आनंदपुर डेस्क :
पूरे जिले की सबसे बेकार गौशाला आनंदपुर की है वह नर्क है गौशाला नहीं बल्कि नर्क का द्वार है। वह बहुत ही खराब हैं। वह गलत जगह पर ही बनी है। वहां पर बहुत सारी व्यवस्थाएं भी नहीं है। जब से बनी है तभी से वह पूरे जिले भर में सबसे बेकार गौशाला है। मैंने अभी कुछ दिन पहले जिले के अधिकारियों के संग बैठक की है और अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि गौशालाओं के जो कार्य शेष रह गए हैं उन्हें पूरा करें और जो व्यवस्थाएं अभी तक नहीं हो सकी उन सारी व्यवस्थाएं भी पूरी करें यह कहना है गो संवर्धन बोर्ड के सदस्य राम रघुवंशी का।
गौशाला में कीचड़ ही कीचड़
आनंदपुर की गौशाला में भयंकर कीचड़ है और इसी कीचड़ में सारे दिन 100 से अधिक गाय खड़ी रहती है ऐसे में गायों के पैर गलने और बीमार पड़ने की संभावना बनी रहती है।
इसी तरह आनंदपुर के मुख्य बाजार में लगभग 1000 बेसरा मद्धेशिया है और बरसात के समय में तो उनकी बहुत ही गईनी स्थिति हो रही है कोई भी इन्हें अपने टीम सेट के नीचे भी खड़े नहीं होने देता जिसके कारण यह बेचारी बेसहारा मवेशियों बीच सड़क पर ही बैठी रहती है और जिसके चलते जाम की स्थिति जाम तो लगता ही है और दुर्घटनाएं भी हो जाती है।
उमाकांत शर्मा ने किया था लोकार्पण
2 वर्ष पहले ही भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने इस गौशाला का लोकार्पण किया था। उस समय तो इसमें लाइट और पानी की कोई भी व्यवस्था भी नहीं थी। तब से लेकर अभी तक यह गौशाला अपनी दयनीय स्थिति का दुखड़ा रो रही है। हालत यह है कि मुख्य गेट से अंदर तक कोई भी व्यक्ति पैदल भी नहीं चल सकता छः इंच तक कीचड़ भरा हुआ है और इस कीचड़ में दिनभर यह गाय खड़ी रहती है। वर्तमान सरपंच हरि बल्लभ शर्मा ने एक डीपी (ट्रांसफार्मर) रखवा कर लाइट की व्यवस्था तो कर दी है और दो कर्मचारी भी लगा रखे हैं जिससे कि इन गायों के लिए समय पर भूसा डाला जा सके। लेकिन पानी के लिए भी अभी कोई भी स्थाई व्यवस्था नहीं है अंदर दो होदी बनी है इनमे टैंकर के माध्यम से पानी की सप्लाई की जाती है जो दो मजदूर लगे हुए हैं वह दिन भर सफाई में ही लग जाता है।
आम जनता का सवाल
अब सवाल यह उठता है कि कहां गए वह गौ भक्त जो गाय के नाम पर राजनीति तो खूब करते हैं। और बड़े जोर शोर से गौ माता की जय हो के जयकारे भी लगते हैं। लेकिन बेचारी इन बेसहारा गायों के लिए कभी एक डलियां भूसा भी नहीं रखते। यदि धोखे से किसी वाहन चालक से एक्सीडेंट हो जाए तो यहीं लोग बड़े गौ भक्त बनाकर आ जाते हैं और उसके साथ हाथापाई कर बत्तमीजी करते हैं। जब तक गाय दूध देती है तब तक ही गौ माता है और इसके बाद जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो इसे बेसहारा सड़कों पर छोड़ दिया जाता है।
शाम होते ही ग्राम के कुछ लोग इन बेसहारा मवेशियों को इकट्ठा कर मंडी प्रांगण में छोड़ आते हैं जिससे कि उनकी फसलों को कोई नुकसान ना हो।