आनंदपुर डेस्क :
लटेरी तहसील के छोटे से गांव बलरामपुर से निकलकर एक किसान का बेटा आज सिविल जज बन गया है यह सिर्फ अपनी मेहनत के दम और परिवार की सपोर्ट के चलते ही संभव हुआ है वीर सिंह धाकड़ उम्र 27 बर्ष पढ़ाई के मामले में बचपन से लगन और जुनून इस कदर सवार था कि वह पढ़ाई के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है इनकी प्राथमिक शिक्षा शासकीय विद्यालय बलरामपुर में ही हुई तत्पश्चात उन्होंने नवोदय का एग्जाम फाइट कर उसमें प्रवेश लिया और कक्षा 6 से नवोदय विद्यालय शमशाबाद से पढ़ाई की जिसमें 12वीं पीसीएम से की तत्पश्चात आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी उड़ीसा को चुना और वहां पर 5 वर्ष रहकर एलएलबी, बीबीए कंपलीट किया।
और सिविल जज की तैयारी में जुट गए पिछले डेढ़ वर्षो में उन्होंने इस लग्न के साथ पढ़ाई की और लक्ष्य बनाया कि मैं घर तभी जाऊंगा जब मैं जज की कुर्सी हासिल कर लूंगा और उन्होंने यह पहले ही प्रयास में करके भी दिखाया। और 27 वी रैंक हासिल कर सिविल जज बने, इस सफलता पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

पिताजी हैं प्रेरक
इस सफलता को उन्होंने दैनिक भास्कर संवाददाता सीताराम वाघेला के साथ शेयर करते हुए बताया कि मेरे पहले और आखरी मोटीवेटर/ प्रेरक मेरे पिताजी ही है उन्होंने मुझसे कहा था कि बेटा जो भी पढ़ाई करो पूरी लगन और ईमानदारी से करोगे तो सफलता जरूर मिलेगी और आज जिसकी बदौलत कि मैं सिविल जज की परीक्षा मैं पहले ही प्रयास में जज बन गया उन्होंने आज के युवाओं को संदेश देते हुए कहा है कि माता पिता की बात को शिरोधार्य करते हुए पूरी लगन और मेहनत से निरंतर अपने लक्ष्य के प्रति गंभीरता से पढ़ाई करेंगे तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सके। मेरे परिवार की स्थिति भी ठीक नहीं थी मेरे पिताजी के पास सात 8 बीघा जमीन है और उसी जमीन के सहारे पूरे परिवार का भरण पोषण होता है लेकिन मेरे पिताजी दौलतराम धाकड़ ने जिस उम्मीद से मुझे सपोर्ट किया वह हर किसी के बस की बात नहीं है। बाहर रहकर मुझे पढ़ाया और पूरा खर्चा उन्होंने उठाया खुद तंग रहे पर मुझे पढ़ाई में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी मैंने भी उनके विश्वास को नहीं टूटने दिया और आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं। यह सब मेरे पिताजी को समर्पित है।