विदिशा

अनोखा दशहरा: तीन मंजिल मकानों, पेड़ो ,ट्रेक्टर ट्राली पर खड़े हो कर देखा पत्थर मार युद्ध , एक भी पत्थर नहीं छू सका राम सैनिकों को

आनंदपुर डेस्क :

विदिशा जिले की आखिरी छोर पर बसे ग्राम कालादेव में सैकड़ों वर्ष पूर्व से चले आ रहे अनोखे पत्थर मार दशहरे का आयोजन प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी किया गया यहां पर एक तरफ राम की सेना तो दूसरी ओर भील बंजारे रावण की सेना में सम्मिलित होने के लिए आते हैं और गोफान (गोतिया) से राम की सेना पर पत्थरों की बारिश करते हैं  स्थानीय ग्रामीण बीच मैदान में लगे हुए ध्वज की चारों ओर परिक्रमा करते हैं लेकिन आश्चर्य इस बात पर देखने को मिलता है कि राम की सेना के किसी भी सैनिक को रावण सेना की ओर से फेंके गए पत्थर छू भी नहीं पाते हैं और राम सैनिक जय श्रीराम के नारे लगाते हुए दौड़ते हुए ध्वज की परिक्रमा करते हैं और वापस रामदल के रथ तक जाते हैं।
बड़ी संख्या में लोग दूर दूर से इस अनोखे पत्थर मार दशहरे को देखने के लिए आते है।

भील बंजारा समुदाय के लोग होते हैं रावण की सेना में –

इस अनोखे पत्थर मार दशहरे में  महाराजा लंकाधिपति रावण की सेना में खासकर  भील  बंजारों के नोजवान लड़के सम्मिलित होते हैं जो कि गोतिया चलाने में बहुत ही माहिर होते हैं और उनका निशाना बड़ा ही अचूक होता है वह जिस किसी को भी एक बार निशाना साध दें तो अचूक माना जाता है लेकिन इस पत्थर युद्ध में ऐसा कतई देखने को नहीं मिल पाता।

तीन मंजिल मकानों, पेड़ो ,ट्रेक्टर ट्राली पर खड़े हो कर देखा पत्थर मार युद्ध

इस ऐतिहासिक पत्थर मार युद्ध को देखने के लिए ग्रामीणों को खड़े होने के लिए भी जगह नहीं मिल पाती जिसके चलते तीन तीन मंजिल घरों पर और पेड़ों पर ट्रैक्टर ट्रॉली ओं पर भी बैठ कर लोग इस अनोखे पत्थर मार युद्ध दशहरे का आनंद लेते हैं। इस बार इस दशहरा मैदान की एक और एक मेले का भी आयोजन किया गया जिसमें बच्चों के खेल खिलौने सहित अनेकों सामग्रियां देखने को
साथ ही आपको बता दें कि इस दशहरा मैदान में रावण की एक विशाल प्रतिमा भी लगी है जो कि लोगों का आकर्षण का केंद्र है और यहां प्रतिवर्ष इस ऐतिहासिक दशहरे का आयोजन स्थानीय निवासियों के  द्वारा किया जाता है ,यहां पर मानता है कि  प्राचीन कल्याराव महाराज का अति प्राचीन मंदिर है साथ ही पान–बरेजों में सोखावीर महाराज की कृपा से अभी तक कोई भी कालादेव के निवासी जो रामसेना में होते हैं ,

उनको पत्थर नहीं लगते हैं । कल्यानराव देव की पूजा अर्चना के बाद रामलीला मंचन के आखिरी दिन राम–रावण युद्ध  के बाद राम रावण की सेना में पत्थर मार युद्ध होता है,  ग्राम सरपंच प्रतिनिधि रामेश्वर शर्मा  ने बताया कि यह ऐतिहासिक दशहरे का आयोजन हम बचपन से ही देखते चले आ रहे हैं और आज हम एक दूसरे के साक्षी बने हुए हैं लेकिन आज तक किसी को भी एक ही पत्थर नहीं लगा हां यदि धोखे से कोई अन्य ग्रामीण राम की सेना में सम्मिलित हो जाए तो उसको पत्थर जरूर लग जाता है लेकिन राम सैनिकों को एक ही पत्थर नहीं लगता,ग्राम के शिवम रजक, दीपक, हरिओम चौरासिया आदि ने बताया की हम लोग हमारे बुजुर्गों से इसी तरह का आयोजन होते देखते आ रहे हैं,पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के समय इस दशहरे को पूरे प्रदेश सहित देश मे लोकप्रियता मिली थी,उनके समय मे प्राचीन परमार वंशीय कल्याणराव मंदिर को पुरातत्व विभाग ने इतिहासिक धरोहरों में शामिल करवाया था,यहाँ के कालादेव के एक ओर प्राचीन  देव स्थान सोखावीर के यहाँ विकास रुक गया,यहाँ कालादेव सहित आसपास के ग्रामीणों का आस्था का केंद्र है। अंत में भगवान राम भव्य रथ पर आते हैं और गण्यमान्य नागरिक,जनप्रतिनिधि सहित स्थानीय विधायक उमाकांत शर्मा ने भगवान राम की आरती उतारी गई इसके पश्चात सभी ग्रामीण जनों को प्रसाद वितरण कराया गया। इस अवसर पर लगभग 15000 से अधिक की तादाद में दर्शक गण उपस्थित थे जो आस पास के ग्रामों सहित अन्य जिलों से इस अनोखे दशहरे को देखने आए थे ।     

सदियों पुरानी परंपरा है

ग्राम कालदेव के पटेल और पूर्व सरपंच भानु शर्मा और वर्तमान सरपंच प्रतिनिधि रामेश्वर शर्मा ने बताया कि सदियों पुरानी परंपरा है आसपास के ग्रामीण जन रावण सेना में और स्थानीय युवा लड़के राम सेना में सम्मिलित होते हैं जो कि बीच मैदान में लगे हुए ध्वज की परिक्रमा लगाते हैं उधर एक और से रावण दल के सैनिक राम सैनिकों पर गोतीया से पत्थर बरसाते हैं लेकिन किसी को नहीं लगता यदि धोखे से लग भी जाए तो कोई गंभीर चोट नहीं आती।

सिरोंज लटेरी विधायक उमाकांत शर्मा ने सभी को दशहरे की बधाई देते हुए कहा कि यह सदियों पुरानी परंपरा है और पूर्व मंत्री कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने इस ग्राम काला देव के दशहरे को भारत की प्रमुख मीडिया में लेकर आए थे और अब हम प्रयास कर रहे हैं कि एक बार पुनः राष्ट्रीय लेवल पर काला देव का दशहरा प्रसारित हो सभी के सहयोग से अच्छा कार्य चल रहा है

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