धीरेंद्र कृष्ण की भागवत कथा: पहले दिन बोले छोटे काम भी पूरी मेहनत से करोगे तो बड़े काम अपने आप होने लगेंगे
न्यूज़ डेस्क :
बहेरिया में सोमवार से शुरू हुई सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के दौरान बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने प्रसंगों के जरिए भागवत का महात्म बताया। उन्होंने कहा कि भागवत का अर्थ ही भक्ति है। भक्ति ही भक्त है और भक्त ही भगवान है। अपने सागर के एक चेले का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि बहुत लोग ऐसे होते हैं जो छोटे काम तो कर नहीं पाते, लेकिन बड़े काम वाणी में करते हैं। कहने का आशय यह है कि काम छोटा हो या बड़ा, उसमें आलस्य और कामचोरी नहीं करना चाहिए। छोटे काम पूरी मेहनत से करने पर ही बड़े काम करने की क्षमता विकसित होती है।
एकाग्र होकर भगवत ध्यान करना ही भक्ति
भक्ति का अर्थ बताते हुए एक महात्मा का प्रसंग सुनाया। कहा कि संसार से भाग मत इसलिए कथा सुनो भागवत। जब भगवान नाम का रस पीयें ताे किसी का ध्यान नहीं रहे, वही भक्ति है। भक्ति जब दिल में प्रवेश करती है तो अपने आप सब पूर्ण हो जाता है।
जिसे परमात्म सत्ता का ज्ञान, वही सच्चा ज्ञानी
ज्ञान का अर्थ बताते हुए कहा कि बीए, एमए, पीएचडी, डीएड, बीएड, सीए कर लेने से कोई ज्ञानी नहीं होता। ज्ञानी का मतलब यह है कि जिसे यह ज्ञान हो जाए कि भगवान की कोई सत्ता थी, है और रहेगी, वही सबसे बड़ा ज्ञानी है।
बुरे कर्मों को त्यागने वाला ही वैरागी
वैराग्य का अर्थ बताते हुए एक संत का प्रसंग सुनाया। कहा कि अपने घर को छोड़ दूसरे के घर में घुसना वैराग्य नहीं है। अपने घर से क्या दुश्मनी जिसमें जन्म लिया। मकान छोड़ने, कपड़ों को त्यागने वाला वैरागी नहीं है। बुरे कर्मों से वैराग्य धारण करने वाला ही सच्चा और अच्छा वैरागी है।
भगवत निंदा को त्यागकर सत्संग करने वाला ही त्यागी
त्याग का अर्थ बताते हुए उन्होंने नए संतों का प्रसंग सुनाया। कहा कि संसार में सबसे बड़ा त्यागी वही जिसने संकल्प ले लिया, जो भगवान की बुराई, उनसे दूर करने वाले घनिष्ठ मित्र, परिवार को त्यागकर साधुओं की संगत कर ले।
कथा के दौरान 3 बार कहा ठठरी के बंदे
प्रसंग सुनाने के दौरान उन्होंने पूरी कथा में 3 बार बुंदेलखंडी शब्द ठठरी के बंदे का उपयोग किया। साथ ही भक्ति में डूबे लोगों को 3 बार पागल कहकर संबोधित किया।