत का आकार और रफ्तार 

20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ INS विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इस लिहाज से इसके फ्लाइट डेक का आकार फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर हो जाता है। यह वाहक एक 28 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार के साथ एक बार में 7 हजार 500 नॉटिकल मील (करीब 14 हजार किमी) की दूरी तय कर सकता है। भारत के समुद्री इतिहास में देश में तैयार हुआ यह पहला इतना विशाल जहाज है। खास बात है कि इसका नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर ही रखा गया है, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ हुए 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।

भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और सबसे जटिल युद्धपोत बनाया है।

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