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DRI की टीम ने ड्रग्स सप्लाई के मास्टरमाइंड को गोरखपुर दबोचा, दिल्ली से नेपाल भागने की फिराक में था, लाखों रुपए का मिला केस

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गोरखपुर की DRI (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटीली​जेंस) टीम ने एक बड़े ड्रग माफिया को अरेस्ट किया है। पकड़ा गया आरोपी दिल्ली के यमुना नगर में पकड़ी गई 133 करोड़ की मेफेड्रोन (ड्रग्स) मामले का मास्टर माइंड है। यह कार्रवाई बीते 29 जुलाई को दिल्ली की DRI टीम ने की थी। तभी से DRI को मास्टर माइंड की तलाश थी, लेकिन रेड के दौरान वह टीम को चकमा देकर भाग निकला था।

वह गोरखपुर समेत यूपी के अलग- अलग शहरों में अपना नाम और पहचान बदलकर रह रहा था। शुक्रवार को माफिया ड्रग्स की सप्लाई देने गोरखपुर पहुंचा। यहां उसने ड्रग्स के खेप की सप्लाई भी दी। जिस खेप को नए साल के जश्न के लिए गोरखपुर से नेपाल भेजा गया है।

माफिया के पास से मिले 60 लाख रुपए कैश
पकड़े गए आरोपी के पास से टीम ने एक कार और 60 लाख रुपए कैश भी बरामद किए हैं। यह रुपए ड्रग की सप्लाई देने के एवज में उसे मिले थे। ड्रग माफिया गोरखपुर में ड्रग्स की सप्लाई देने के बाद बिहार वाया नेपाल भागने की फिराक में था, कि इससे पहले DRI टीम ने उसे दबोच लिया। फिलहाल टीम उससे पूछताछ कर रही है।

60 लाख देकर छूटना चाहता था माफिया
हालांकि, अभी पकड़े गए आरोपी की पहचान स्पष्ट नहीं हो सकी है। लेकिन, सूत्रों का दावा है कि वह मूल रुप से बिहार का रहने वाला है। हालांकि, अभी अब तक की पूछताछ में वह अपने दर्जन भर नाम और पता टीम को बता चुका है। इतना ही नहीं, सूत्रों के मुताबिक, माफिया ने टीम को बरामद रुपयों के एवज में खुद को छोड़ने का आफर भी दिया, लेकिन टीम ने उसे दबोच लिया।

हवाला कारोबार की भी खुली पोल
ड्रग माफिया गोरखपुर के अलावा पूरे यूपी, बिहार समेत नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार तक ड्रग्स की सप्लाई करता था। ड्रग्स सप्लाई की लेनदेन की रकम हवाला के जरिए होती थी। इस कारोबार में गोरखपुर के कई बड़े नामों का भी खुलासा हुआ है। जिनकी जांच शुरू हो गई है। वहीं, उम्मीद है कि जल्द ही गोरखपुर में ड्रग्स और हवाला कारोबार से जुड़ा बड़ा खुलासा हो सकता है।

  • अब आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला?

यमुना नगर की फैक्ट्री में बनती थी ड्रग्स
दरअसल, 29 जुलाई 2022 को दिल्ली के यमुना नगर की एक फैक्ट्री में दिल्ली की DRI टीम ने रेड की। यहां फैक्ट्री में मेफेड्रोन (प्रतिबंधित ड्रग्स) बनाई जाती थी। तब छापेमारी के दौरान टीम को 10 ड्रमों में एफेड्रिन मिला था, जिसका वजन 661.75 किलोग्राम और इसकी कीमत 133 करोड़ रुपये बताई गई थी।

इस एफेड्रिन से टैबलेट तैयार हो रही थी, जिसे मुंबई लेकर जाना था। फिर आगे नशा तस्करों को सौंपी जाती, ताकि वे बड़े-बड़े होटलों या फिर पार्टी क्लब में इसे सप्लाई करते। यह मेडिकल ड्रग्स है, जो कि कोकीन, हेरोइन से कई गुना महंगी और ज्यादा नशा करने वाली है।

ग्लू बनाने की आड़ में बनता था ड्रग्स
यह फैक्ट्री रादौर के गांव बपौली के पास विजय शर्मा, श्यामलाल, मोहित साहनी, रंजन की फैक्टरी थी। यह फैक्ट्री प्लाईवुड में यूज होने वाले ग्लू और अन्य केमिकल तैयार करने के लिए लगाई गई थी। इस बीच टीम को सूचना मिली कि यहां पर प्रतिबंधित एफेड्रिन ड्रग्स लाया गया है।

5 महीने बाद पकड़ा गया मास्टर माइंड
इसके बाद DRI की टीम ने 29 जुलाई को रेड कर दावत होटल बड़शामी में रुके मुंबई के मोहम्मद आजम और वफादार को अरेस्ट किया था। इसके बाद उन्हें फैक्ट्री ले जाया गया, जहां से एफेड्रिन पकड़ा गया।

बाद में टीम ने फैक्टरी मालिक श्यामलाल गोयल और पार्टनर राजन सोंधी को भी गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, इस दौरान ड्रग्स सप्लाई का मास्टर माइंड फरार हो गया था। जो अब दिल्ली DRI की सूचना पर गोरखपुर में पकड़ा गया।

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