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शिवपुरी की बेटी मुस्कान ने देश, प्रदेश और शहर का नाम रोशन किया, न्यूजीलैंड में हुई ओपन फेडरेशन की वेट लिफ्टिंग कॉम्पिटिशन में 4 गोल्ड जीतकर एक नया मुकाम हासिल किया

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आपने एक्टर आमिर खान अभिनीत ‘दंगल‘ फिल्म तो जरूर देखी होगी लेकिन, आज हम आपको शिवपुरी की दंगल फैमिली से मिलवाने जा रहे हैं। इस परिवार की कहानी दंगल फिल्म की कहानी से किसी मायने में कम नहीं है। शिवपुरी की बेटी मुस्कान ने देश, प्रदेश और शहर का नाम रोशन किया है। मुस्कान ने न्यूजीलैंड में हुई ओपन फेडरेशन की वेट लिफ्टिंग कॉम्पिटिशन में 4 गोल्ड जीतकर एक नया मुकाम हासिल कर लिया है।

पढ़िए बेटी के जरिए अपना सपना पूरा करने वाले पिता की कहानी

पिता मोहम्मद दारा खान ने बताया कि मेरा बचपन से ही एक सपना था कि देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आऊं। उसके लिए मैं शुरू से स्पोर्ट्स में इंटरेस्ट था। मेरा गेम हैंडबॉल था। उसमें 3 बार स्टेट लेवल पर खेला। बास्केट बॉल में भी नेशनल खेला। साल 1997 में 20 साल की उम्र में मेरा स्पोर्ट्स कोटे से ITBP में SI के पद पर चयन हो गया। सिलेक्शन 2-4 दिन पहले एक हादसे में मेरी ऊंगलियां कट गईं। हाथ खराब हो जाने की वजह से गोल्ड जीतने का मेरा सपना अधूरा ही रह गया। दिन बीतने लगे। मैं सपने को पीछे छोड़कर पोल्ट्री फार्म के व्यवसाय में व्यस्त हो गया।

मेरे 5 बच्चे हैं, जिनमें 3 बेटियां और 2 बेटे हैं। परिवार के पालन-पोषण के लिए कारोबार को बढ़ा रहा था, लेकिन दिल देश के लिए गोल्ड मेडल लाने के लिए ही धड़कता था। विवश था पर मौके की तलाश रहती थी। मैं गांव में होने वाली खेल प्रतियोगिता के आयोजन में खास भूमिका निभाने लगा। इसी दौरान मझली बेटी मुस्कान आशा की किरण बनकर आई। खेल को लेकर उसका झुकाव मुझे हौंसला देने लगा। मुझे लगा मेरी बेटी ही मेरे सपनों को पूरा करेगी। स्कूल के साथ ही उसने खेल की ओर भी मेहनत करना शुरू कर दिया। मैं भी उसके साथ जुट गया।

बेटी गांव से 20 KM दूर शिवपुरी के प्राइवेट स्कूल में मुस्कान का दाखिला करवाया। समय बचाने के लिए मैंने हर दिन बेटी को 40 किलोमीटर दूर स्कूल लाना ले जाना शुरू कर दिया। बेटी की मेहनत रंग लाई। बेटी खेल प्रतियोगिता में अव्वल रहने लगी।

हर कदम पर मैं उसके साथ खड़ा रहा। बराबर उसको सपोर्ट करता रहा। जहां भी मुझे लगता था कि इसमें आगे बढ़ने की संभावना है, उस फील्ड में आगे ले जाने का प्रयास करता। सबसे पहले हैंडबॉल से उसकी शुरुआत की। मिनी हैंडबॉल में ही मुस्कान ने 3 बार नेशनल खेला। मैच में 10 में से 9 गोल अकेले बेटी ने ही दागे।

तब मुझे लगा उसे इंडिविजुअल गेम में लेकर आना चाहिए। काफी सोच विचार कर वेट लिफ्टिंग के लिए तैयार किया। वेट लिफ्टिंग की शुरुआत होते ही मुस्कान स्टेट खेलने पहुंच गई। इसी दौरान कोरोना ने बेटी की रफ्तार को रोक दिया। यह देख मैंने तय किया कि अब घर में ही उसके लिए व्यवस्थाएं जुटाऊं। धीरे-धीरे घर में ही जिम तैयार कर दी। बेटी ने 2 साल जी तोड़ मेहनत की।

एक साल में सामने आए परिणाम

पिता ने बताया कि बेटी मुस्कान ने कोरोना खत्म होते ही पॉवर वेट लिफ्टिंग की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और देखते ही देखते उसने जिला स्तर से लेकर संभाग स्तरीय और फिर राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में अपना परचम लहरा दिया। इसके बाद उसका चयन न्यूजीलैंड में होने वाली कॉमनवेल्थ पावर लिफ्टिंग साल 2022 में हुआ। बेटी मुस्कान को 25 नवंबर को न्यूजीलैंड के लिए रवाना किया गया था। जहां मुस्कान ने पावर वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में 4 गोल्ड हासिल करते हुए अपने शहर सहित देश का नाम रोशन कर दिया। मेरे लिए गर्व की बात है कि बेटी ने मेरे सपने को पूरा किया।

मिनी हैंडबॉल स्टेट खेला

मोहम्मद दारा ने बताया कि बेटी मुस्कान ने साल 2016 में पहली बार स्टेट हैंडबॉल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। इसके बाद साल 2017, 18 और 19 में वह नेशनल खेली।

भाला से लेकर गोला तक फेंका

खान ने बताया कि बेटी ने पावर लिफ्टिंग के पहले हैंडबॉल में तो किस्मत आजमाई ही थी। इंडिविजुअल गेम में उसने भाला और गोला भी फेंका। गांव में तैयारियों में समस्या आने के बाद उसका झुकाव वेट लिफ्टिंग की ओर हो गया।

तीखा खाने पर होता था भाई से झगड़ा

मुस्कान के भाई हनी खान ने बताया कि छोटी बहन मुस्कान से खाने-पीने को लेकर लड़ाई होती थी। वह तीखा खाना पसंद करती थी। लेकिन मैं उसे खाने नहीं देता था। इसकी शिकायत वह पापा से करती थी। पापा और मैं उसे डाइट पर ध्यान देने के लिए कहते थे। मुझे अब खुशी है कि वह इस झगड़े के कारण इस मुकाम तक पहुंची हूं। मुस्कान की कामयाबी से आज पूरा परिवार खुशी मना रहा है।

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