
आनंदपुर | रक्षाबंधन के एक दिन बाद मनाया जाने वाला भुजरिया (कजलिया) पर्व बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लाह से मनाया गया। आनंदपुर को छोड़ कर कई ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम के बुजुर्गों द्वारा लहंगी खेली गई, तो कई जगह नदी और तालाब या कुआं पर भुजरिया तोड़ी गईं। भुजरिया तोड़ने के बाद सर्वप्रथम अपने इष्ठ देव को भुजरिया अर्पित कीं। इसके बाद बड़े, बुजुर्गों, मित्रों से भुजरिया मिलान किया गया। ग्राम महोटी, जावती और बापचा सहित कई ग्रामों में पुरानी परंपरा के अनुसार भुजरिया निकाली गईं। सर्वप्रथम ग्राम की महिलाओं द्वारा अपने सिर पर भुजारियाओं को रखकर एक जगह पर एकत्रित किया गया। इसके बाद उनके चारों ओर परिक्रमा लगाई। फिर ग्राम के बड़े बुजुर्गों ने पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए गोलघेरा बनाकर बीच में देसी बाजे और ढपलों की थाप पर लहंगी खेली। इसके बाद भुजरियों को तालाब में ले जाकर तोड़ा गया।

–गेहूं के दाने हाथ मे लेकर भुजरियों की परिक्रमा की

आनंदपुर में जगह-जगह भुजरिया एकत्रित की गईं और महिलाओं द्वारा हाथों में गेहूं के दाने लेकर भुजारियों की परिक्रमा की गई। इसके बाद महिलाओं ने अपने सिर पर भुजरियां रखकर कुआं और तालाब पर ले जाकर उन्हें तोड़ा। ग्राम ओखली खेड़ा में पूरे ग्राम की भुजरियां बड़े बरगद के पेड़ के नीचे एकत्रित हुईं। यहां पर महिलाओं ने भुजरियों के परिक्रमा लगाई और कांदई नदी के पुल पर ले जाकर भुजरियां तोड़ीं। इसके बाद भगवान को भुजरिया अर्पित करने के बाद लोगों ने अपने घर परिवार और दोस्तों के कानों में भुजरियां लगाईं और गले मिलकर एक दूसरे को बधाइयां देते हुए कहा कि भैया भुजरियों की मेहरबानी रखना।







