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भारत जोड़ो यात्रा में चल रही महिला के पेट से ऑपरेशन करके निकाले 4 स्टोन,अनुभव साझा कर बताया दिग्गी ने दिखाई दरियादिली

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कन्याकुमारी से शुरू हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का आज 86 वां दिन है। इस यात्रा में 119 भारत यात्री कन्याकुमारी से कश्मीर तक का सफर पैदल तय करने के लिए निकले हैं। बारिश, गर्मी के बाद ठंड और रास्ते की तकलीफों को झेलते हुए भारत यात्रा मध्यप्रदेश से राजस्थान की ओर बढ़ रही है। 4 दिसंबर को आगर मालवा से होकर यह यात्रा राजस्थान में प्रवेश करेगी। इस यात्रा के समन्वयक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी राहुल के साथ पदयात्रा कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह हर एक यात्री की सेहत पर नजर बनाए रहते हैं। राहुल के साथ कन्याकुमारी से पैदल चल रही छत्तीसगढ़ की एक महिला अचानक बीमार हुई तो दिग्विजय सिंह ने परिवारजनों की तरफ फर्ज निभाया। अस्पताल में भर्ती भारत यात्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया।

मेरा नाम क्रांति बंजारे है। मैं छत्तीसगढ़ के राजनादगांव जिले के कोपेडी गांव की रहने वाली हूं। मैं शुरुआत से ही यानि सात सितंबर से कन्याकुमारी राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में पैदल चल रही हूं। जैसे ही ये यात्रा शुरू हुई बीच-बीच में मेरे पेट में दर्द होता था। रोजाना इतनी लंबी यात्रा नहीं की इसलिए लगता था कि शायद पैदल चलने की वजह से दर्द हो रहा है। मैं सामान्य दर्द मानकर चलती रही। जब हम हैदराबाद पहुंचे तो दर्द ज्यादा होने लगा। एक हॉस्पिटल गई तो डॉक्टरों ने स्टोन बताया। मैंने सोचा कि यात्रा पूरी होने के बाद सर्जरी करा लूंगी और डॉक्टर से दवाएं लेकर यात्रा में चलने लगी। जब हम मप्र के महू पहुंचे तो मुझे असहनीय दर्द होने लगा। मुझे महू के एक प्रायवेट हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। महू के डॉक्टरों ने सोनोग्राफी कराई तो पेट में पांच स्टोन दिखे। डॉक्टरों ने बॉटल चढ़ाई तो दर्द ठीक हो गया। चूंकि इस यात्रा में मेरे परिवार का कोई सदस्य नहीं था और यात्रा कश्मीर तक जानी थी इसलिए मैनें सोचा कि अभी दर्द ठीक हो गया है यात्रा पूरी होने के बाद ऑपरेशन करा लूंगी।

मैं दवा लेकर फिर अपने कैम्प में वापस आ गई। लेकिन हमारी यात्रा जैसे ही इंदौर पहुंची तो मुझे फिर इतना तेज दर्द हुआ कि सहन करना मुश्किल था। मेरी तबियत खराब होने की जानकारी जैसे ही दिग्विजय सिंह को लगी उन्होंने मुझे इंदौर के अरविन्दो हॉस्पिटल भिजवाया। दिग्विजय सिंह की निगरानी में मेरे टेस्ट हुए। 29 नवंबर को मेरे सर्जरी हुई और किडनी और गाल ब्लैडर से दो-दो स्टोन निकले। सर्जरी के बाद जब मैं आईसीयू से बाहर आई तो मेरे सामने दिग्विजय सिंह खड़े थे। एक पल के लिए मुझे लगा कि मेरे पिता मेरे सामने खड़े हैं। पूरे समय उन्होंने मेरी हालत पर नजर रखी डॉक्टरों से अपडेट लेते और फिर मुझसे हालचाल पूछते।

नहीं आ पाया परिवार, छत्तीसगढ़ की सहयात्री ने दिया साथ

मेरे पति ड्रिप इरिगेशन के प्रोजेक्ट में जॉब करते हैं। मेरी सासु मां की तबियत खराब होने के कारण पति इंदौर नहीं आ पाए। लेकिन इस यात्रा में मेरा साथ छत्तीसगढ़ के जसपुर की रहने वाली आशिका कुजूर ने दिया। कन्याकुमारी से आशिका मेरे साथ पदयात्रा कर रही है। जब भी मुझे दर्द होता आशिका मुझे दवा देती और ख्याल रखती। इंदौर के हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद आशिका ने मेरे परिवार के सदस्य की तरह मेरी देखभाल की। जब मैं सो जाती तब वह कुछ देर के लिए सोती। जब मेरी नींद खुलती तो वह मेरे पलंग के पास खड़ी मिलती। इस यात्रा में दर्द का अहसास आशिका के साथ और दिग्विजय सिंह के आर्शीवाद से दूर हो गया।

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