विदिशा

देखते ही देखते 10 बीघा खेत की नरवाई जलकर हुई खाक, किसान ने अपने हाथों से किया आग के हवाले

आनंदपुर डेस्क :

हमारी भारतीय संस्कृति में सुबह उठकर धरती को दाएं हाथ से छूकर हथेली को माथे से लगाने की परंपरा है। ऋषि-मुनियों ने इस रीति को विधान बनाया था, ताकि हम धरती माता के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर सकें और उन्हें सम्मान दे सकें। हमारा शरीर भी भूमि तत्वों से बना है और धरती हमारे लिए मातृ स्वरूपा है। लेकिन इसी मातृ स्वरूप धरती मां को बड़े-बड़े उद्योग फैक्टरियों के साथ ही धरतीपुत्र किसान ही बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।


यह धरती मां हम सभी के लिए अनाज सहित सभी अनाज और जरूरी तत्व अपनी गोद में उगा कर देती है और जिसके कारण हम सभी जीव स्वस्थ जीवन जी का रहे हैं लेकिन यह धरतीपुत्र किसान इस धरती मां की परवाह न करते हुए अपने स्वार्थ बस नुकसान पहुंचाने में जुटे हुए हैं। यदि यह किसान इस नरवाई में आग ना लगाएं तो हजारों बेसहारा मवेशियों के लिए कम से कम दो माह तक चारे की समस्या नहीं आएगी और इस नरवाई की आग से जो पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं वह भी सुरक्षित बचे रहेंगे और हमारा पर्यावरण स्वस्थ पर्यावरण बना रहेगा।

लेकिन इस नरवाई की आग से खेत की नरवाई तो जलता है साथ ही आसपास सैकड़ो पेड़ पौधे भी जलकर नष्ट हो जाते हैं और खेतों में हजारों छोटे-छोटे जीव जंतु भी जो कि हमारी भूमि की उर्वरक क्षमता को बढ़ाते हैं वह भी जलकर नष्ट हो जाते हैं जिसके चलते फसल उत्पादन में भी कमी आ जाती है।

घटना ग्राम सतपाड़ा के एक किसान किस तरीके से अपने 10 बीघा खेत में खड़ी हुई नरवाई को अपने हाथों से आग के हवाले कर रहे हैं देखते ही देखते यह आग पूरी नवाई को जला देती है वह तो शुक्र है कि उस समय हवा नहीं चली नहीं तो 100 मीटर की दूरी पर जो बेसहारा गाय/ मवेशी खा रही थी उनको भारी नुकसान हो सकता था।

इस तरह आनंदपुर, सतपाड़ा, परवरिया, ओखली खेड़ा सहित अनेक ग्रामों में जिधर भी देखो उधर शाम के समय नरवाई में लगी हुई आग की लपटे ही नजर आती है।

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