विदिशा

लटेरी/ मधुसुदनगढ़ के जंगल से सागौन की तस्करी: लकड़ी तस्कर अंधेरे में तय करते हैं 3 जिलों का सफर, मनोहरथाना में 4 से 5 हजार में बिकती है एक सिल्ली

विदिशा डेस्क :

मधुसूदनगढ़ में लकड़ी तस्करों ने गुरुवार को सुबह वन विभाग की टीम पर हमला कर दिया था। तस्करों का गुना जिले की सीमा से होते हुए यह पसंदीदा रास्ता है। अल सुबह अंधेरे में यह लोग बाइक से लकड़ी की सिल्लियां लेकर निकलते हैं, फिर राजगढ़ होते हुए राजस्थान के झालावाड़ जिले में मनोहरथाना पहुंचते हैं

वहां अलग-अलग आरा मशीन पर इनकी सिल्लियों की बिक्री होती है। एक सिल्ली की कीमत चार से पांच हजार रुपए रहती है। यही वजह है कि बाइक सवार तस्कर लकड़ी बचाने के लिए वन विभाग से आमना-सामना करने से भी नहीं चूकते हैं।

मधुसूदनगढ़ विदिशा जिले की सीमा से लगा हुआ है। विदिशा का लटेरी इलाका यहां से कुछ किमी पर ही है। लटेरी में सागौन का बड़ा जंगल है। इस जंगल में पिछले काफी समय से सागौन की अवैध रूप से कटाई की जा रही है। इसमें स्थानीय लोग शामिल हैं, जो कि पहले पेड़ों को चिह्नित कर लेते हैं, फिर मशीनों से दिन में इनकी कटाई कर सिल्लियां बना लेते हैं।

अंधेरा होने के बाद अल सुबह बाइक से लकड़ी को जंगल से निकालकर लाते हैं। एक बाइक पर तीन से चार सागौन की सिल्लियां रखते हैं, फिर लटेरी के जंगल से निकलकर गुना जिले की सीमा में दाखिल होते हैं। यहां मधुसूदनगढ़ बायपास होते हुए राजगढ़ जिले के सुठालिया और फिर चांचौड़ा-बीनागंज में अंडरब्रिज से गुजरकर राजस्थान की सीमा में दाखिल हो जाते हैं। यह सभी तस्कर एक साथ 15 से 20 बाइक के झुंड में चलते हैं। इसलिए सहज इन पर कार्रवाई नहीं की जाती।

सागौन के फर्नीचर की डिमांड अधिक

सागौन की लकड़ी से बने फर्नीचर की बाजार में अधिक मांग की जाती है। माना जाता है कि सागौन का फर्नीचर मजबूत रहता है। इधर, लटेरी के जंगल से काटी गई सागौन की लकड़ी को तस्करों के द्वारा पहले राजगढ़ जिले के सुठालिया में बेचा जाता था। यहां इसका फर्नीचर बनाते हैं, लेकिन कुछ माह पहले हुई सख्ती के बाद सुठालिया में यह कारोबार फिलहाल बंद है। ऐसे में अब यह लोग राजस्थान जाते हैं। ऐसे में अब राजस्थान में अवैध लकड़ी खरीदने वालों पर बड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है।

तस्करी रोकने के लिए एसपी के साथ बैठकर प्लान बनाया है

लकड़ी की तस्करी रोकने के लिए हमने एसपी के साथ बैठकर प्लान बनाया है, जिसके बाद संयुक्त रूप से कार्रवाई की जाएगी। इसमें विदिशा डीएफओ भी शामिल रहेंगे। हमारे बेहतर कॉर्डिनेशन का ही नतीजा था कि मधुसूदनगढ़ में तत्काल तीन थानों की पुलिस और रेंज का स्टाफ पहुंच गया था।
सर्वेश सोनवानी, डीएफओ गुना

वनकर्मियों पर हमले का मामला : 36 घंटे बाद मधुसूदनगढ़ पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

मधुसूदनगढ़ में बायपास पर वनकर्मियों के ऊपर हमला करने वाले लकड़ी तस्करों के खिलाफ आखिर 36 घंटे बाद एफआईआर हो सकी। दोनों जिलों की पुलिस के बीच सीमा विवाद के चलते एफआईआर नहीं हुई थी। शुक्रवार को इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों ने दखल दिया, जिसके बाद शाम 5 बजे मधुसूदनगढ़ पुलिस ने 4 नामजद और 25-30 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर लिखी है।

बता दें, कि घटना गुरुवार को सुबह करीब पांच बजे की थी। वन अमला लटेरी से तस्करों का पीछा करते हुए मधुसूदनगढ़ में आया था। यहां तस्करों ने पथराव कर इनको घेर लिया। करीब तीन घंटे तक वन अमला घिरा रहा। पथराव में तीन लोग घायल हुए। इसके बाद तस्कर मौके पर लकड़ी की सिल्ली और कुछ गाड़ियों को छोड़कर भाग गए थे।

इस सामान को वन विभाग की टीम जब्त करके अपने साथ ले गई। ऐसे में इस हमले की गुरुवार को एफआईआर नहीं लिखी जा सकी। गुना पुलिस का कहना था कि वनकर्मियों ने लटेरी से पीछा करना शुरू किया है, इसलिए घटना स्थल वहीं का होगा। वन विभाग वाले लकड़ी व अन्य सामान जब्त करके अपने साथ ले गए हैं। हम एफआईआर लिखने के लिए तैयार हैं, इसके लिए वह सामान हमें जब्त करने के लिए दिया जाए।

इन पर हुई एफआईआर

मधुसूदनगढ़ थाना पुलिस ने शुक्रवार को शाम 5 बजे लटेरी के वनपाल तेजप्रकाश शर्मा की शिकायत पर रिपोर्ट लिखी। इसमें बबलू पुत्र पूनमचंद सहरिया, राजू पुत्र भगवान सिंह गुर्जर, राजू पुत्र कालूराम भील, जगदीश पुत्र हरी सिंह भील एवं 20-25 अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है।

आवेदन लेकर आए, तो एफआईआर दर्ज कर ली

वन विभाग के लोग गुरुवार को अपनी विभागीय कार्रवाई में लगे रहे थे। शुक्रवार को जब वह आवेदन लेकर आए, तो हमारे यहां एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इसमें 4 नामजद और 20-25 अज्ञात आरोपी हैं।
राकेश कुमार सगर, एसपी

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