नई दिल्ली

दिल्ली शराब घोटाला; CM अरविंद केजरीवाल से भी पूछताछ कर सकती है CBI-ED: डिजिटल डिवाइस से सिसोदिया तक पहुंची CBI

नई दिल्ली डेस्क :

आबकारी नीति घोटाले को दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल भले ही फर्जीवाड़ा मान रहे हों, पर मामले की जांच कर रही CBI टीम जिस तरह डिजिटल और फॉरेंसिक सबूत जुटा रही है, इससे भविष्य में केजरीवाल सरकार की मुसीबत बढ़ सकती है। मनीष सिसोदिया से रिमांड में हुई पूछताछ के बाद अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी CBI-ED के दफ्तर बुलाया जा सकता है। ऐसी जानकारी है कि इस मामले में जांच टीम को पुख्ता सबूत मिले हैं।

CBI सत्येंद्र जैन से इस मामले में पहले ही तिहाड़ जेल में जाकर पूछताछ कर चुकी है। आरोप है कि आबकारी विभाग के एक ब्यूरोक्रेट ने घोटाले में पूछताछ के दौरान CBI को बयान दिया है कि सिसोदिया ने उन्हें केजरीवाल के घर बुलवाया था। उस दौरान वहां सत्येंद्र जैन भी थे। वहीं,, पर सिसोदिया ने उन्हें मौखिक रूप से शराब कारोबारियों के लिए कमीशन बढ़ाने के लिए ड्राफ्ट तैयार करने को कहा था।

फेस टाइम कॉल में भी केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप
दावा किया जा रहा है कि समीर महेंद्रू ने जांच एजेंसी को बताया था कि जेल में बंद नायर के फोन से केजरीवाल ने फेस टाइम पर विडियो कॉल कर उन्हें कहा था कि विजय नायर उनका बच्चा है। उन पर वो भरोसा करें।

महेंद्रू का दावा है कि इस मामले में करोड़ों रुपए केजरीवाल के आदेश पर दिए गए थे। जिसे गोवा चुनाव में खर्च किया गया था। इस मामले में ED विज्ञापन कंपनी से भी पूछताछ कर चुकी है। दावा किया जा रहा है कि दोनों आरोपों में CM केजरीवाल सीधे तौर पर शामिल हैं। उन्हें महेंद्रु, विजय नायर के सामने बिठाकर पूछताछ करना जरूरी है, जिससे सच का पता लगाया जा सके।

डिजिटल डिवाइस से सिसोदिया तक पहुंची CBI
CBI ने ITO स्थित आबकारी विभाग के कार्यालय में देर रात तक छापा मारा था। इस दौरान एजेंसी को एक डिजिटल डिवाइस मिली। इसमें आबकारी नीति के ड्राफ्ट और शराब कारोबारियों के कमीशन बढ़ाने संबंधित फाइल थी, पर विभाग के सरकारी कंप्यूटर में यह फाइल नहीं थी। इस पर CBI ने सिस्टम इंजीनियर को बुलाकर पूछा कि फाइल कहां है।

सिस्टम इंजीनियर के सूचना पर बीते 14 जनवरी को मनीष सिसोदिया के ऑफिस से एक कंप्यूटर सीज किया गया। दावा है कि कंप्यूटर से अधिकतर फाइलों को डिलीट कर दिया गया था।

इंजीनियरों से रिकवर कराया, कई फाइल मिलीं
CBI ने कंप्यूटर को आईटी इंजीनियरों से रिकवर करवाया तो इसमें कई फाइलें मिल गईं। एक फाइल वॉट्सऐप के माध्यम से आई थी। इसके बाद CBI के उलझे तार सुलझते गए। दावा यह भी किया जा रहा है कि CBI को कुछ चैट्स भी मिले हैं, जिसमें साउथ ग्रुप पॉलिसी में बदलाव के लिए 2 सुझाव दिए गए हैं।

इसके बाद सिसोदिया के सुझावों को 22 मार्च को GOM की फाइनल एक्साइज पालिसी ड्राफ्ट में शामिल किया गया। CBI इन्हीं सबूतों को मनीष सिसोदिया के सामने रखकर पूछ रही है कि एक्साइज ड्राफ्ट पालिसी साउथ लॉबी के पास पहले ही कैसे पहुंच गई थी।

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