
भोपाल डेस्क :
राज्य सरकार इसी माह 15.38 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को 115 करोड़ रुपए का बोनस बांटने जा रही है। यह बोनस वर्ष 2023-24 में तेंदूपत्ता बिक्री से हुई आय में से बांटा जाएगा। खास बात यह है कि राज्य सरकार इस साल दिसंबर के बजाए 4 महीने पहले पहली बार अगस्त में बोनस बांट रही है। दूसरी खास बात यह है कि तेंदूपत्ता बोनस वितरण कार्यक्रम इस बार श्योपुर जिले के आदिवासी ब्लॉक कराहल में होने जा रहा है, जो मौजूदा वन मंत्री रामनिवास रावत के विधानसभा क्षेत्र विजयपुर का हिस्सा है।
जहां आगामी कुछ महीनों के भीतर विधानसभा का उपचुनाव होना है। 22 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आदिवासियों को 4 करोड़ से अधिक का तेंदूपत्ता बोनस खुद बांटेंगे। यहां 50 हजार से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों को बुलाया जाएगा। इसमें श्योपुर जिले के अलावा शिवपुरी और ग्वालियर क्षेत्र के सहरिया आदिवासी शामिल होंगे।
पिछले साल 234 करोड़ रुपए बोनस बांटा गया था…
मप्र लघु वनोपज संघ के माध्यम से आदिवासियों से तेंदूपत्ता का संग्रह कराया जाता है। तेंदूपत्ता की बिक्री से होने वाले नेट लाभ का 75% हिस्सा संग्रह करने वाले आदिवासियों को बोनस के रूप में साल के अंत में बांटा जाता है। पिछले साल वित्त वर्ष 2022-23 में वितरित बोनस की राशि 234 करोड़ रुपए थी, जबकि इस साल का बोनस सिर्फ 115 करोड़ ही है।
वनोपज संघ की दलील है कि पिछले साल खराब मौसम के कारण तेंदूपत्ता संग्रहण में गिरावट आई थी। संग्राहकों का पारिश्रमिक भी प्रति बोरा एक हजार रुपए बढ़ने से शुद्ध लाभ घटा है, इस कारण बोनस भी घट गया है। इस साल 560 करोड़ रुपए संग्राहकों को पारिश्रमिक के रूप में पहले ही दिए जा चुके हैं। गौरतलब है कि फरवरी में राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर को 3 हजार रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रुपए किया था।
2 हजार करोड़ बोनस दे चुकी है सरकार
वनोपज संघ के मुताबिक पिछले एक दशक में तेंदूपत्ता संग्राहकों को 2 हजार करोड़ रुपए का बोनस बांटा गया है। वर्तमान में प्रदेश में 15 लाख 38 हजार सदस्य वनोपज संग्रहण के काम से जुड़े हैं। इनमें 50 फीसदी से अधिक आदिवासी हैं बाकी अन्य वर्ग के हैं। 51 जिलों में जिला स्तरीय यूनियन इस तेंदू पत्ते का संग्रहण करती हैं। पेसा कानून के तहत 20 आदिवासी जिलों की 229 ग्राम सभाएं वर्ष 2022-23 से खुद ही तेंदूपत्ता संग्रहण और कारोबार कर रही हैं।
आय घटी, इसलिए बोनस कम
कंप्यूटराइजेशन होने से इस साल एकाउंटिंग की प्रक्रिया जल्दी पूरी हो गई है, इसी कारण वक्त से पहले बोनस वितरण किया जा रहा है। आमदनी पिछले साल की तुलना में 50% घटी है। इस कारण बोनस भी घटा है।
– बिभाष ठाकुर, एमडी, मप्र लघु वनोपज संघ



