
विदिशा डैस्क:
डायल 100 सेवा में वर्षों से कार्यरत पायलटों ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपनी व्यथा शासन-प्रशासन के समक्ष रखी। उन्होंने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। उनका आरोप है कि नई टेंडर प्रक्रिया के बाद निजी कंपनी द्वारा उन्हें केवल शैक्षणिक योग्यता के आधार पर हटाया जा रहा है, जबकि उन्होंने बीते 10 वर्षों तक ईमानदारी और समर्पण से सेवा दी है।

पायलटों ने बताया कि वे पिछले एक दशक से आपातकालीन सेवाओं में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं और अब जब डायल 100 सेवा को 112 में परिवर्तित किया जा रहा है, तब कंपनी उन्हें यह कहकर बाहर कर रही है कि वे दसवीं पास नहीं हैं। कंपनी द्वारा आठवीं पास या कम पढ़े-लिखे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
कोरोना काल में भी निभाई थी जिम्मेदारी
पायलट सुनील यादव ने कहा, “मैं 2016 से डायल हंड्रेड सेवा में कार्यरत हूं। कोरोना महामारी के कठिन समय में भी बिना डरे ड्यूटी की। कई साथी संक्रमित भी हुए, लेकिन हमने कभी सेवा नहीं छोड़ी। अब हमें केवल शैक्षणिक योग्यता के नाम पर हटाया जा रहा है, यह अन्याय है।”
पायलटों का कहना है कि उनके अनुभव और समर्पण को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे उनके परिवारों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
मुख्य मांगे: अनुभव को मिले प्राथमिकता
ज्ञापन में पायलटों ने मांग की है कि –

जिन कर्मचारियों ने वर्षों तक सेवा दी है, उन्हें नई व्यवस्था में शामिल किया जाए।
नियुक्ति में अनुभव को प्राथमिकता दी जाए, केवल शैक्षणिक योग्यता को नहीं।
कोविड काल में कार्यरत रहे कर्मचारियों को विशेष वरीयता दी जाए।
नई कंपनी द्वारा हटाए गए पायलटों को तत्काल सेवा में वापस लिया जाए।
प्रदर्शन के दौरान ज्ञापन पर कई पायलटों के हस्ताक्षर थे और सभी ने एक स्वर में अपील की कि सरकार उनकी वर्षों की मेहनत का सम्मान करे और उन्हें पुनः सेवा में अवसर दे।



