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पहली मुलाकात में हुआ प्यार, तीन बच्चों की मां के साथ लिए सात फेरे: तीनों बच्चे विवाह में हुए शामिल

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पहले पति की मौत के बाद तीन बच्चों की मां ने लव मैरिज कर ली। एक महीने पहले मुलाकात हुई। फिर शादी का फैसला कर लिया। रविवार को छतरपुर में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत नगर पालिका द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में दोनों ने एक-दूसरे को माला पहनाई। शादी में लड़के की ओर से तो पूरा परिवार मौजूद रहा, लेकिन वधु की ओर से उसके तीन बच्चे ही शामिल हुए। विवाह सम्मेलन में 2 पुनर्विवाह, एक निकाह समेत 38 बेटियों के हाथ पीले करवाए गए।

सबसे अलग विवाह था पनागर गांव की रहने वाली सुशीला कुशवाहा का। सुशीला ने लखनगुवां निवासी अज्जू कुशवाहा के साथ सात फेरे लिए। सुशीला ने बताया कि कुछ महीने पहले पहले पति ने जहर पी लिया था। पति की अचानक से तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई। पारिवारिक विवाद और कर्ज के चलते पति ने यह कदम उठाया। उसे और बच्चों को अकेला छोड़कर चले गए।

एक महीने का प्यार, लिया शादी का फैसला

सुशीला ने बताया कि वह छतरपुर जिले के भीमकुंड की रहने वाली है। 10 साल पहले उसे पनागर के रहने वाले सुशील से प्यार हुआ। परिवार को पता चला तो उन्होंने सुशील को अपनाने से मना कर दिया। ऐसे में मैंने और सुशील ने परिवार के खिलाफ जाकर लव मैरिज कर ली। सबकुछ अच्छा चल रहा था। सुशील और हमारे तीन बच्चे… सबसे बड़ी 8 साल की प्रतीक्षा और उसके बाद 4 साल का बेटा मोहित हुआ। एक साल पहले ही तीसरी संतान यानी बेटी वैशाली हुई।

परिवारिक विवाद और परिवार के भरण-पोषण के लिए लिया गया कर्ज पति की मौत का कारण बन गया। तीन महीने पहले पति ने जहरीला पदार्थ पी लिया। उनकी तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल लेकर गए। उन्हें बचाया नहीं जा सका। पति की मौत के बाद मैं अकेली हो गई। ऊपर से तीन बच्चों की जिम्मेदारी भी मुझ पर आ गई।

सुशीला ने बताया कि मैं अकेली और तीन बच्चे। उसके लिए इनकी जिम्मेदारी उठाना आसान नहीं था। हालांकि, वह बच्चों को संभालने की कोशिश कर रही है। एक महीने पहले एक परिचित के जरिए गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर रहने वाले लखनगुवां गांव के अज्जू कुशवाहा से पहचान हुई। दोनों एक ही समाज के हैं। इस कारण बातचीत शुरू हो गई। एक-दो बार की मुलाकात में अज्जू का मेरा फिक्र करना मुझे रास आ गया।

अज्जू की अभी शादी नहीं हुई थी। मैं उसे अपनी व्यथा बताती तो वह शांति से सुनता। वह समस्या का रास्ता निकालने की कोशिश करता। मैं उसे अपनी हर छोटी बड़ी बातें शेयर करने लगी। कुछ ही समय में हमें एक-दूसरे से प्यार हो गया। अज्जू ने शादी की इच्छा जाहिर की तो मैं भी बिना देर किए राजी हो गई। हालांकि, मैंने बच्चों को लेकर अज्जू से बात की तो वह उन्हें अपना नाम देने को राजी हो गया। दोनों में आपसी सहमति बन गई।

जब हमने परिवार से शादी करने की अनुमति मांगी तो उन्होंने मना कर दिया। बाद में अज्जू के परिवारवाले तैयार हो गए, लेकिन मेरे परिजन ने दूरी बना ली। ऐसे में मैंने परिजन के खिलाफ जाकर शादी कर मुख्यमंत्री कन्यादान में विवाह करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया। फिर रविवार को छतरपुर नगर पालिका द्वारा आयोजित समारोह में अज्जू के गले में वरमाला पहना दी। शादी में मेरे तरफ से सिर्फ मेरे तीन बच्चे ही शामिल हुए। वहीं, अज्जू का पूरा परिवार शादी में शामिल हुआ।

पहली मुलाकात में हुआ प्यार, तीनों बच्चे अब मेरे

अज्जू का कहना है कि मुझे पहली मुलाकात में ही सुशीला से प्यार हो गया था। मुझे उसके शादीशुदा और विधवा होने से कोई गुरेज/मलाल नहीं था। मैंने सुशीला को उसके तीनों बच्चों के साथ स्वीकार किया है। अग्नि के समक्ष सात फेरे लेकर ईश्वर को साक्षी मानकर मैंने उसे और उसके बच्चों को स्वीकारा है। अपने तीनों बच्चों के साथ खुशहाल जीवन बिताना चाहता हूं। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता की हमारी शादी को लेकर कोई क्या सोचता है।

अभिलाषा ने भी किया पुनर्विवाह

सुशीला की तरह ही मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत बड़ामलहरा क्षेत्र के ग्राम चिराला निवासी अभिलाषा घोष ने भी पुनर्विवाह किया। अभिलाषा के भी पहले पति की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद परिवारवालों ने उसकी दूसरी शादी का विचार किया।

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