भोपाल

मध्यप्रदेश में शिकायतों के अंबार: गेहूं नहीं मिलने की 10 हजार से अधिक, बिजली बिल की 9 हजार और FIR न करने की 7 हजार शिकायतें

भोपाल डेस्क :

चुनावी साल में जा चुके सत्तारूढ़ दल के लिए लगातार मिल रहीं जनता की शिकायतें चुनौती बन गई हैं। इस समय 85 हजार 898 ऐसे मामले हैं, जिन्हें 100 दिन में भी समाधान नहीं मिला। सर्वाधिक शिकायतें उन सात बड़े विभागों की हैं, जो जनता से सीधे जुड़ी हैं। इनमें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता संरक्षण, ऊर्जा के साथ नगरीय विकास एवं आवास विभाग भी शामिल हैं।

शिकायतों का ताजा आंकड़ा मंगलवार को लोकसेवा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने जारी किया। इसमें खास बात यह है कि 14 हजार 610 मामले ऐसे हैं, जिनमें शिकायत को ही एक साल हो गया। अब एक बार फिर समाधान ऑनलाइन में एक दिन में इनके निपटारे के प्रयास होंगे। सात मार्च को इनकी समीक्षा रखी गई है। इसमें लोकसेवा गारंटी अधिनियम के तहत मिलने वाली सेवाओं और समाधान एक दिन में पर बात होगी। रस्तोगी ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव के साथ कलेक्टर और एसपी को भी पत्र भेजा है।

पुलिस विभाग ही घेरे में

  • 2957 शिकायतें अवैध भवन निर्माण व नक्शे से जुड़ीं।
  • 14000 से ज्यादा मामले ऐसे, जो एक साल से अटके।
  • 4000 से अधिक मामले बंटवारे और नामांतरण से जुड़े।

निर्माण क्वालिटी और राजस्व के मामले

नगरीय विकास एवं आवास में शिकायतें
अवैध कॉलोनी/कब्जे/अवैध भवन/भवन निर्माण गलत तरीके से/नक्शे को अनधिकृत तरीके से वैध करने की 2,957 शिकायतें लोगाें द्वारा की गई है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास में शिकायतें

निर्माण कार्य पूरा नहीं कराया जाना/काम की क्वालिटी खराब होने की 2,445 शिकायतें।
राजस्व- नामांतरण और बंटवारे से जुड़े मामलों की 4,818 शिकायतें।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति में सबसे अधिक मामले

पात्रता के अनाज गेहूं, चावल न मिलने की 10,737 शिकायतें ।
गृह- एफआईआर न लिखने/देरी से लिखने/धाराएं सही नहीं होने की 7,337 शिकायतें।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी

गांवों में हर घर में नल से पानी पहुंचाने की 7,735 शिकायतें।

ऊर्जा- बिजली बिल में गड़बड़ी होने की 9,222 शिकायत

इधर, दो तहसीलदारों के इंक्रीमेंट रोके, प्रिंसिपल को नोटिस

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंगलवार को सीएम हाउस में समाधान ऑनलाइन की। इसमें उन्होंने अलग-अलग मामलों में दोषी अफसरों पर कार्रवाई की। विकासखंड चिकित्सा अधिकारी की वेतनवृद्धि रोकी। एक पटवारी को सस्पेंड किया, एक प्रकरण में विभागीय जांच के लिए कहा। दो तहसीलदार का एक-एक इंक्रीमेंट रोका और एक प्राचार्य को नोटिस देने के निर्देश दिए।

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