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इंदौर के रणजीत हनुमान मंदिर की प्रभात फेरी में डेढ़ लाख भक्त होने की संभावना: रथ खींचने, सोशल मीडिया, भोजन, सुरक्षा, महिला वाहिनी सबकी टीम अलग, ऐसा हैं मैनेजमेंट प्रभात फेरी का

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16 दिसम्बर को रणजीत हनुमान मंदिर से धूमधाम से प्रभात फेरी निकलने वाली है। प्रभात फेरी निकलने का ये 137वां साल है। विश्व की सबसे बड़ी प्रभात फेरी होने का दावा किया जा रहा है। क्योंकि इसमें डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है।

सबसे पहले तो किसी भी बड़े आयोजन को करने के लिए एक बड़ी टीम की जरुरत पड़ती है। ऐसी ही एक बड़ी टीम इंदौर के रणजीत हनुमान मंदिर में है। जिसका नाम है रणजीत हनुमान भक्त मंडल। वैसे तो इस भक्त मंडल में 22 हजार सदस्य रजिस्टर्ड है। इसमें दो हजार ऐसे सक्रिय सदस्य है जो यहां होने वाली छोटे से लेकर बड़े आयोजनों में निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं। फिर चाहे वह मंदिर में सफाई का काम हो या प्रभात फेरी में व्यवस्था संभालने का। बिना किसी संकोच के वे सेवा भाव से काम करते हैं।

भक्त मंडल में कोई भी पद नहीं सब एक समान

इस मंदिर के भक्त मंडल की सबसे खास बात यह है कि यहां के भक्त मंडल में किसी भी सदस्य के पास कोई भी पद नहीं है। ना ही कोई सदस्य अपने आप को पदाधिकारी समझता है। यहां सभी रणजीत बाबा की सेवा के भाव से काम करते हैं। न ही कोई पद की लालसा करता है। भक्त मंडल में सभी सदस्य है और सभी एक समान है।

वॉट्सएप ग्रुप, इंस्टाग्राम पर मैसेज, सब तैयार

रणजीत हनुमान मंदिर के भक्त मंडल के लिए वॉट्सएप के कई ग्रुप बने हैं। इसमें महिला भक्त मंडल के भी ग्रुप हैं। इन ग्रुप पर मंदिर में होने वाले आयोजन, उसकी तैयारी को लेकर होने वाली बैठकों की जानकारी डाली जाती है। इसके चलते भक्त मंडल के सभी सदस्य अपनी इच्छा से इसमें शामिल होने पहुंच जाते हैं।

बैठकों में तय होता है प्लान, दी जाती है जिम्मेदारी

बड़े आयोजनों के पहले मंदिर परिसर में ही भक्त मंडल के सदस्यों के साथ बैठकों का आयोजन होता है। इसमें सभी से आयोजनों को लेकर राय मशविरा किया जाता है। जिसके बाद आयोजन की रुपरेखा तैयार की जाती है। बैठकों में ही भक्त मंडल के सदस्यों की जिम्मेदारी तय की जाती है कि कौन क्या व्यवस्था देखेंगे और किस प्रकार देखेंगे।

मंदिर में बांट रखे हैं सेक्शन

मंदिर के पुजारी पं.दीपेश व्यास ने बताया कि मंदिर में सभी भक्त मंडल के सदस्यों के लिए सेक्शन बांट रखे हैं। जिस सदस्य को जो सेक्शन दिया जाता है वह उसमें ही पूरी तरह से काम करते हैं। वे दूसरे सेक्शन में दखल नहीं देते। इसलिए यहां का मैनेजमेंट और आयोजन अच्छे से पूरे हो जाते हैं। जिस सदस्य को जो जिम्मेदारी दी जाती वह निस्वार्थ भाव से अपना काम करते हैं।

भोजन की टीम अलग, रथ खींचने की टीम अलग

पं. व्यास ने बताया कि रथ खींचने का काम, रथ सजाने का काम रथ संबंधी सभी कामों के लिए अलग टीम बनाई है। रथ खींचने के लिए 250 लोगों की टीम है। यहीं टीम आयोजन का प्रचार-प्रसार के अलावा बैनर-पोस्टर लगवाने, ध्वजा लगाने का काम भी देखती है। देखा जाए तो जमीनी स्तर पर सक्रिय सदस्य के रूप में काम करने वाले 600 भक्तों की टीम है। भोजन की व्यवस्था की बात करें तो इसकी तैयारी से लेकर प्रसादी बांटने के लिए 90 लोगों की टीम तैयार की गई है।

सभी को क्रमानुसार लगाना

मंदिर में रथ को क्रमानुसार लगाने की जिम्मेदारी 50 लोगों को दी गई है। यानी ये भक्त 15 दिसम्बर की रात से ही इस काम में मुस्तैदी से लग जाएंगे। प्रभात फेरी में शामिल होने वाली गाड़ियां, भजन मंडलियां, भजन गायकों सहित सभी को लाइनअप करने का काम इन लोगों के पास रहेगा। 15 दिसम्बर की रात से ही ये गाड़ियां यहां आना शुरू हो जाएंगी। इन्हें मंदिर के ग्राउंड में व्यवस्थित रूप से लगाने से लेकर सुबह 3 बजे क्रमानुसार उन्हें बाहर निकालने तक की जिम्मेदारी इन्हीं की रहेगी। इसके साथ ही इन सभी लोगों के रात में रुकने से लेकर खाने तक की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी इन्हीं टीम की रहेगी।

महिला ध्वजा वाहिनी के लिए 30 महिलाएं भक्त

प्रभात फेरी में 5100 महिला ध्वज वाहिनी भी ग्रुप में चलेंगी। इन सभी महिला ध्वज वाहिनी को पूरी प्रभात फेरी में लाइन अप करने से लेकर व्यवस्थाओं को देखने के लिए 30 से ज्यादा महिला भक्त रहेंगी। जो इनकी सुरक्षा के साथ ही इनकी व्यवस्थाओं को ध्यान रखेंगी।

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