भोपाल

श्रद्धांजलि सभा में सीएम शिवराज का ऐलान: पीपी सर के नाम से देंगे पुरुस्कार बोले- पत्रकारिता यूनिवर्सिटी में उनके नाम से एक कमरा होगा

भोपाल डेस्क :

पत्रकारिता के क्षेत्र में ‘पीपी सर’ के नाम से पुरुस्कार शुरू किया जाएगा। यही नहीं, पत्रकारिता विश्वविद्यालय की नई बिल्डिंग में एक कमरा पीपी सर के नाम से होगा। यहां हर साल व्याख्यान आयोजित किया जाएगा। यह ऐलान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया। मंगलवार को होशंगाबाद रोड स्थित पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विकास भवन में संचालित कैंपस में श्रद्धांजलि सभा हुई। मुख्यमंत्री ने इसी कार्यक्रम में पुष्पेंद्र पाल सिंह को श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान, उन्होंने कहा कि पीपी सर के साथ बरसों तक काम किया। वह निष्काम, अपने प्रति निर्मम, निष्कलंक और निर्दोष थे। वह अहंकार शून्य थे। वह अपनी सीट के बजाय सामान्य सीट पर बैठते थे। उनमें गजब का धैर्य था। विद्यार्थी उनके अपने थे। फीस तक भरवा देना, पढ़ाई के लिए तत्पर रहते थे। हर तरीके से सबकी मदद करते थे। किसी के काम के लिए वह समय नहीं देखते थे। उनकी कई यादें हैं। जो जहन में हैं। वह सदा अमर रहेंगे।

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और मप्र माध्यम के संपादक रहे पुष्पेन्द्र पाल सिंह (पीपी सर) के ह्रदयाघात से निधन के बाद श्रृद्धांजलि सभा आयोजित की गई। कार्यक्रम में पीपी सर के पिता, बेटी समेत अन्य परिजन मौजूद थे। सभा में सीएम शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर, दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय सिंह, रमेश शर्मा गुट्‌टू भैया समेत पत्रकारिता और राजनैतिक क्षेत्र के कई लोग मौजूद थे।

पिता और बेटी को रोते देख छलके सबके आंसू
एमसीयू परिसर में आयोजित श्रृद्धांजलि सभा में पीपी सर के पिता और बेटी को रोते देख कार्यक्रम में मौजूद लोगों के आंसू छलक पड़े।

दिग्विजय की पत्नी बोलीं- वे पत्रकार के साथ बेहतर इंसान थे

पत्रकार और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय सिंह ने कहा- पीपी सिंह से मेरा संक्षिप्त परिचय था। मुझे इतना पता था, वे बीएचयू से पढ़े थे। मैं भी वहीं पढ़ी हूं। एमसीयू में उन्होंने मुझे पढ़ाने के लिए बुलाया। मुझे वे बेहतर इंसान लगे। मुझसे उनका इतना ही परिचय था, लेकिन उस परिचय को उन्होंने हमेशा जिंदा रखा। वह मेरे साथ अनजान सा रिश्ता बनाकर रहे। जब भी मुझे जरूरत पड़ी, तो उन्होंने भरपूर मदद की। यहां उपस्थित लोग जिस तरह से गमगीन हैं, उससे लगता है कि वे एक बेहतर इंसान और बेहतर शिक्षक साबित हुए। भारतीय समाज इस बात को हमेशा महत्व देता रहा है कि इंसान जीवनकाल में जो काम करता है, वह अपने जाने के बाद लोगों के मन में हमेशा जिन्दा रखने के लिए काम करे। पीपी जी ने इसके लिए हमेशा प्रयास किया। एक बेहतर पत्रकार और परिवार के सदस्य के तौर पर हम सब उन्हें हमेशा याद रखेंगे।

वीडी शर्मा बोले- पीपी से बहुत कुछ सीखा

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा- विश्वास नहीं होता कि पुष्पेंद्र पाल जी हमारे बीच नहीं रहे। मैं ठीक एक दिन पहले सीएम हाउस पर बैठे थे। रात को जब निकले, तो मेरी उनसे थोड़ी देर खड़े होकर बात हुई। विद्यार्थी जीवन से मीडिया के क्षेत्र में कैसे काम सीखना है, यह प्रशिक्षण भी उस समय पुष्पेंद्र पाल सिंह जी ने हम सभी विद्यार्थी परिषद के जो सेक्रेट्रीज होते थे, उन्हें भी हर साल उस कार्यशाला में बुलाते थे। मैंने भी बहुत कुछ सीखा। ऐसा व्यक्तित्व जो दूसरों के काम के लिए तत्पर और तैयार रहते थे। मैंने एक विशेषता उनकी देखी, मैं अगर राजनैतिक दल का अध्यक्ष हूं, तो आगे बढ़कर के क्या इनिशिएटिव और लिए जा सकते हैं। मुझे भी सिखाने के कई बार प्रयास किए। एक ऐसा व्यक्ति, जो हमारे बीच नहीं होता है, उनकी व्यावहारिकता इतना प्रभावित करती है कि विश्वास नहीं होता कि ऐसा व्यक्ति चला गया। मैं इसे व्यक्तिगत क्षति भी मानता हूं। एक इंस्टिट्यूशन के तौर पर उन्होंने जो काम किया है, यह सोसाइटी और समाज की बड़ी क्षति है।

पीयूष बबेले ने कहा- पीपी सर मेरे पिता तुल्य थे

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पीयूष बबेले बोले- पीपी सर सिर्फ मेरे गुरु नहीं थे, वह पिता तुल्य थे। मैं 2002-2004 में माखनलाल यूनिवर्सिटी में पढ़ा। तब ये यूनिवर्सिटी 7 नंबर पर थी। यह कहना कठिन है, मैं बहुत जगह पढ़ा, लेकिन ऐसा गुरु देखा नहीं। मुझे यहां से निकले हुए 20-22 साल हो गए। तब भी उनकी गुरुता बरकरार थी। हाल में माताजी के पास बैठा था। आपने एक शब्द कहा कि ऐसा लगा जैसे पिचकारी दबा दी हो, रंग निकल गया। मां की यह बात और हम भी यही सोच रहे थे, जैसे वो चले गए। लेकिन ये संस्मरण हम सबको करना पड़ेगा। इतना प्यार हम सब से क्यों करते थे? यूनिवर्सिटी उन्होंने ऐसी बदल दी थी, छात्रों की नौकरी के लिए काम करते रहे। नौकरी लगने के बाद भी जिस तरह समझते थे, वैसे कोई घर का बंदा क्या करेगा।

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