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दिसंबर में ठंड नहीं, जनवरी-फरवरी इंदौर, ग्वालियर में पड़ेगी कड़ाके की ठंड, जायेगा तापमान, जनवरी में बारिश और ओले भी गिर सकते हैं

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आधा दिसंबर बीत चुका है, लेकिन प्रदेश में अब तक ठंड जोर नहीं पकड़ सकी है। मैंडूस साइक्लोन की वजह से तापमान के तेवर कुछ नरम जरूर पड़े थे। लेकिन वो भी सिर्फ एक ही दिन यानी 13 दिसंबर को, जब ठंड का एहसास हुआ था। उस दिन इतनी ठंड पड़ी थी कि तीन साल बाद दिसंबर के शुरुआती दो सप्ताह में दिन का पारा 19 डिग्री के नीचे 18.8 डिग्री सेल्सियस तक आया था।

भोपाल में वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि इंदौर, ग्वालियर और चंबल में रात का तापमान सामान्य से 1 से 2 डिग्री कम रहेगा, जबकि भोपाल-जबलपुर में सामान्य और सागर में रात का पारा सामान्य से ज्यादा रहेगा। दिसंबर में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार नहीं हैं। जनवरी और फरवरी में कंपाने वाली ठंड पड़ेगी। जनवरी में बारिश हो सकती है। ओले गिरने की भी संभावना है। 

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वेस्टर्न डिस्टर्बेंस स्ट्रॉन्ग नहीं हो सके
इस बार अब तक कोई भी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (WD) स्ट्रॉन्ग नहीं हो पाए हैं। इससे बारिश भी नहीं हुई। ऐसे में ठंड की शुरुआत ही नहीं हो सकी है। जो भी सिस्टम आ रहे हैं, बेहद कमजोर हैं। इस कारण हिमालय और अरुणाचल में ज्यादा बर्फबारी नहीं हो पा रही है। उत्तराखंड में तो अब बर्फ ही नहीं गिरी है। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के स्ट्रॉन्ग नहीं होने के कारण यह वायुमंडल में काफी ऊपर यानी 5 किलोमीटर की ऊंचाई से जा रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों की मानें, तो दिसंबर में ऐसा ही मौसम रहेगा, लेकिन जनवरी-फरवरी में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की संख्या बढ़ने से बारिश और ओला गिरने से प्रदेश में ठंड जोर पकड़ेगी।

यहां रात का पारा नीचे आने से कोल्ड वेव
मध्यप्रदेश में दिसंबर के अंत तक अच्छी ठंड का अंदाजा लगाया जा रहा है। वैज्ञानिक सिंह ने बताया कि शहडोल, रीवा, इंदौर, ग्वालियर और चंबल संभागों में इस बार न्यूनतम तापमान अपेक्षाकृत ज्यादा कम रहने वाला है। यहां रात का तापमान औसतन 1 से 2 डिग्री कम रहेगा। रात का तापमान ज्यादा गिरने से यहां कोल्ड वेव रहेगी। यानी रात और दिन में शीतलहर का असर रहेगा।

बुंदेलखंड के हिस्सों में ज्यादा ठंड नहीं
अगर बुंदेलखंड क्षेत्र की बात करें, तो इस बार सागर समेत कई इलाकों में न्यूनतम तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं होने वाली। रात का पारा सामान्य से कुछ ज्यादा रह सकता है। इसका यह मतलब नहीं कि यहां ठंड नहीं होगी। ठंड तो रहेगी, लेकिन तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं होगी।

जनवरी में बारिश और ओले भी गिर सकते हैं
दिसंबर में मैंडूस साइक्लोन के कारण बारिश तो हुई, लेकिन ज्यादा बारिश नहीं हुई। मैंडूस के अलावा अभी ऐसी स्थिति नहीं बन रही, जिससे दिसंबर में बारिश के आसार बनें। हालांकि 21 दिसंबर को प्रदेश के कुछ हिस्सों में बारिश के आसार हैं। वहीं, कुछ इलाकों में बूंदबांदी हो सकती है। बादल छाने से तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा, जनवरी में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण बारिश के दिनों में भी वृद्धि हो सकती है। बारिश के साथ ओले भी गिर सकते हैं। फरवरी में ज्यादा बारिश की संभावना नहीं है।

प्रदेश भर में कम रहेगा अधिकतम तापमान
वैज्ञानिक सिंह ने बताया कि इस बार प्रदेश भर में रात की अपेक्षा दिन का तापमान ज्यादा गिरेगा। जबलपुर और शहडोल में अधिकतम तापमान सामान्य से थोड़ा बढ़ा रहेगा, लेकिन अन्य इलाकों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, चंबल, बुंदेलखंड, बघेलखंड समेत प्रदेश में अधिकतम तापमान 2 से 3 डिग्री से ज्यादा गिर सकता है। इस कारण कोल्ड डे की संख्या बढ़ सकती है। ऐसे में रात की तुलना में लोगों को दिन में ठंड का अधिक एहसास होगा।

यहां सामान्य रहेगा पारा
इंदौर के बगल से उज्जैन, भोपाल, नर्मदापुरम और जबलपुर में दिन का पारा सामान्य रहेगा। यहां ठंड के दिनों में औसतन सामान्य के आसपास रहेगा। ऐसे में ठंड तो रहेगी, लेकिन शीतलहर कम चलने के कारण ठंड ज्यादा परेशान नहीं कर पाएगी।

सर्दियों में इसलिए होती है बारिश
सर्दियों में बारिश होने के पीछे की बड़ी वजह पाकिस्तान से आने वाली हवाएं (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) है। उत्तरी और समुद्र से आने हवाओं के टकराने के कारण बारिश की स्थिति बनती है। इससे तेज हवाओं के साथ बारिश और ओले पड़ते हैं। इससे दिन में शीतलहर का प्रकोप बढ़ जाता है। अभी लानीला लगातार सक्रिय है और आईओडी सक्रिय नहीं है। इस कारण वातावरण में नहीं है। इस कारण अब तक कोहरा की परिस्थितियां नहीं बन पा रहीं। इस दौरान ग्वालियर, चंबल, बुंदेलखंड और बघेलखंड में कोहरा रहता था, वह भी नहीं रह पा रहा है। संभवत: दो से तीन दिन में कोहरा छा सकता है।

क्या होता है वेस्टर्न डिस्टर्बेंस?
सूर्य जब नॉर्थ से साउथ एरिया में जाता है, तो भारत में विंड पैटर्न बदलता है। हवाएं उत्तर से दक्षिण-पूर्व और पश्चिम से दक्षिण-पूर्व दिशाओं में बहने लगती हैं। पश्चिमी एरिया पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, सीरिया से हवाएं आती हैं। ये हवाएं भू-मध्य सागर से अपने साथ नमी (मॉइश्चर) लाती हैं। इस बीच, कहीं भी हवाओं का डिस्टर्बेंस होता है, तो वहां से क्लाउडिंग (बादल बनने) होने लगते हैं। ये आगे बढ़ते हुए भारत के उत्तरी हिस्सों में हिमालय की पहाड़ियों से टकराते हैं, जहां ये बर्फबारी और बारिश कराते हैं।

ग्वालियर में रात का पारा 7 डिग्री तक आएगा
बादल छंटने से 18 दिसंबर से रात का पारा तेजी से नीचे आएगा। इससे धीरे-धीरे उत्तरी हवाएं आना शुरू हो जाएंगी। इससे ठंड बढ़ जाएगी। सबसे ज्यादा ग्वालियर चंबल में न्यूनतम तापमान 7 के आसपास और भोपाल और उसके आसपास रात का पारा 11-12 डिग्री के आसपास आ जाएगा। इंदौर और उज्जैन में न्यूनतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहेगा।

2020-21 में ज्यादा ठंड रही थी
वैज्ञानिक सिंह ने बताया कि इस बार मध्यप्रदेश में मौसम सामान्य रहेगा। मध्यप्रदेश में दो साल 2020 और 21 में सबसे ज्यादा ठंड पड़ी थी। हालांकि इन दोनों सालों को छोड़ दिया जाए तो मध्यप्रदेश में बहुत ज्यादा कड़ाके की ठंड नहीं रही। इस बार भी अन्य सालों की तरह ही ठंड के तेवर रहने की संभावना है।

हर साल उठने लगे 7 से 8 तूफान, इससे बढ़ रहा है तापमान
तूफानों को लेकर भोपाल के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) के साइंटिस्ट ने बड़ा रिसर्च किया है। आइसर के अर्थ एंड एनवायरमेंटल साइंस डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ पंकज कुमार की गाइडेंस में साइंटिस्ट डॉ. गौरव तिवारी ने यह रिसर्च किया है। रिसर्च में तूफानों को लेकर 1990 से 2017 तक के डाटा की स्टडी की गई है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में हर साल औसतन 8 तूफान उठने लगे हैं इससे दिसंबर की ठंड कम हुई है और तापमान बढ़ गया है।
मैंडूस की वजह से हुई बारिश
तिवारी ने बताया बंगाल की खाड़ी से उठे तूफान मैंडूस के कारण पिछले हफ्ते भोपाल समेत प्रदेश मे बारिश हुई थी। हालांकि यह तूफान धीमा यानी साईक्लोनिक स्टॉर्म की कैटेगरी का था। इसके कारण हवा की रफ्तार अधिकतम 100 किमी प्रति घंटे दर्ज की गई। यदि यह तूफान वेरी सीवियर साइक्लोनिक स्टॉर्म या सुपर साइक्लोन की कैटेगरी में होता तो हवाओं की रफ्तार 180 से 220 किमी प्रति घंटे तक होती। जिससे मध्य प्रदेश सहित उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भी जान-माल को नुकसान हो सकता था

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