18 सितंबर को आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के साथ अद्वैत लोक का भूमिपूजन भी होगा
न्यूज़ डेस्क :
ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत पर आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा जिस प्लर पर स्थापित की गई है, उस 30 फीट के प्लर पर 15-15 फीट पर शिलालेख लगेंगे। इन शिलालेख पर शंकराचार्य के जीवन से लेकर समाधि तक की प्रमुख घटनाएं पत्थर पर उकेरी जाएंगी। ओंकार पर्वत पर अद्वैत लोक बनने के बाद सामने की पहाड़ी पर 27 हेक्टेयर में आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत संस्थान भी बनेगा।
इसमें गुरुकुल के साथ आवास भी बनेंगे। इसकी भी प्लानिंग बना ली गई है। संस्थान से अद्वैत लोक तक पुल बनेगा और ई व्हीकल से आवाजाही होगी। 18 सितंबर को आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के साथ अद्वैत लोक का भूमिपूजन भी होगा। प्रतिमा का काम अंतिम चरण में है। उस पर पेंटिंग का काम चल रहा है। इसके साथ ही आसपास साफ सफाई और अनावरण कार्यक्रम की तैयारियां चल रही हैं। वहीं भूमिपूजन के साथ ही अद्वैत लोक का काम शुरू हो जाएगा। ओंकार पर्वत पर बन रहे अद्वैत लोक के सामने वाली पहाड़ी पर बनने वाले आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान को पुल बनाकर कनेक्ट किया जाएगा। यहां शिक्षा के साथ साढ़े आठ हेक्टेयर में आवास की भी व्यवस्था की जाएगी। यहां शोध कार्य भी किए जा सकेंगे।
अद्वैत लोक का काम तीन चरण में होगा, पहले चरण में प्रतिमा तैयार
पहला चरण: 108 फीट की प्रतिमा बनना है, जिसका काम लगभग पूरा हो गया है।
दूसरा चरण: अद्वैत लोक म्यूजियम बनाया जाएगा, जिसमें शंकराचार्य के जीवन से समाधि तक की यात्रा का वर्णन होगा। ये मूर्ति के प्लर पर होगा। इस प्लर के चारों ओर एक हॉल बनाया जाएगा। थ्रीडी डोम प्रोजेक्ट हॉल भी होगा।
तीसरा चरण: अद्वैत नौका विहार होगा। इसमें लाइट एंड शो बनेगा।
इसके अलावा 36 हजार हेक्टेयर में अद्वैत वन बनेगा।
अद्वैत लोक में नागर और संस्थान में द्रविड़ शैली की दिखेगी झलक
अद्वैत लोक और आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान में नागर और द्रविड़ शैली की झलक दिखेगी। नागर शैली में उत्तर भारत की झलक रहेगी तो द्रविड़ शैली में दक्षिण भारत की झलक देखने को मिलेगी। अद्वैत लोक में उत्तर भारत की तर्ज पर होगा। वहीं संस्थान में दक्षिण भारत की कला देखने को मिलेगी।
पंचायतन पूजा पद्धति से अनावरण
आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा अनावरण के अवसर पर पंचायतन पूजा पद्धति से पूजा होगी। 15 सितंबर से पूजा शुरू हो जाएगी। पंचायतन पूजा का श्रेय आदि गुरु शंकराचार्य को दिया जा रहा है। इसलिए यह पूजा होगी।