मध्यप्रदेश

सागर सांसद ने लोकसभा में उठाया मामला- कहा विदिशा जिले की 3 विधानसभाओं में रेलवे लाइन नहीं: उज्जैन सांसद बोले- ग्रेजुएशन तक हो फ्री एजुकेशन

भोपाल डेस्क :

संसद के बजट सत्र में चर्चा के दौरान मध्यप्रदेश के सांसदों ने रेल मंत्री से ट्रेनें चलाने और नई रेल लाइनें मंजूर कराने के मामले उठाए। भोपाल, खंडवा, होशंगाबाद, सागर, रीवा, जबलपुर के सांसदों ने रेल मंत्री से अपने-अपने क्षेत्रों के लिए ट्रेनों और रेल लाइनों को मंजूरी दिलाने की मांग रखी।

सागर सांसद लता वानखेडे ने कहा, ‘विदिशा जिले की तीन विधानसभाओं में रेलवे लाइनों का अभाव है।’ उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने राइट-टू-एजुकेशन (RTE) में पहली से आठवीं कक्षा तक दी जाने वाली मुफ्त शिक्षा को ग्रेजुएशन तक फ्री करने की मांग रखी।

अब जानिए, किस सांसद ने संसद में क्या मांग रखी
ज्ञानेश्वर पाटिल (खंडवा):
 खंडवा, भुसावल से नागपुर दादा धूनी वाले नाम से पैसेंजर ट्रेन चलती थी। यह ट्रेन आठ जिले और छह लोकसभाओं से गुजरती थी। बैतूल के बडे़ कैंसर हॉस्पिटल में कैंसर के मरीज इस ट्रेन से आते-जाते थे। जिन 43 ट्रेनों का उल्लेख किया गया है, वे भुसावल से अकोला, बडनेरा होते हुए नागपुर जाती हैं। लेकिन, बुरहानपुर, खंडवा, हरदा, टिमरनी होते हुए ट्रेनें नहीं चलती हैं। कोविड के पहले जो ट्रेनें चलती थीं, वो शुरू होने से स्थानीय मरीजों, नागरिकों और व्यापारियों के लिए सुविधा होगी।

पाटिल की बात पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब देते हुए कहा, ‘भुसावल से नागपुर के बीच 40 ट्रेनें चलती थीं। जिस ट्रेन की बात कही, वो वाया इटारसी होकर चलती थी। उसकी दूरी करीब 75 किलोमीटर ज्यादा होने के चलते बहुत कम लोग यात्रा करते थे। उस क्षेत्र के लिए इस ट्रेन के अलावा कोई व्यवस्था होगी, तो सांसद जी के साथ चर्चा कर लेंगे।’

चौधरी दर्शन सिंह (होशंगाबाद): कोविड काल में पैसेंजर ट्रेन बंद हो गईं। यह ट्रेन इटारसी से कटनी होकर इलाहाबाद तक जाती थी। इस ट्रेन के बंद होने से छोटे-छोटे रेलवे स्टेशनों पर बड़ी ट्रेनें नहीं रुकतीं। इससे जनता को परेशानी होती है। शटल ट्रेन फिर से शुरू की जाए।

रेल मंत्री ने कहा, दर्शन जी पुराने साथी हैं, मप्र में हमने साथ में काम किया है। वे रेल भवन में समय निकालकर मिलें, तो इसका समाधान करेंगे। रेल मंत्री की बात सुनकर विपक्ष के सांसदों ने आपत्ति जताई।

मूंग खरीदी के लिए पोर्टल खोला जाए
होशंगाबाद सांसद ने एक और मांग रखते हुए कहा, ‘मैं नर्मदा माटी से आता हूं, वहां मूंग का उत्पादन बहुत अधिक मात्रा में होता है। केंद्र और राज्य सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी मप्र में हो रही है। उत्पादन बढ़ा है। बाजार में मूल्य 4-5 हजार रुपए था, सरकार की कृपा से मूंग का समर्थन मूल्य मिल रहा है। किसान उत्साहित हैं। पोर्टल खोलकर किसान को रियायत दी जाए। मूंग की खरीदी ढंग से हो सके।’

जर्नादन मिश्रा (रीवा): मिर्जापुर वाया हनुमना रेलवे लाइन काम जल्दी शुरू कराया जाए। ये क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। रीवा से मिर्जापुर वाया सिंगरौली रेल लाइन का सर्वे हो चुका है। डीपीआर बनाने की मांग हो रही है। सिंगरौली, सतना, रीवा में कई बडे़ प्लांट हैं। पावर हब हैं। इस रेलवे लाइन के लिए बजट आवंटन किया जाए।

लता वानखेड़े (सागर): सागर संसदीय क्षेत्र में आने वाले विदिशा जिले की तीन विधानसभाओं कुरवाई, शमशाबाद, सिरोंज में ट्रेन रूट का अभाव है। भोपाल से बैरसिया, शमशाबाद, सिरोंज, आरोन, गुना रेलवे लाइन, जिसका पहले सर्वे हो चुका है, उसका काम अब तक शुरू नहीं हुआ है। उस रेलवे लाइन का काम शुरू कराया जाए। सागर से साउथ की ओर जाने वाली ट्रेनें नहीं हैं। सागर से नागपुर के लिए मरीज बड़ी संख्या में जाते हैं। सागर से नागपुर से तत्काल ट्रेन शुरू की जाए।

आलोक शर्मा (भोपाल): भोपाल लोकसभा क्षेत्र की बैरसिया विधानसभा में रेलवे लाइन नहीं है। भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी है। लोकसभा चुनाव के दौरान मैंने जनता से कहा था कि आप मुझे सांसद बनाएंगे, तो मैं इस संकल्प को पूरा करूंगा। वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में बैरसिया रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए बजट में शामिल किया जाए।

भारती पारधी (बालाघाट): बालाघाट संसदीय क्षेत्र में लिंगानुपात बहुत अधिक है, इसलिए महिलाओं के आशीर्वाद से मुझे जीतने का मौका मिला। मेरा क्षेत्र नक्सल प्रभावित है। मोदी जी की सरकार में नक्सली समस्या काफी हद तक कम हुई है, लेकिन अभी भी वह पिछड़ा क्षेत्र कहलाता है। वहां अटल जी के समय नैरोगेज से ब्रॉडगेज हुआ, लेकिन सिंगल रेल ट्रैक है। कनेक्टिवटी की दिक्कत है। रेल ट्रैक बढ़ाया जाए। स्टूडेंट्स को भोपाल इंदौर जाने के लिए रेलें नहीं हैं। महाराष्ट्र में बहुत सी ट्रेनें आती हैं। सिवनी में कई ट्रेनों का स्टॉपेज है। ट्रेनों को मेरे क्षेत्र तक जोड़ा जाए। एशिया की सबसे बड़ी मैग्नेज की खदान मेरे क्षेत्र में हैं। गुड्स ट्रेनों के कारण दिक्कत होती है।

आशीष दुबे (जबलपुर): बीते दिनों जबलपुर गोंदिया नैरोगेज से ब्रॉडगेज में बदली। इसमें अटल जी की सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका थी। जबलपुर की साउथ इंडिया से दूरी कम करने गोंदिया रेल लाइन को ब्रॉडगेज में बदला गया। लेकिन, सिंगल लाइन होने के कारण इसका जनता को अपेक्षित फायदा नहीं मिल पा रहा। जबलपुर वासियों की मांग है कि जबलपुर से अमृतसर सीधी रेल की मांग लंबे समय से हो रही है।

फिरोजिया बोले- RTE में ग्रेजुएशन तक हो फ्री एजुकेशन
अनिल फिरोजिया (उज्जैन):
 राइट टू एजुकेशन में पहली से आठवीं क्लास तक मुफ्त शिक्षा दी जा रही है। जिन बच्चों को होटलों या दुकान से काम करने वाले बच्चों को उठाकर लाते हैं और अच्छे स्कूलों में पढ़ाते हैं, लेकिन आठवीं कक्षा के बाद उन बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है। अच्छे स्कूलों में पढ़ने के कारण वे काम करने में शर्माते हैं। प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि आरटीई को ग्रेजुएशन तक अनिवार्य किया जाए, ताकि बच्चे शिक्षित हों और उन्हें रोजगार के अवसर मिल सकें।

रतलाम सांसद बोलीं- मेरे क्षेत्र के मरीज इलाज के लिए गुजरात जाते हैं, मेडिकल कॉलेज खोला जाए

अनिता चौहान (रतलाम): रतलाम संसदीय क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र है। स्वास्थ्य संबंधी अच्छी सुविधाएं नहीं हैं। छोटे – छोटे स्वास्थ्य लाभ के लिए गुजरात जाना पड़ता है। झाबुआ – अलीराजपुर में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति दी जाए।

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