मध्यप्रदेश

आरोन में तीन फर्जी दिव्यांग शिक्षकों पर FIR दर्ज: पहले ही हो चुके हैं बर्खास्त

गुना डेस्क :

गुना जिले के आरोन इलाके में तीन फर्जी दिव्यांग शिक्षकों पर FIR दर्ज की गई है। इन्होंने नौकरी हांसिल करने के लिए दिव्यांगता का फर्जी सर्टिफिकेट लगाया था। ग्वालियर में जब इनके प्रमाण पत्रों की जांच ग्वालियर कलेक्टर से कराई गई, तो पता चला कि ये तो वहां से जारी ही नहीं हुए। इन्हें जून महीने में ही बर्खास्त किया जा चुका है। विकासखंड शिक्षा अधिकारी के आवेदन पर तीनों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में FIR दर्ज की गई है।

दरअसल, ये सारा खेल विकलांगता के फर्जी सर्टिफिकेट से रचा गया है। कर्मचारी चयन मंडल मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित प्राथमिक शिक्षक पद की पात्रता परीक्षा में मुरैना जिले के जौरा ब्लॉक के गुर्जना गांव में रहने वाले दीपक शर्मा की नियुक्ति प्राथमिक शिक्षक के पद पर हुई थी। उन्हें गुना जिले के शासकीय प्राथमिक विद्यालय मनोरापुरा में नियुक्ति मिली थी। उनके द्वारा मुरैना जिले का विकलांगता सर्टिफिकेट लगाया गया था। इसकी जांच मुरैना कलेक्टर से कराई गयी। जांच के दौरान पता चला कि उनका दिव्यांगता प्रमाण पत्र फर्जी है। इसी तरह ग्वालियर के कम्पू इलाके की चौरसिया कॉलोनी निवासी हर्षद तिवारी पुत्र होगेश तिवारी शासकीय प्राथमिक विद्यालय चिरौला, आरोन में पदस्थ हुए थे। वहीं मुरैना जिले के कैलारस निवासी विवेक पुत्र बदन सिंह धाकड़ शासकीय प्रथमिल विद्यालय तिघरा, आरोन में पदस्थ हुए थे। इनकी जांच कलेक्टर ग्वालियर से करवाई गयी जकांच में यह सामने आया कि इनके प्रमाण पत्र सिविल सर्जन कार्यालय ग्वालियर से जारी ही नहीं हुए। मंगलवार को इन तीनों के खिलाफ आरोन थाने में FIR दर्ज की गई है। विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी विवेक रघुवंशी के आवेदन पर तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।इन पर धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज बनाने सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

बता दें कि सरकार ने ऐसे 80 लोगों पर मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। इनमें से 77 की रिपोर्ट आ चुकी है। ओवरराइटिंग वाले तीन प्रमाण पत्रों की जांच जारी है। दैनिक भास्कर ने दिव्यांग कोटे से हुई टीचर भर्ती फर्जीवाड़े की पड़ताल की, तो चौंकाने वाली बात सामने आई। कई के प्रमाण पत्रों पर ऐसे सरकारी डॉक्टरों के दस्तखत हैं, जो पहले ही रिटायर हो चुके हैं।

18 हजार शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा मामला

कर्मचारी चयन मंडल ने प्राथमिक शिक्षक के 18 हजारपदों के लिए पात्रता परीक्षा कराई थी। इसमें 1086पद दिव्यांगों के लिए आरक्षित थे। परिणाम के आधारपर 755 पदों पर आवेदकों का चयन हुआ है। चौंकानेवाली बात ये है कि इनमें से 450 दिव्यांग टीचर सिर्फमुरैना जिले से चुने गए हैं। एक जिले से इतनी संख्या मेंदिव्यांग टीचर बनने का मामला सामने आने के बाद सेही सवाल उठने लगे थे। दिव्यांगों ने इस मामले में आयुक्त नि:शक्तजन कल्याण संदीप रजक से शिकायत की थी। उन्होंने आयुक्त लोक शिक्षण एवं आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग को नोटिस जारी कर दिव्यांग कोटे से चयनित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के निर्देश दिए थे। भर्ती परीक्षा में सबसे अधिक मुरैना जिले के 450 आवेदकों का चयन हुआ था। दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई तो इनमें से 80 के प्रमाण पत्र संदिग्ध मिले। जांच के बाद 77 के फर्जी होने की पुष्टि हुई। इनमें से 60 स्कूल शिक्षा विभाग और 17 जनजातीय कार्य विभाग में पदस्थ थे। सभी के दिव्यांग प्रमाण पत्र पर विशेषज्ञ चिकित्सक, सिविल सर्जन की सील लगाई गई है।

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