जयपुर

एक बार फिर जातिगत जनगणना का मुद्दा छिड़ा: डोटासरा बोले- जिसका जितना हिस्सा, उसे उतना आरक्षण: बीजेपी रिजर्वेशन खत्म करने का फंडा लाएगी

जयपुर डेस्क :

प्रदेश में एक बार फिर से जातिगत जनगणना का मुद्दा छिड़ गया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने चुनाव से एन वक्त पहले जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया है। इतना ही नहीं उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी रिजर्वेशन खत्म करने का फंडा लाएगी।

दरअसल, गुरुवार को इंदिरा गांधी पंचायती राज भवन में यूथ कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में सीएम अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के कई नेता और पदाधिकारी मौजूद थे।

इस बैठक में डोटासरा ने कहा-हमारे सीएम बार-बार कह रहे हैं जातिगत जनगणना हो, इसके लिए पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी है। हम जातिगत जनगणना करवा रहे हैं।

जिसका जितना हिस्सा, उसे उतना आरक्षण होने वाला है। आरएसएस बीजेपी वाले बौखला गए हैं, उनकी संख्या बहुत कम है, इसलिए इसका विरोध कर रहे हैं। हमने जातिगत जनगणना के बारे में कह दिया और हमने समर्थन कर दिया तो इन्हें तकलीफ हो रही है।

उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा- बीजेपी नेता कांग्रेस सरकार रिपीट की जगह डिलीट की बात कह रहे हैं। यह तो कोई कह सकता है, लेकिन 2024 में केंद्र सरकार का जनता तख्तापलट करेगी। अब तो आरएसएस भी यह कहने लगा है, मोहन भागवत भी कहने लगे हैं कि मोदी और मोदी की बातों में दम नहीं है। कोई नया फंडा लाना पड़ेगा।

नया फंडा यह है कि ये आरक्षण समाप्त करने की ओर चल रहे हैं, जो मेरी पार्टी और हम सब मिलकर इसे कभी कामयाब नहीं होने देंगे।

जानिए- विधानसभा की 150 सीटों पर ओबीसी वर्ग के वोटर पहले से तीसरे नंबर पर
प्रदेश की 200 में से लगभग 150 विधानसभा सीटों पर ओबीसी मतदाताओं की अनुमानित संख्या पहले, दूसरे या तीसरे-चौथे नंबर पर रहती है। केवल दक्षिणी राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, सिरोही, राजसमंद और बारां जैसे जिलों की लगभग 50 विधानसभा सीटों पर इस वर्ग की बहुलता नहीं है।

ऐसे ही प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से वर्तमान में सीकर, चूरू, अलवर, झुंझुनूं, नागौर, अजमेर, टोंक-सवाईमाधोपुर, जालोर-सिरोही, जैसलमेर-बाड़मेर, पाली, बारां-झालावाड़ (कुल 11 सीट) की लोकसभा सीटों पर ओबीसी समुदाय के सांसद चुने गए हैं।

इनमें से 7 सीटों पर जाट समुदाय से आने वाले नेता सांसद हैं। इन सांसदों में भागीरथ चौधरी (अजमेर), दुष्यंत सिंह (बारां-झालावाड़), कैलाश चौधरी (जैसलमेर-बाड़मेर), सुमेधानंद सरस्वती (सीकर), नरेंद्र कुमार (झुंझुनूं), राहुल कस्वा (चूरू) और हनुमान बेनीवाल (नागौर) शामिल हैं। महंत बालकनाथ (अलवर), पीपी चौधरी (पाली), देवजी पटेल (जालोर-सिरोही) और सुखबीर सिंह जौनापुरिया (टोंक-सवाईमाधोपुर) भी ओबीसी वर्ग से ही आते हैं।

विधायक हरीश चौधरी ने गहलोत को लिखा था पत्र और विधानसभा में भी उठाया था मुद्दा

ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सदस्य और राजस्थान में बायतु (बाड़मेर) से कांग्रेस के विधायक हरीश चौधरी ओबीसी से जुड़े मामले पर लगातार मुखर रहे। 30 सितंबर-2023 को उन्होंने लंबे आंदोलन के बाद अपनी ही सरकार के खिलाफ जयपुर में धरना दिया था।

तब उन्होंने ओबीसी आरक्षण में से पूर्व सैनिकों को मिलने वाली हिस्सेदारी का विरोध किया था। अब हाल ही में उन्होंने विधानसभा में प्रदेश की कांग्रेस सरकार से मांग की थी कि प्रदेश में भी ओबीसी को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।

इस संबंध में चौधरी ने सीएम को पत्र लिखकर राजस्थान में ओबीसी की जनसंख्या लगभग 50 प्रतिशत होने की बात कहकर भी यही मांग की थी।

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