आनंदपुर डेस्क :
आनंदपुर से 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम ओखली खेड़ा में जिले का एकमात्र नरसिंह भगवान का मंदिर समूचे क्षेत्र में अपनी प्रसिद्धि के लिए जाना जाता है 21 मई मंगलवार को भगवान नरसिंह देव के प्रकट उत्सव के अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया इस भंडारे में ओखली खेड़ा सहित आसपास के ग्रामों के लगभग 5000 से अधिक भक्तों ने भोजन प्रसादी ग्रहण की, सुबह से ही भगवान का पूर्ण विधि विधान से पूजन अर्चन करने के बाद भगवान को भोग लगाया गया और, 11:00 बजे से विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें शुद्ध देसी घी के पकवान परोसे गए। शाम 6:00 बजे से भगवान नरसिंह देव विमान में विराजित होकर नगर भ्रमण के लिए निकले और भक्तजनों को दर्शन दिए।
6 क्वांटल वजनी हैं नरसिंह भगवान की नई प्रतिमा
केशव देव ट्रस्ट के सदस्य भैरव सिंह जादौन बताते हैं कि हम हमारे जन्म से ही भगवान नरसिंह देव की प्राचीन प्रतिमा जो कि पीतल की हैं वह लगभग 8- 9 इंच की हैं। जो कि पहले एक कच्चे घर में विराजमान थी सभी वहां पर ही पूजन करते थे। भगवान नरसिंह देव की पीतल की प्रतिमा कितनी पुराना है इसकी किसी को जानकारी नहीं है। केशव देव ट्रस्ट बनने के उपरांत मंदिर की नींव रखी गई। समय बितता गया और यह मंदिर धीरे-धीरे कर आकर लेता गया, अंततः 9 मई 2017 को नए मंदिर में 6 क्वांटल बजनी मकरोनिया पत्थर से निर्मित भगवान नरसिंह देव की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। जिले में सबसे बड़ा एकमात्र मंदिर यही है यहां प्रतिवर्ष भगवान नरसिंह देव के प्रकटोत्सव पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें ग्राम सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के हजारों नागरिक भजन शादी ग्रहण करते हैं।
नए मंदिर का निर्माण महंत पुरुषोत्तम दास त्यागी के संरक्षण में लगभग दस साल में हुआ और इस मंदिर परिसर का निरंतर विस्तार हो रहा है मंदिर परिसर लगभग दो बीघा जमीन में फैला है। इस मंदिर के मुख्य पुजारी हेमराज शर्मा ही पूजा करते हैं।
पूर्व जनपद सदस्य माखन सिंह जादौन ने बताया कि ठाकुर जी का यह प्राचीन मंदिर हम सभी को आपस में जुड़े हुए हैं और यह जिले का एकमात्र विशाल मंदिर भी है जो हम सभी का आस्था का केंद्र है।
केशव शर्मा ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर गांव सहित समूचे क्षेत्र की प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करता है और भगवान के प्रति नागरिकों की आस्था भी लगातार बनी हुई है।