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मथुरा में कोर्ट ने शनिवार को बड़ा आदेश दिया, दावा मस्जिद के नीचे मंदिर कोर्ट ने 20 जनवरी तक रिपोर्ट मांगी, हिंदू पक्ष बोला औरंगजेब ने ईदगाह बनवाई

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मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में जिला कोर्ट ने शनिवार को बड़ा आदेश दिया। यहां भी वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह मस्जिद का सर्वे होगा। सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने हिंदू सेना की याचिका पर यह आदेश दिया। रिपोर्ट 20 जनवरी को कोर्ट में पेश की जाएगी। सर्वे 2 जनवरी से होगा।

हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह में स्वास्तिक का चिह्न, मंदिर होने के प्रतीक के साथ मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है। पक्षकार मनीष यादव और वकील महेंद्र प्रताप ने कहा कि शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मौजूद हैं। ये वैज्ञानिक सर्वे के बाद सामने आ जाएंगे। अर्जी मथुरा के जिला अदालत में एक साल पहले दाखिल की गई थी।

हिंदू पक्ष ने कहा- औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर ईदगाह बनाई
याचिका में कहा गया कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर ईदगाह मस्जिद बनवाई थी। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास अदालत के सामने पेश किया। उन्होंने 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताते इसे खत्म किए जाने की मांग की।

दिल्ली के रहने वाले विष्णु गुप्ता ने दाखिल किया था वाद
श्री कृष्ण जन्मस्थान शाही ईदगाह मामले में दिल्ली के रहने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और गुरुग्राम निवासी उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय सोनिका वर्मा की अदालत में 8 दिसंबर को वाद दाखिल किया था। हिंदू सेना की तरफ से अधिवक्ता शैलेश दुबे ने कोर्ट में भगवान श्री कृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास रखा।

1968 के समझौते को दी चुनौती
दाखिल किए गए वाद में हिंदू सेना ने 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते को चुनौती दी गई है। अधिवक्ता शैलेश दुबे ने बताया कि अदालत के सामने 8 दिसंबर को कोर्ट में वाद दाखिल किया उसी दिन कोर्ट ने केस दर्ज कर लिया। इस मामले में कोर्ट ने अमीन से विवादित स्थल के सर्वे मय मानचित्र के आदेश किए हैं।

अन्य पक्षकार बोले- उनकी भी थी कोर्ट अमीन की मांग
इस मामले में श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि वह भी कोर्ट से अमीन द्वारा सर्वे कराने की मांग कर रहे थे। कोर्ट ने आदेश दिया है इसका स्वागत है। महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अभी कोर्ट में शीतकालीन अवकाश हो गया है। अब न्यायालय 2 जनवरी को खुलेगा।

इसके बाद कोर्ट अमीन शाही ईदगाह में सर्वे के लिए जाएंगे। जहां वह मौजूद सबूतों की रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस दौरान हो सकता है कि मौके पर वीडियोग्राफी भी कराई जाए। महेंद्र प्रताप ने बताया कि सर्वे के दौरान अन्य मामलों के पक्षकार भी मौजूद रहेंगे।

12 से ज्यादा मामले चल रहे कोर्ट में
श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह को लेकर मथुरा कोर्ट में 12 से ज्यादा मामले चल रहे हैं। इनमें सभी में भगवान श्रीकृष्ण की 13.37 एकड़ भूमि कब्जा मुक्त करने की मांग की गई है। कोर्ट में श्रीकृष्ण विराजमान, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास, अखिल भारत हिंदू महासभा, भगवान केशवदेव के अलावा व्यक्तिगत वाद दाखिल हैं।

VHP ने कहा- सर्वे से सत्य सामने आएगा

विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, “मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के सर्वे से सत्य सामने आएगा। हमें विश्वास है कि सर्वे से न्यायालय को निर्णय का सत्य संधान करना, उचित निर्णय करना हो पाएगा।”

जानते हैं विवाद के बारे में..

  • शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। इस स्थल को हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है। माना जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था।
  • 1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13.37 एकड़ की विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी। 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली थी। ये ट्रस्ट 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से रजिस्टर्ड हुआ।
  • 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया।
  • अब इस मामले में दाखिल याचिका में ईदगाह मस्जिद का सर्वे और वीडियोग्राफी कराए जाने की मांग की गई है।

ज्ञानवापी मामले में भी हुआ था सर्वे
इससे पहले वाराणसी के ज्ञानवापी सर्वे का फैसला आया था। ज्ञानवापी मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन ने फैसला सुनाते हुए कोर्ट कमिश्मन नियुक्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट कमिश्नर ने 10 दिन तक सर्वे किया था। जिसके बाद रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। ज्ञानवापी में हुए सर्वे की रिपोर्ट लिक करने के मामले में हटाए गए पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा ने 2 पन्नों की रिपोर्ट में बताया था कि मस्जिद के भीतर शेषनाग की आकृति के अलावा खंडित देव विग्रह, मंदिर का मलबा, हिंदू देवी-देवताओं और कमल की आकृति, शिलापट्ट मिले हैं।

17 अगस्त 2021 दायर हुई थी पहली याचिका

श्रृंगार गौरी की नियमित दर्शन पूजन करने के लिए राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने अदालत में याचिका दायर की थी। इस पर सिविल जज सीनियर डिविजन ने 8 अप्रैल 2022 को वकील अजय कुमार मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। 15 अप्रैल को कोर्ट कमिश्नर ने 19 अप्रैल को सर्वे करने के लिए सभी पक्षकारों को अवगत कराया। 18 अप्रैल को जिला प्रशासन की ओर से डीजीसी ने कमीशन की कार्यवाही के खिलाफ आपत्ति दी और सर्वे के संबंध में जानकारी मांगी।

इसके बाद 19 अप्रैल को अंजुमन इंतजामिया मसजिद कमेटी ने हाईकोर्ट में अर्जी देकर कमीशन की कार्यवाही रोकने की मांग की। 20 अप्रैल को जिला प्रशासन की ओर से दाखिल अर्जी पर अदालत में दोनों पक्षों की सुनवाई हुई।

26 अप्रैल को अदालत ने कोर्ट कमिश्नर को कमीशन की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया था। 6 मई को कोर्ट कमिश्नर ने दोपहर 3 बजे से ढाई घंटे तक कमीशन की कार्यवाही पूरी की। इस दौरान मस्जिद में प्रवेश को लेकर हंगामा हुआ भी हुआ। इस तरह से 24 मई तक सर्वे किया गया। इसके बाद से मामला कोर्ट में चल रहा है।

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