BREAKING NEWS- एक ही चिता पर भाई-बहन का अंतिम संस्कार: नाव डूबने से 5 बच्चों समेत 7 की गई जान

हमने मौत को बेहद करीब से देखा है। अपनों को खोया है। वह हादसा बार-बार आंखों के सामने आ रहा है। उस मंजर को जिंदगीभर नहीं भूल सकते।
श्योपुर में नाव हादसे में परिजन को खोने वाले रामावतार सुमन की इस दर्द को बयां करते-करते सिसकियां बंध जाती हैं। श्योपुर जिले में मानपुर थाना क्षेत्र के सरोदा गांव में शनिवार शाम करीब 4 बजे यात्रियों से भरी नाव सीप नदी में डूब गई। हादसे में 5 बच्चों समेत 7 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 4 लोग एक ही परिवार के थे। 4 लोगों ने किसी तरह तैरकर अपनी जान बचाई।
पुलिस, प्रशासन और एसडीईआरएफ की टीम ने 4 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद 7 शवों को नदी से निकाला। मृतक बडौदा, विजयपुर और करेरिया गांव के रहने वाले थे।
रविवार को ऊर्जा मंत्री प्रदुम्न सिंह तोमर पीड़ित परिवार से मिलने सरोदा गांव पहुंचे। 4-4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का आश्वासन भी दिया। करीब 11 बजे सातों अर्थियां उठीं। नम आंखों के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
आंधी से लड़खड़ाई नाव, भंवर में फंसकर डूब गई
नदी से तैरकर बाहर आए रामावतार सुमन (27) और हनुमान सुमन (25) से दैनिक भास्कर ने बातकर हादसे के बारे में जाना। हनुमान सुमन ने कहा, ‘हम अपने गांव बड़ौदा से सरोदा गांव की माली बस्ती में रिश्तेदारों के यहां गए थे। यहां पहुंचकर क्षेत्रपाल बाबा के दर्शन किए। इसके बाद भोजन किया। थोड़ा आराम करने के बाद जब दोपहर करीब 3:30 बजे धूप कम हुई तो घर के लिए निकले।
रास्ते में पड़ने वाली सीप नदी को पार करने के लिए नाव में सवार हुए। नाव नदी के बीच पहुंचने ही वाली थी कि तेज आंधी चलने लगी। हवा की गति उल्टी दिशा में थी, इसकी वजह से नाव वापस किनारे की ओर जाने लगी। इसी दौरान किनारे से कुछ दूर पानी में भंवर बन गया। इसमें फंसकर नाव पलट गई और सभी लोग पानी में गिर गए।
हम अपनी जान बचाने के लिए हाथ-पैर चलाने लगे। 4 लोग तैरकर नदी से बाहर आ गए लेकिन 7 लोगों की डूबने से जान चली गई।’

7 लोगों की गई जान, 4 तैरकर बाहर आए
हादसे में परशुराम पुत्र सूरजमल (25), आरती पुत्री कान्हाराम (16), लाली पुत्री रामावतार (15), भूपेंद्र पुत्र रामावतार (4), श्याम पुत्र परशुराम (10), रविंद्र पुत्र परशुराम (8) और परवंता पत्नी परशुराम माली (23) की मौत हो गई। रामावतार पुत्र लटूर, हनुमान पुत्र कन्हैया लाल, पवन पुत्र मुकुट, कल्लो बाई पत्नी रामचरण तैरकर जान बचाने में कामयाब हुए।
ग्रामीणों ने नाव के सहारे निकाले सभी शव
रामवतार सुमन ने बताया, ‘हादसे की सूचना मिलते ही ग्रामीण मौके पर पहुंचे। पुलिस को फोन किया लेकिन प्रशासन और एसडीईआरएफ की टीम करीब दो घंटे बाद पहुंच पाई। तब तक ग्रामीणों ने नाव के जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया था।
एसडीईआरएफ की टीम मोटर बोट से नदी में डूबे लोगों की तलाश कर रही थी। ग्रामीण भी नाव लेकर रस्सी, तार और लोहे के उपकरणों से आंकड़ा बनाकर पानी खंगाल रहे थे। कुछ ही मिनटों में उन्हें एक साथ 2 शव मिल गए। इसके बाद ग्रामीण ही शवों को निकालते रहे। एसडीईआरएफ शवों को किनारे पर छोड़ती रही।’
रामवतार ने बताया कि ग्रामीणों ने मेहनत नहीं की होती तो शायद ही एसडीईआरएफ देर रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा कर पाती।

ग्रामीणाें का आरोप- देर से पहुंची मदद
नाव डूबने की खबर फैलते ही आसपास के गांवों से भी लोग सीप नदी पर पहुंचे। मेवाड़ा गांव के रामजन्म मीणा ने आरोप लगाया कि समय पर मदद नहीं मिली, जिसके चलते ज्यादा लोगों की मौत हुई। हादसा शाम चार बजे हुआ था, आपदा प्रबंधन की टीम दो घंटे बाद मौके पर पहुंची। डॉक्टर और एम्बुलेंस भी साथ नहीं थे।

एक ही चिता पर भाई-बहन का अंतिम संस्कार
रामावतार सुमन ने 3 लोगों को तो डूबने से बचा लिया लेकिन अपने इकलौते बेटे और एक बेटी को इस हादसे में खो दिया। उनका बेटा भूपेंद्र सात बेटियों के बाद जन्मा था। रविवार को उन्होंने गृह ग्राम करेरिया में एक ही चिता पर दोनों बच्चों का अंतिम संस्कार किया।



